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साइटिका क्या होता है, इसके लक्षण, कारण और कैसे करें इलाज ?

साइटिका एक ऐसी दर्दनाक स्थिति होती है, जो साइटिका तंत्रिका पर बार-बार दबाव पड़ने पर या फिर उसके नुक्सान पहुंचने से उत्पन्न होता है | यह तंत्रिका हमारे शरीर में पीठ के निचले हिस्से से शुरू हो कर पैरों में फैलता है | साइटिका का अर्थ है पैरों में दर्द, कमज़ोरी, सुन्नपन या फिर झझुनझुनि होना | साइटिका एक चिकित्सक लक्षण है, जो अपने आप कोई चिकित्सक स्थिति नहीं होता | आइये जानते है साइटिका के बारे में विस्तारपूरक से :- 

 

साइटिका क्या होता है ? 

साइटिका तब उत्पन्न होता है, जब आपके साइटिका तंत्रिका में लगी चोट या फिर जलन के कारण पैरों में दर्द होने लग जाता है | इसके अलावा पीठ या फिर नितंब में सुन्न और झुनझुनी भी हो सकती है, जो आपके पूरे पैरों तक फैलता है | साइटिका से जुड़े लक्षण गंभीर हो सकते है | हमारे शरीर में प्रत्येक दोनों तरफ साइटिका तंत्रिका मौजूद होती है, जो कूल्हे और नितंब से होकर गुजरती है | 

 

साइटिका को मेडिकल टर्म में लंबर रेडीकुलोपैथी के नाम भी जाना जाता है | साइटिका होने का अर्थ है की आपको साइटिका तंत्रिका से जुड़ी नसों में हल्का या फिर तीव्र दर्द हो सकता है | ज्यादातर मामलों में इसके लक्षण को पीठ के निचले हिस्से, कूल्हे में, नितंबो या फिर पैरों के आसपास अनुभव किया जा सकता है | कुछ लक्षण ऐसे भी होते है, जो पैरों की उँगलियों तक फ़ैल सकते है, जो अलग-अलग तंत्रिकाओं पर निर्भर करता है | आइये जानते है साइटिका कितने प्रकार के होते है :- 

साइटिका कितने प्रकार के होते है ?

साइटिका दो प्रकार के होते है, लेकिन चाहे कोई भी प्रकार का साइटिका हो, इसके प्रभाव एक जैसे ही होता है, जिसमें शामिल है :- 

 

  • सच्चा साइटिका :- इस किसी स्थिति में अधिक दबाव पड़ने के कारण या फिर किसी कारणवश लगी चोट के कारण, इसका सीधा असर साइटिका के तंत्रिका पर पड़ता है |  

 

  • साइटिका जैसी स्थिति :- यह ऐसी स्थितियां होती है, जो बिल्कुल साइटिका की तरह लगती है, लेकिन यह साइटिका तंत्रिका या फिर इससे बनने वाले नसों से संबंधित कारणों से उत्पन्न होता है |    

 

आइये जानते है साइटिका के मुख्य लक्षण और कारण क्या है :- 

 

साइटिका के मुख्य लक्षण 

साइटिका से जुड़े लक्षण निम्न लिखित है :- 

 

  • दर्द होना :- प्रभावित तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ने के कारण साइटिका का दर्द हो सकता है | यह दर्द हल्का से लेकर तीव्र भी हो सकता है | दर्द के दौरान जलन, चुभन या फिर सुई की तरह चुभने जैसा अनुभव भी हो सकता है | यह दर्द पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर नितंब और पैरों के पिछले हिस्से तक फैलता सकता है | 

 

  • सुन्नता या फिर कमज़ोरी होना :- साइटिका में पैर या फिर कूल्हे के किसी हिस्से में सुन्नता या फिर कमज़ोरी का अनुभव हो सकता है |

 

  • पैरों में झुनझुनी महसूस होना :- पैरों, पिंडलियों और पैर के तलवे में झुनझुनी का अनुभव हो सकता है | 

 

  • चलने समय दिक्कत होना :- साइटिका का दर्द बढ़ने की वजह से चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है | 

साइटिका के मुख्य कारण 

साइटिका होने के कई कारण हो सकते है, जिनमें शामिल है :- 

 

  • रीढ़ की हड्डी में में हेर्नियेटेड या स्पिल्ड़ डिस्क का होना 
  • पिरिफोर्मिस सिंड्रोम 
  • स्पाइनल स्टेनोसिस के कारण 
  • स्पोंडिलोलिस्थीसिस 
  • न्यूरिटिस 
  • आसन्न हड्डी होना 
  • ट्यूमर की समस्या 
  • गर्भावस्था 
  • आंतरिक रक्तस्राव होने आदि | 

 

साइटिका के कैसे पाएं निदान ? 

स्वास्थ्य सेवा प्रदाता कई तरीकों के संयोजन का उपयोग करके साइटिका की समस्या का निदान कर सकता है |  सबसे पहले वह आपके पिछले चिकित्सा से जुड़े इतिहास के बारे में समीक्षा करेंगे और आपके लक्षणों के बारे में पूछ सकते है | कई तरह के परीक्षण साइटिका से निदान पाने के लिए और इस तरह के स्थिति को खारिज करने में मदद कर सकता है | साइटिका के उपचार आमतौर पर दर्द को कम करने के लिए और गतिशीलता को बढ़ाने में सहायक होते है | इसमें से कुछ उपचार ऐसे भी होते है, जो आप खुद से भी कर सकते है | 

 

यदि आप में से किसी को भी साइटिका और यह ठीक नहीं हो रहा है या फिर स्थिति गंभीर हो गयी है तो इलाज के लिए डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन से मिल सकते है | डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन पंजाब के बेहतरीन ऑर्थोपेडिक में से एक है, जो पिछले 32 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और परामर्श के लिए अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संपर्क कर सकते है |        

 

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हड्डियां और मांसपेशियों के कमज़ोर होने के मुख्य कारण क्या है ?

किस भी व्यक्ति के लिए पूरे जीवन में समग्र स्वास्थ्य और गतिशीलता बनाये रखने के लिए मजबूत हड्डियां और मांसपेशियों का होना अनिवार्य होता है | हालांकि, विभिन्न कारक इन महत्वपूर्ण संरचनायों को कमज़ोर करने में योगदान देती है | आइये जानते है हड्डियां और मांसपेशियों के कमज़ोर होने के मुख्य कारण कौन-से है :- 

हड्डियां के कमज़ोर होने के मुख्य कारण 

 

  • उम्र का बढ़ना :- हड्डियां कमज़ोर होने के सबसे आम कारण है बढ़ती उम्र | जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ने लग जाती है, उनकी हड्डियों में घनत्व कम होने लग जाता है | जिससे ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जो विशेष रूप से हड्डियों को कमज़ोर करने काम करते है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियों में फ्रैक्चर होने का जोखिम कारक बढ़ जाता है | 

 

  • पोषण की कमी होना :- आज के दौर में लोगों के खानपान में इतने बदलाव आ गए है कि उन्हें पूर्ण रूप से पोषण प्राप्त नहीं हो पता | हड्डियों से जुड़ी स्वास्थ्य में अपनी भूमिका निभाने वाले पोषक तत्व कैल्शियम और विटामिन डी का पर्याप्त रूप से सेवन करना बेहद ज़रूरी होता है | इन पोषण तत्वों की कमी होने पर शरीर के हड्डियां कमज़ोर हो सकती है | 

 

  • हार्मोनल परिवर्तन होना :- शरीर में मौजूद हार्मोन्स हड्डियां को प्रभावित कर सकते है | महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान हुए एस्ट्रोजन के स्तर पर गिरावट, हड्डियों को तेज़ी से नुक्सान पहुंचने का कार्य करते है और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने पर ये हड्डियों के घन्तव की कमी होने कारण बन सकते है | 

 

  • शारीरिक प्रतिक्रिया :- मांसपेशियों को मजबूत करने वाली गतिविधियां, एक गतिहीन जीवनशैली के कारण हड्डियां को कमज़ोर कर सकती है | इसलिए हड्डियों को मज़बूत बनाने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करना ज़रूरी होता है |    

 

  • दवाएं के सेवन से :- कुछ दवाओं ऐसे भी होती है, जिसका लम्बे समय तक सेवन करने से हड्डियां कमज़ोर होने लग जाती है, क्योंकि यह दवाएं कैल्शियम अवशोषण और हड्डी के पुनर्निर्माणित में खलल बनने का काम करती है | 

 

  • धूम्रपान और शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करना :- धूम्रपान और अनियमित रूप से शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करने से हड्डियां कमज़ोर हो सकती है | 

 

मांसपेशियों के कमज़ोर होने के मुख्य कारण 

 

  • उम्र के साथ शरीर में मौजूद मांसपेशियों का कमज़ोर होना स्वाभाविक है, इस स्थिति को सरकोपेनिया के रूप से भी जाना जाता है | 
  • न्यूनतम शारीरिक गतिविधि के साथ-साथ एक गतिहीन जीवनशैली मांसपेशी को कमज़ोर कर सकती है | 
  • शरीर में लगी गंभीर चोट की वजह से मांसपेशियां कमज़ोर हो सकती है, जैसे की फ्रैक्चर या फिर संयुक्त अव्ययस्था, जो अनुप्रोयोजित शोष का कारण बनती है |   
  • कुछ न्यूरोलॉजिकल स्थितियां होती है, जो मांसपेशियों को कमज़ोर करने का कार्य करती है | 
  • कुछ गंभीर बीमारियों की वजह से उत्पन्न स्थितियों के कारण भी मासपेशियां कमज़ोर होने लग जाती है |    

हड्डियां और मांसपेशिओं को कमज़ोर होने से ऐसे रोकें ?   

 

संपूर्ण स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए और जटिलताओं को रोकने के लिए हड्डियों और मांसपेशियों को कमज़ोर होने से रोकना बेहद महत्वपूर्ण होता है | कुछ रणनीतियां है, जिसके माध्यम से आप हड्डियां और मांसपेशिओं को कमज़ोर होने से रोक सकते है, जिमें शामिल है :- 

 

  • हड्डियों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए कैल्शियम, विटामिन डी और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर भोजन आहार को अपनी डाइट में शामिल करें | जैसे की दूध से बने उत्पाद और अन्य हरी सब्ज़ियां आदि | 

 

  • नियमित रूप से व्यायाम करने से आप हड्डियां और मांसपेशियों को मज़बूत बना सकते है, जैसे की पैदल चलना, जॉगिंग करना आदि | 

 

  • धूम्रपान और शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन बिलकुल न करें |  

 

यदि आप में कोई भी व्यक्ति ऐसी ही किसी परेशानी से जूझ रहे है और इलाज करवाना चाहते है तो इसमें हुंजन हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या का इलाज कर, इससे छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |

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विटामिन से कमी होने से आंखों की रौशनी के कमी के साथ-साथ हड्डियों में भी होने लगता है दर्द, ऐसे बढ़ाएं इन्टेक

विटामिन बी12 शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व होता है, जो हड्डियों से लेकर ब्रेन और इम्यून सीसैटेम के लिए बेहद  ज़रूरी तत्व माना जाता है | इसलिए जब शरीर में विटामिन बी12 की कमी हो जाती है तो इससे ऑर्गन्स और इन सिस्टम्स पर बहुत हो बुरा असर पड़ता है | हुंजन हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन ने यह बताया की आमतौर पर यह देखा गया है की शरीर और स्वाथ्य के लिए ज़रूरी होने के बावजूद भी लोगों में विटामिन बी12 की कमी होने मामले  सबसे अधिक पाए जाते है | इस आंकड़े यह पता चलता है की लोगों को विटामिन बी12 के सही खुराक के बारे में अभी तक सही जानकारी प्राप्त नहीं हुई है | आइये जानते है विटामिन बी12 की कमी होने के मुख्य लक्षण क्या है :-   

विटामिन बी12 की कमी होने के मुख्य लक्षण 

 

  • एनीमिया और कमज़ोरी होना :- विटामिन बी12 शरीर में रक्त कणिकाओं और प्लेटलेट्स बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को निभाने का काम करती है | इसलिए जब शरीर में विटामिन बी12 की कमी हो जाती है तो इससे प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आने लग जाती है, जो एनीमिया जैसी स्थिति को उत्पन्न करने का कार्य करता है | 

 

  • कमज़ोर हड्डियां :- शरीर में विटामिन बी12 की कमी होने से हड्डियां कमज़ोर होने लग जाती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या उत्पन्न होने का जिखिक कारक बढ़ जाता है | 

 

  • आंखों की रौशनी का कमज़ोर होना :- जब शरीर में विटामिन बी12 कमी हो जाती है तो इससे ऑप्टिक नर्व को भी काफी नुक्सान पहुंचने लग जाता है | जिस वजह से आंखों की दृष्टि में धुँधलापन आ जाता है और साफ-साफ़ देखने में काफी परेशानी होती है |  

 

  • त्वचा से जुड़ी समस्या का उत्पन्न होना :- शरीर में विटामिन बी12 की कमी होने के कारण त्वचा से जुड़ी कई तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जैसे की ड्राई स्किन, हाइपरपिगमेंटेशन, विटिलिगो और स्किन में बार-बार खुजली महसूस होना आदि शामिल है |    

 

विटामिन बी12 की कमी होने पर कौन-से भोजन का सेवन करना चाहिए ?      

 

  • सी-फूड्स जैसे की साल्मन मछली 
  • अंडा और पोल्ट्री से बने पदार्थ  
  • चिकन 
  • दूध, दही, चीज़ और पनीर 
  • पालक, चुकंदर और मशरूम आदि 

यदि आप को भी हड्डियों में दर्द और साफ-साफ़ दिखने में परेशानी हो रही है या फिर ऊपर बताये गए किसी भी लक्षण से गुजर रहे है तो इसका मतलब यह है की आपको विटामिन बी12 की कमी हो गयी है | इसलिए समय रहते डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं, क्योंकि इलाज में देरी होने पर यह स्थिति को गंभीर कर सकते है |

 

इलाज के लिए आप हुंजन हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 32 वर्षों से ओर्थपेडीक से जुडी समस्या से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |     

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Play Safe, Recover Strong: Home Remedies for Minor Sports Injuries and When to See a Doctor

Being involved with sports of any nature comes with the risk of facing orthopaedic injuries on the field. These injuries can range from being easily manageable to requiring surgery – it depends on how badly you have injured yourself. If the injury appears to be manageable, you can try any of the following home remedies to relieve the pain:

  • Proper bed rest: If the pain does not alleviate after a few hours, you can try resting for a day or two.
  • Ice: Using Ice compressions can help with the pain 
  • Pain Medication: Taking some analgesics could help in pain management

 

If the pain persists despite trying everything, you could have sustained a much more serious injury. It is advised that you immediately go see an orthopaedic expert so they can analyze and diagnose you properly. 

 

A serious injury can hinder your ability to play and engage with the sport. It can have an impact on the following muscles: 

  • Knee
  • Elbow
  • Ankle

 

Serious sports injuries can often require an arthroscopy, which can only be done by experts. At Hunjan Hospital, you can find answers to all your orthopaedic needs. With our team of highly-trained and experienced doctors, you are sure to find some sense of peace. We house state-of-the-art technological equipment for your wellness and betterment – including the apparatus to conduct robotic knee surgery. If you are facing any knee-related troubles, book your appointment today and get back in the game.

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30 की उम्र के बाद महिलाओं में दिखने लग जाती है कैल्शियम की कमी के ये 7 लक्षण, जाने कौन से है यह लक्षण

30 से अधिक उम्र वाली महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव दिखने लग जाते है, जिनमे में एक है हड्डियों का कमजोर होना | कैल्शियम एक ऐसा पोषक तत्व है जो दांतों और हड्डियों के लिए बेहद आवश्यक होता है | इस उम्र में कैल्शियम की कमी हो जाती है जिसे कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है | आइये जानते है हड्डियों में कैल्शियम की कमी के 7 ऐसे लक्षण जिसका जानना है बेहद ज़रूरी :- 

 

  1. हड्डियों में दर्द और कमजोरी आना :- कैल्शियम की कमी के बाद हड्डियां काफी कमजोर हो जाती है, जिससे यह हड्डियों में दर्द होने लगता है | यह दर्द ऐसा होता है जो कभी अचानक या धीरे-धीरे होने लगता है | 

 

  1. आसानी से फ्रैक्चर होने की समस्या :- कैल्शियम की कमी से हड्डियां इस हद तक कमजोर हो जाती है इनके आसानी से फ्रैक्चर होने का खतरा भी बढ़ जाता है | हलकी सी चोट से भी यह टूट सकती है | 

 

  1. दांतों से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न होना :- जहाँ कैल्शियम हड्डियों के लिए ज़रूरी है वही यह दांतों के लिए भी है | इसकी कमी दांतो में सड़न और मसूड़ों में सूजन जैसी  समस्या उत्पन्न हो जाती है | 

 

  1. मांसपेशियों में ऐंठन आना :- कैल्शियम के कमी से मांसपेशियों में ऐठन और अकड़न होने लगता है,यह समस्या खासकर रात में समय में उत्पन्न होती है | 

 

  1. थकान और सुस्ती महसूस होना :- कैल्शियम मांसपेशियों और नसों में सही काम करने के लिए आवश्यक होता है, क्योंकि इसकी कमी से शरीर में कमजोरी और सुस्ती छाई रहती है | 

 

  1. नाखून में बदलाव आना :- कैल्शियम की कमी से नाखूनों में खून के सफ़ेद धब्बे दिखाई देने लगते है, जिससे यह कमजोर और भंगुर हो जाते है | 

 

  1. हेयर फॉल की समस्या :- कैल्शियम बालों के विकास का भी कार्य करता है, इसकी कमी से हेयर फॉल की समस्या उत्पन्न हो सकती  है |

 

अगर आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर इस समस्या का इलाज

कराएं | आप हुन्जुन हॉस्पिटल का चयन भी कर सकते हैं यहां के डॉक्टर ऑर्थोपेडिक में एक्सपर्ट है जो आपको इस समस्या से मुक्त करने में सहायता करेंगे |

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विभिन्न चीजें जो जोड़ों में अकड़न और दर्द का कारण बनती हैं ?

जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपकी उपास्थि- स्पंजी सामग्री जो आपकी हडियो के सिरों की रक्षा करती है- सूखने और लगती है। आपका शरीर भी कम श्लेष द्रव बनाता है, वह पदार्थ जो आपके जोड़ों के सुचारु रूप से चलाने के लिए तेल की तरह काम करता है। परिणाम: आपके जोड़ अब पहले की तरह स्वतंत्र रूप से नहीं चल सकेंगे। आपके जोड़ों को ढीला रखने के लिए श्लेष द्रव को गति की आवश्यकता होती है।  

 

जोड़ वह स्थान है जहां दो हड्डियाँ मिलती है। प्रत्येक हड्डी का सिरा रबर युक्त पदार्थ की एक परत से ढका होता है जिसे उपास्थि कहते है। यह उन्हें आपस में रगड़ने से बचाता है। लेकिन समय के साथ या चोट लगने के बाद उपास्थि घिस सकती है। जब यह खत्म हो जाता है तो हड्डियां एक दूसरे से टकराती है और कभी कभी, छोटे- छोटे टुकड़े टूट जाते है। परिणाम स्वरूप जोड़ कड़ा, सुजा होआ और दर्दनाक हो जाता है। 

कार्ब्स और शुगर से रहें दूर

यह व्यापक रूप से ज्ञात है के चीनी का अधिक सेवन मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग का कारण बनता है लेकिन क्या आप जानते है कि यह आपकी मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में भी योगदान दे सकता है। शोध से पता चलता है कि अधिक चीनी वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से सूजन हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ इंसुलिन नामक हार्मोन में वृद्धि का कारण बनते हैं जो जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं का एक सिलसिला शुरू करता है जिससे सूजन पैदा होती है। परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार गठिया से पीड़ित लोगों में सूजन बढ़ सकता है। परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार गठिया से पीड़ित लोगों में सूजन बढ़ सकता है।

प्रोसेस्ड मीट का सेवन

           प्रसंस्कृत मांस में नाइट्राइट और प्यूरीन होते हैं। ये रसायन सूजन बढ़ाते हैं और जोड़ों के दर्द का कारण बनते।   हॉट डॉग, कॉर्न बीफ़, बेकन और सॉसेज जैसे मांस सभी संसाधित होते हैं और इनसे बचना चाहिए। इसके बजाय दुबले, ताजे मांस के टुकड़े लें।

फ्राइड फूड्स और फैट से बनाएं दूरी

तले हुए खाद्य पदार्थों में संतृप्त वसा अधिक और ओमेगा-3 फैटी एसिड कम होता है। यह संयोजन पूरे शरीर में सूजन पैदा करता है और जोड़ों के दर्द को बदतर बना देता है। तले हुए चिकन को त्यागें और इसके बचाय इसे ग्रिल्ड या बैक करके खाने का प्रयास करें। आपको जोड़ों के दर्द से परेशान हुए बिना स्वादिष्ट स्वाद मिलेगा। 

धूम्रपान का सेवन

आपका सिनोबियम, वह ऊतक जो आपके जोड़ों को रेखा बुद्ध करता है, सूजन और गाढ़ा हो सकता है। तम्बाकू के धुएं में मुक्त कणों जैसे बहुत सारे हानिकारक पदार्थ शामिल होते हैं। वे आपके शरीर पर तनाव डालते हैं और सूजन पैदा कर सकते हैं। धूम्रपान करने वालों के शरीर में साइटोकिन्स नामक सूजन संबंधी प्रोटीन का स्तर अधिक होता है  

 डेयरी प्रोडक्ट्स

संतृप्त वसा से भरपूर आहार- जो पनीर और पूर्ण वसा वाले डेयरी उत्पादों में प्रचुर मात्रा में होता है- सूजन को बढ़ा सकता है। डायरी में उच्च स्तर का प्रोटीन कैसिइन होता है। इस प्रकार का प्रोटीन जोड़ों में सूजन और दर्द पैदा करता है, और यहां तक कि जोड़ों के आसपास जलन में भी योगदान दे सकता है। कुछ डेयरी उत्पाद, जैसे मक्खन, में उच्च मात्रा में संतृप्त वसा होती है। यह सूजन और जोड़ों के दर्द में भी योगदान दे सकता है।

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Different types of orthopedic surgery

Orthopedic Surgery is related to the musculoskeletal system. It is related to the surgery of diseases and injuries related to the bones, muscles, ligaments, tenders and soft tissues. It is the complex system of the musculoskeletal system, including bones, muscles, soft tissues, ligaments and tenders, which helps in moving the body. Orthopedic surgery deals with the issue with any part of the musculoskeletal system. For more details, you can consult an ortho hospital in India.

Different types of orthopedic surgeries

  • Joint Replacement Surgery: This surgery involves a procedure of removing a damaged joint and replacing it with an artificial joint to relieve the pain. It generally includes joints of the hips, knee, shoulder, etc.
  • Arthroscopy: Arthroscopic surgery is a procedure to correct torn ligaments or cartilage damage. In this procedure, a small camera and specialized instruments were put inside to resolve the issue.
  • Spine surgery: Spine surgery includes various conditions such as herniated discs, spinal deformities, or spinal stenosis. Correcting these problems through surgery comes under orthopedic surgery.
  • Fracture repair: Orthopedic surgeons perform surgeries to repair, realign and stabilize broken bones using different techniques.
  • Ligament and tendon repair: Surgeries are done to repair the torn ligaments or tendons present in the knee or shoulder.
  • Hand and wrist surgery: Conditions like carpal tunnel syndrome, trigger finger, hand/ wrist fractures, etc., need the surgery procedure and come in the ortho surgeon department.
  • Foot and Ankle Surgery: Orthopedic surgeons perform surgeries to correct problems such as bunions, ankle fractures, or Achilles tendon injuries.

The procedure of the Orthopedic Surgery

  • Preoperative evaluation: Before the surgical operation, some preoperative evaluation will be done in which the patient will go through a physical examination, which generally includes a review of medical history, X-rays or MRI scans, etc. 
  • Anesthesia: On the day of the surgery, the patient will be laid down on the bed comfortably and will be given Anesthesia later on to make the surgical operation pain-free for the patient. 
  • Incision: After anesthesia, the surgeon will make an incision to access the affected area. The size and location of the incision will depend on the procedure of the orthopedic surgery being performed.
  • Surgical Intervention: Surgical intervention generally means the necessary steps taken by the surgeon to deal with the affected area, which involves realigning fractured bones, repairing fractured bones, removing damaged tissues or replacing joints with artificial implants.
  • Closure: When the surgical intervention is done, the surgeon will carefully close the incision by using staples. With the help of proper dressing and bandages on the surgical site, proper protection would be provided to it.
  • Recovery: After the surgery is done, the patient is asked to stay in the recovery area for observation to avoid further complexities.

Orthopedic surgeons are trained to perform these surgeries. They analyze your condition closely and perform the surgery according to your situation.

For more assistance can check the Best ortho doctor in India.

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Types and common risks of Orthopedic surgery.

An orthopedic surgeon is a medical professional who analyzes, detects, and treats the problems related to the bones, joints, ligaments, tendons, and muscles. It is a doctor who deals with the musculoskeletal system. Every person in their life faces a problem related to their musculoskeletal system, and it is best advised to see an ortho doctor, the Best ortho doctor in India, to deal with the problem.

What is orthopedic surgery?

Orthopedic surgery is related to the diagnosis, treatment, and prevention of conditions affecting the musculoskeletal system. This includes the bones and joints. Muscles, nerves and tissues. Orthopedic surgeries are used to perform surgeries related to conditions such as fractures, joint replacement, spinal disorders, sports injuries, and more. They work closely with other healthcare professionals, such as physical therapists and rehabilitation specialists to guide the patient properly and help him to regain the momentum of their life again. For details can check ortho hospitals in India.

Different types of orthopedic surgeries:

  • Joint Replacement Surgery: This surgery involves a procedure of removing a damaged joint and replacing it with an artificial joint to relieve the pain. It generally includes joints of the hips, knee, shoulder, etc.
  • Arthroscopy: Arthroscopic surgery is a procedure to correct torn ligaments or cartilage damage. In this procedure, a small camera and specialized instruments were put inside to resolve the issue.
  • Spine surgery: Spine surgery includes various conditions such as herniated discs, spinal deformities, or spinal stenosis. Correcting these problems through surgery comes under orthopedic surgery.
  • Fracture repair: Orthopedic surgeons perform surgeries to repair, realign and stabilize broken bones using different techniques.
  • Ligament and tendon repair: Surgeries are done to repair the torn ligaments or tendons present in the knee or shoulder.
  • Hand and wrist surgery: Conditions like carpal tunnel syndrome, trigger finger, hand/ wrist fractures etc, need the surgery procedure and come in the ortho surgeon department.
  • Foot and Ankle Surgery: Orthopedic surgeons perform surgeries to correct problems such as bunions, ankle fractures, or Achilles tendon injuries.

What are the types of injuries that require surgery?

  • Fractures
  • Ligaments
  • Overuse injuries
  • Sprains
  • Impingement of any joint etc.

What are the common risks after the spine surgery?

  • Bleeding inside the spinal column
  • Leaking of the spinal fluid
  • Accidental damage to the blood vessel
  • Accidental damage to a nerve
  • Dural tear
  • Decreased range of motion

Measures to manage any risk and pain after the surgery:

  • Choosing experienced surgeon
  • Carefully following pre-surgery instructions
  • Communicate with your health care team
  • Doing regular exercise
  • Follow post-surgery instruction
  • Taking proper medications as suggested
  • Use ice or cold packs in the affected area
  • Practice the proper positioning and maintaining good posture
  • Take proper rest and avoid strenuous movements
  • Heat therapy to relax muscles and relieve pain should be done.

Orthopedic surgeons are trained to perform these surgeries. They analyze your condition closely and perform the surgery according to your situation.

For more assistance can check the Best ortho doctor in India.