मानसिक मंदता, जिससे बौद्धिक अक्षमता भी कहा जाता है, यह एक ऐसी समस्या होती है, जो किसी के भी विकास को गंभीर र्रोप से प्रभावित कर सकती है | यह समस्या शिशु के विकास से लेकर 18 साल के बीच तक कभी भी उत्पन्न हो सकता है | इस समस्या से पीड़ितों में सिखने की क्षमता और बुद्धिमता अपने उम्र के अन्य बच्चों के मुकाबले काफी कम होती है | अपनी इसी अक्षमता के चलते पीड़ितों को सामान्य गतिविधि को करने में भी परेशानी होती है | यह समस्या जन्म या फिर बचपन से ही पीड़ित मरीज़ों में मौजूद रहती है | मानसिक मंदता होने के कई कारण हो सकते है, जिसका असर बेहद कम से लेकर अधिक तक हो सकता है | जो लोग मानसिक मंदता से प्रवभावित होते है, उन्हें निम्नलिखित कार्यों को करने में परेशानी हो सकती है,
- किसी से बात करने में
- खुद का ख्याल रखने में ]
- रोज़ाना जीवनशैला
- सामाजिक कुशलता
- समुदाय से संपर्क करने में
- खुद का संचालन करने में
- स्वास्थ्य और सुरक्षा करने में
- स्कूल से संबंधित गतिविधियों को करने में
- खाली समय में कोई गतिविधि करने में आदि |
मानसिक मंदता कितने प्रकार के होते है ?
मानसिक मंदता को चार भागों में विभाजित किया गया है, पीड़ितों को इन सभी मे से एक स्तर बुद्धि परीक्षण में किये गए प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है | इसके साथ ही इस परीक्षण के दौरान इस बात का भी सुनिश्चित किया जाता है की इससे पीड़ित मरीज़ कितने अच्छे से बातचीत कर लेता है और कितनी जल्दी समाजिक तौर पर घुलने-मिलने जैसी चीज़ें सीख पता है |
- सौम्य या फिर बेहद कम बौद्धिक अक्षमता :- मानसिक मंदता से पीड़ित व्यक्ति जिनका आईक्यू स्तर की अधिकतम संख्या 55 से लेकर 69 तक होती है, उन्हें सौम्य मानसिक मंदता माना जाता है | सौम्य मानसिक मंदता से ग्रस्त बच्चों में अक्सर तब तक पता नहीं चलता, जब तक वह अच्छे से अपने स्कूल के दिनों में ना आ जाएं | अधिकतर मामलों में वह अन्य बच्चों की तुलना में चलने, बात करने और खाना खाने में थोड़े धीमे होते है |
- मध्यम बौद्धिक अक्षमता :- मध्यम बौद्धिक अक्षमता से वह लोग ग्रसित होते है, जिनका आईक्यू स्तर की अधिकतम संख्या 40 से लेकर 54 तक होती है | इससे पीड़ित व्यक्ति अक्सर अपनी शारीरिक मांसपेशियों के कार्य या फिर बोलने जैसे कार्य काफी देर से शुरू करते है | हलाकि इन पीड़ितों में अकादमिक कौशल को प्राप्त करने की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन वे कुछ स्वास्थ्य से जुड़ी आदतें और सुरक्षा की आदतें, बुनयादी बात-चीत और अन्य सामान्य कौशल को सीख सकते है |
- गंभीर बौद्धिक अक्षमता :- जिन व्यक्ति का आईक्यू स्तर की अधिकतम संख्या 20 से लेकर 39 तक होती है उनकी समस्या को गंभीर मानसिक मंदता की समस्या माना जाता है | इस समस्या की जांच जन्म के समय या फिर जन्म के कुछ समय बाद स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा कर ली जाती है | स्कूल जाने की उम्र से पहले ही उन बच्चों में मांसपेशियों के कार्य करने में देरी, बात करने की क्षमता का बहुत ही कम या फिर न के बराबर दिखाई देने लग जाता है |
- गहन बौद्धिक अक्षमता :- जिन व्यक्ति का आईक्यू स्तर की अधिकतम संख्या 0 से लेकर 24 तक होती है उनकी समस्या को गहन मानसिक मंदता की समस्या माना जाता है | इस समस्या का पता आम तौर पर उस बच्चे के जन्म के दौरान ही पता लग जाता है और उन बच्चों को नर्सिंग देखभाल में रखने की आवश्यकता पड़ जाती है | जो बचे गहन मानसिक मंदता का शिकार हो जाते है, उन्हें निरंतर देख-रेख में रखने की आवश्यकता होती है |
मानसिक मंदता के मुख्य लक्षण
मानसिक मंदता के लक्षण निम्नलिखित है :-
- मौखिक भाषा के विकास में देरी होना
- याद्दाश्त कमज़ोर होना
- किसी भी समस्या को सुलझाने में परेशानी होनी
- स्वयं की देखभाल करने में परेशानी होनी
- सामाजिक विकास का धीमा होना
- घर के अन्य काम को परेशानी होनी
- समय प्रबंधन और धन जैसे अवधारणाओं को समझने में परेशानी होनी
- नए लोगों से बात करने में झिझकना आदि |
मानसिक मंदता होने के मुख्य कारण
मानसिक मंदता कई कारणों से उत्पन्न हो सकता है, जिनमें शामिल है :-
- अनुवांशिक की वजह से
- जन्म से पहले या फिर जन्म के बाद होने वाली बीमारियां
- आयोडीन की कमी के कारण
- माँ से होने वाले संक्रमण के कारण
- अधिक तनाव में रहने से
- चोट या फिर किसी गंभीर दुर्घटना के कारण
- मस्तिष्क में ट्यूमर की वृद्धि
- विषाक्त जोखिम कारक जैसे की सीसा पारा आदि |
मानसिक मंदता से कैसे पाएं निदान ?
मानसिक मंदता से निदान पाने के लिए यह ज़रूरी है की इससे पीड़ित व्यक्ति मनोचिकित्सक से परामर्श करें | इसके इलाज के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपकी स्थिति की परीक्षण करेगा और आपके आईक्यू स्तर के अधिक संख्या की जांच करेगा | यदि आपका आईक्यू स्तर की अधिकतम संख्या 69 से कम आता है तो इसके बाद ही वह अगले टेस्ट और इलाज की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है, जैसे की प्रयोगशाला जाँच, अनुवांशिक परामर्श, इमेजिंग परीक्षण अदि |
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या का उत्पन्न होने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द सलाह लेने में ही समझदारी है, क्योंकि समय पर ध्यान न देने और इलाज न करवाने पर यह आगे जाकर क्रोनिक रोग में तब्दील हो सकती है | यदि आप में से कोई भी व्यक्ति ऐसी ही परिस्थिति से गुजर रहा है तो वह इलाज के लिए हुंजन हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | हुंजन हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर तरलोचन सिंह पंजाब के बेहतरीन साइकोथेरेपिस्ट में से एक है, जो पिछले 10 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का स्थयी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और परमर्श के लिए अपनी नियुक्ति को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |
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