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नाबालिगों के जोड़ों में दर्द और सूजन होने के शुरूआती संकेत और लक्षण क्या होते है ?

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस, नाबालिगों और वयस्कों में होने वाला सबसे आम किस्म का अर्थराइटिस होता है | यह आमतौर पर हाथों, घुटनों, पैर के टखनों, कोहनी या फिर कलाई के जोड़ों में सूजन और दर्द का कारण बनते है | इसके साथ ही यह शरीर के अन्य भागों को भी काफी हद तक प्रभावित कर देती है | जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस को पहले जुवेनाइल रूमेटाइड अर्थराइटिस के नाम से जाना जाता था, क्योंकि यह वयस्कों में होने वाली बीमारी बच्चों के संस्करण वाला नहीं होता है, इसलिए इसका नाम बदल दिया गया था | “जुवेनाइल अर्थराइटिस” शब्द का इस्तेमाल उन सभी जोड़ों से जुडी स्थिति का वर्णन करने के लिए जाता है, जो नाबालिगों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकती है | 

 

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस एक प्रकार का ऑटोइम्म्युन और आउटइंफ्लामेन्ट्री से जुड़ा रोग होता है | इस मतलब यह हुआ की प्रतिरक्षा प्रणाली, जो शरीर में मौजूद कीटाणुओं और वायरस जैसे आक्रमणकारियों से लड़ने का कार्य करती है, वह भ्रमित हो जाते है और शरीर में मौजूद ऊतकों पर हमला करने लग जाते है | इसके अलावा यह शरीर में सूजन का कारण बनते है, जो जोड़ों के चारों ओर बने ऊतक अस्तर पर हमला करने लग जाते है, जिनका काम ऐसे तरल पदाथ का उत्पादन करना होता है, जो चलन में आसानी और जोड़ों को कुशन करने में मदद करता है | सिनोवियम के जोड़ में आये सूजन से, दर्द या फिर कोमलता का महसूस हो सकता है, जिससे यह लाल और सुजा हुआ लग सकता है और हिलने-जुलने में परेशानी हो सकती है | आइये जानते है जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस के मुख्य लक्षण कौन-से है :- 

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस के मुख्य लक्षण

 

  • शरीर के जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न होना 
  • लंबे समय तक एक ही स्थिति में सोने से जोड़ों में अकड़न और दर्द का अनुभव होना | 
  • आंखों में धुंधलापन आना, लालिमा, दर्द का अनुभव या फिर चमकदार रोशनी देखने परेशानी होना  
  • त्वचा में लाल धब्बेदार और चकत्ते वाले दाने का उत्पन्न होना   
  • बुखार का होना 
  • अधिक थकान या फिर कमज़ोरी महसूस होना 
  • भूख न लगना 

 

बच्चों में होने वाले जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस के विशिष्ट प्रकार 

 

  • आलिगोअर्थराइटिस :- यह अर्थराइटिस चार या फिर उससे भी अधिक जोड़ों को प्रभावित कर सकता है, खासकर शरीर में मौजूद बड़े जोड़ों को जैसे की घुटने, पैर के टखने और कोहनी आदि | यह जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस का सबसे आम उपप्रकार होता है | 

 

  • पॉलीअर्थराइटिस :- दरअसल यह एक गठिया का रूप होता है, जिसे पॉलीआर्टिकुलर गठिया के नाम से भी जाना जाता है | यह बीमारी घुटनों को गंभीर रूप से ग्रस्त कर सकता है | पॉलीअर्थराइटिस से जोड़ों में सूजन और फ्रैक्चर की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है |  

 

  •  प्रणालीगत :- प्रणालीगत का मतलब है, शरीर के किसी विशिष्ट अंग या फिर जोड़ को प्रभावित करने के बजाए, पूरे शरीर को प्रभावित करना | इसके लक्षणों में तेज़ भुखार शामिल हो सकता है, जिसमें शरीर का तापमान 103 °F या फिर इससे भी अधिक होता है और यह दो सप्ताह या फिर उससे भी अधिक समय तक रह सकता है |     

     

  • सोरियाटिक गठिया :- यह गठिया तब होता है, जब आपके शरीर में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रमित हो जाता है और स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करने लग जाता है | इस बीमारी के लक्षण में आपको जोड़ों के साथ-साथ कानों के पीछे या फिर पलकों, कोहनी, घुटनों, नाभि और खोपड़ी पर पपड़ीदार दाने दिखाई दे सकता  है | इस अलावा ये बीमारी एक या फिर एक से अधिक जोड़ों को एकसाथ प्रभावित कर सकती है | 

 

  • एन्थेसाइटिस-संबंधी :- इस अर्थराइटिस को स्पोंडिलोअर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है | यह आमतौर पर शरीर के उस हिस्से को प्रभावित करता है, जहाँ मांसपेशियां, स्नायुबंधन या फिर टेंडन हड्डी से जुडते है | ज्यादातर मामलों में यह अर्थराइटिस  कूल्हे, घुटनों और पैरों को सबसे अधिक प्रभावित करते है, लेकिन यह उंगलियां, कोहनी, श्रोणि, छाती, पाचन तंत्र और पीठ के निचले को भी प्रभावित करने के सक्षम होते है | यह अर्थराइटिस लड़कों में, जिनकी उम्र आठ से 15 है, उनमें सबसे अधिक दिखयी दे सकते है |      

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस होने के मुख्य कारण  

 

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस होने के सही और मुख्य कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन कुछ कारकों से यह बीमारी होने की पुष्टि की जा सकती है, जिसमें शामिल है :- 

 

  • जीआईए एक प्रकार की ऑटोइम्म्युन बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रमित होकर जोड़ों पर हमला कर देती है | 
  • जीआईए अनुवांशिक, संक्रमण और पर्यावरण के कारकों से उत्पन्न हो सकता है |
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि एक ही परिवार में दो लोगों को जीआईए होने की संभावना बहुत कम होती है | 

 

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस से कैसे पाएं निदान ? 

 

जीआईए का उपचार इसके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है, क्योंकि हर बीमारी के लक्षण विभिन्न होते है | यदि आप एक अच्छी योजना में स्वस्थ जीवनशैली की आदतें को शामिल करते है तो इससे इस समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है | यदि यह सब करने के बावजूद आपकी स्थिति पर किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा है तो बिना समय को गवाएं तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं | 

 

इलाज के लिए आप हुंजन हॉस्पिटल से भी परामर्श कर सकते है | इस संस्था में मौजूद डॉक्टर्स पंजाब के बेहतरीन ऑर्थोपेडिक्स में से एक है, जो पिछले 32 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज करने में मदद कर रहे है | इसलिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट में मौजूद नंबरों से संपर्क कर अपनी नियुक्ति की बुकिंग करवा सकते है |       

    

 

               

 

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साइटिका क्या होता है, इसके लक्षण, कारण और कैसे करें इलाज ?

साइटिका एक ऐसी दर्दनाक स्थिति होती है, जो साइटिका तंत्रिका पर बार-बार दबाव पड़ने पर या फिर उसके नुक्सान पहुंचने से उत्पन्न होता है | यह तंत्रिका हमारे शरीर में पीठ के निचले हिस्से से शुरू हो कर पैरों में फैलता है | साइटिका का अर्थ है पैरों में दर्द, कमज़ोरी, सुन्नपन या फिर झझुनझुनि होना | साइटिका एक चिकित्सक लक्षण है, जो अपने आप कोई चिकित्सक स्थिति नहीं होता | आइये जानते है साइटिका के बारे में विस्तारपूरक से :- 

 

साइटिका क्या होता है ? 

साइटिका तब उत्पन्न होता है, जब आपके साइटिका तंत्रिका में लगी चोट या फिर जलन के कारण पैरों में दर्द होने लग जाता है | इसके अलावा पीठ या फिर नितंब में सुन्न और झुनझुनी भी हो सकती है, जो आपके पूरे पैरों तक फैलता है | साइटिका से जुड़े लक्षण गंभीर हो सकते है | हमारे शरीर में प्रत्येक दोनों तरफ साइटिका तंत्रिका मौजूद होती है, जो कूल्हे और नितंब से होकर गुजरती है | 

 

साइटिका को मेडिकल टर्म में लंबर रेडीकुलोपैथी के नाम भी जाना जाता है | साइटिका होने का अर्थ है की आपको साइटिका तंत्रिका से जुड़ी नसों में हल्का या फिर तीव्र दर्द हो सकता है | ज्यादातर मामलों में इसके लक्षण को पीठ के निचले हिस्से, कूल्हे में, नितंबो या फिर पैरों के आसपास अनुभव किया जा सकता है | कुछ लक्षण ऐसे भी होते है, जो पैरों की उँगलियों तक फ़ैल सकते है, जो अलग-अलग तंत्रिकाओं पर निर्भर करता है | आइये जानते है साइटिका कितने प्रकार के होते है :- 

साइटिका कितने प्रकार के होते है ?

साइटिका दो प्रकार के होते है, लेकिन चाहे कोई भी प्रकार का साइटिका हो, इसके प्रभाव एक जैसे ही होता है, जिसमें शामिल है :- 

 

  • सच्चा साइटिका :- इस किसी स्थिति में अधिक दबाव पड़ने के कारण या फिर किसी कारणवश लगी चोट के कारण, इसका सीधा असर साइटिका के तंत्रिका पर पड़ता है |  

 

  • साइटिका जैसी स्थिति :- यह ऐसी स्थितियां होती है, जो बिल्कुल साइटिका की तरह लगती है, लेकिन यह साइटिका तंत्रिका या फिर इससे बनने वाले नसों से संबंधित कारणों से उत्पन्न होता है |    

 

आइये जानते है साइटिका के मुख्य लक्षण और कारण क्या है :- 

 

साइटिका के मुख्य लक्षण 

साइटिका से जुड़े लक्षण निम्न लिखित है :- 

 

  • दर्द होना :- प्रभावित तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ने के कारण साइटिका का दर्द हो सकता है | यह दर्द हल्का से लेकर तीव्र भी हो सकता है | दर्द के दौरान जलन, चुभन या फिर सुई की तरह चुभने जैसा अनुभव भी हो सकता है | यह दर्द पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर नितंब और पैरों के पिछले हिस्से तक फैलता सकता है | 

 

  • सुन्नता या फिर कमज़ोरी होना :- साइटिका में पैर या फिर कूल्हे के किसी हिस्से में सुन्नता या फिर कमज़ोरी का अनुभव हो सकता है |

 

  • पैरों में झुनझुनी महसूस होना :- पैरों, पिंडलियों और पैर के तलवे में झुनझुनी का अनुभव हो सकता है | 

 

  • चलने समय दिक्कत होना :- साइटिका का दर्द बढ़ने की वजह से चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है | 

साइटिका के मुख्य कारण 

साइटिका होने के कई कारण हो सकते है, जिनमें शामिल है :- 

 

  • रीढ़ की हड्डी में में हेर्नियेटेड या स्पिल्ड़ डिस्क का होना 
  • पिरिफोर्मिस सिंड्रोम 
  • स्पाइनल स्टेनोसिस के कारण 
  • स्पोंडिलोलिस्थीसिस 
  • न्यूरिटिस 
  • आसन्न हड्डी होना 
  • ट्यूमर की समस्या 
  • गर्भावस्था 
  • आंतरिक रक्तस्राव होने आदि | 

 

साइटिका के कैसे पाएं निदान ? 

स्वास्थ्य सेवा प्रदाता कई तरीकों के संयोजन का उपयोग करके साइटिका की समस्या का निदान कर सकता है |  सबसे पहले वह आपके पिछले चिकित्सा से जुड़े इतिहास के बारे में समीक्षा करेंगे और आपके लक्षणों के बारे में पूछ सकते है | कई तरह के परीक्षण साइटिका से निदान पाने के लिए और इस तरह के स्थिति को खारिज करने में मदद कर सकता है | साइटिका के उपचार आमतौर पर दर्द को कम करने के लिए और गतिशीलता को बढ़ाने में सहायक होते है | इसमें से कुछ उपचार ऐसे भी होते है, जो आप खुद से भी कर सकते है | 

 

यदि आप में से किसी को भी साइटिका और यह ठीक नहीं हो रहा है या फिर स्थिति गंभीर हो गयी है तो इलाज के लिए डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन से मिल सकते है | डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन पंजाब के बेहतरीन ऑर्थोपेडिक में से एक है, जो पिछले 32 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और परामर्श के लिए अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संपर्क कर सकते है |        

 

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जोड़ो के दर्द के इलाज के लिए पीआरपी इंजेक्शन लगवाने के क्या है फायदे ?

एक व्यक्ति को जोड़ों में दर्द कई कारणों से उत्पन्न हो सकता है, जैसे की  अत्यधिक उपयोग करने से,किसी भी कारण वर्ष लगी गंभीर चोट या फिर गठिया की वजह से आदि | चाहे यह जोड़ों में होने वाला दर्द हल्का हो या फिर गंभीर, हर तरह से यह दर्द आपके रोज़मर्रा कामों में बाधा बन सकता है और आपके प्रतिक्रियाओं को भी सिमित कर सकता है | आइये जानते है जोड़ों में दर्द होने के मुख्य कारण क्या है :- 

जोड़ो में दर्द होने के मुख्य कारण :- 

 

  • आथ्रॉइटिस, जिसे गठिया भी कहा जाता है | 
  • खेल के दौरान चोट का लगना  
  • बर्साइटिस :- बार्स में उत्पन्न एक दर्दनाक सूजन होती है, यह तरल पदार्थ से भरी एक थैली होती है, जो ऊतकों के बीच घर्षण को कम करने का कार्य करती है |  
  • टेंडोनाइटिस :- टेंडन में उत्पन्न एक सूजन होती है, जो शरीर में मौजूद किसी भी टेंडन में हो सकता है | 
  • जोड़ों का अत्यधिक उपयोग करने से 
  • गाउट :- यह गठिया का एक प्रकार होता है, जब शरीर में अत्यधिक यूरिक एसिड जमा होने लग जाता है, तो इसे जोड़ों में सूजन आ जाती है |    

 

गठिया एक स्थिति है जिसमें यह आपके जोड़ों को सहारा देने वाले ऊतकों को नुक्सान पहुंचने का कार्य करते है, जिससे हड्डिया आपस में रगड़कर घर्षण और दर्द को उत्पन्न करती है | जिससे आपके जोड़ों में सूजन भी पैदा हो सकता है | लेकिन घबराएं नहीं, आज के दौर में विज्ञान ने इतनी उन्नत हासिल कर ली है और ऐसे लेटेस्ट उपकरणों और तकनीक को लांच किया है, जिसके जरिये शरीर के जोड़ो से जुडी कई तरह की समस्या का सटीकता से इलाज किया जा सकता है, उन्ही में से एक है पीआरपी इंजेक्शन | पीआरपी इंजेक्शन जोड़ों से संबंधित समस्याओं से पीड़त मरीज़ों के लिए एक आशाजनक रास्ता प्रदान करता है, जिसके माध्यम से जोड़ों में उत्पन्न दर्द का आसानी से इलाज किया जा सकता है | आइये जानते है पीआरपी इंजेक्शन के बारे में और इससे कौन-कौन फायदे प्राप्त हो सकते है :- 

 

पीआरपी इंजेक्शन क्या है ? 

 

जोड़ों के दर्द के लिए पीआरपी इंजेक्शन, प्लेटलेट रिच प्लाज़्मा का उपचार है | जिसमें मरीज़ के खून में से प्लेटलेट को अलग करके एक गाढ़ा गोल बनाया जाता है, फिर इस गोल को दर्द हो रहे हिस्से में इंजेक्शन के जरिये इंजेक्ट कर दिया जाता है | पीआरपी इंजेक्शन की मदद से जोड़ो के दर्द से काफी राहत पाया जा सकता है और यह कार्य में सुधर लाने में भी मदद  करता है | यह उपचार गठिया, कूल्हे, घुटने और कंधे के दर्द के लिए बेहद फायदेमंद होते है | आइये जानते है पीआरपी इंजेक्शन को लगवाने से कौन-कौन से लाभ प्राप्त हो सकते है :- 

 

पीआरपी इंजेक्शन लगवाने से कौन-कौन से लाभ प्राप्त हो सकते है ? 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन से जोड़ों में उत्पन्न सूजन, दर्द और अकड़न को कम किया जा सकता है | 

 

  • इससे जोड़ों में मौजूद चिकनाई को बढ़ावा मिलता है और जोड़ों से काम करना भी काफी बेहतर हो जाता है | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन क्षतिग्रस्त हुए ऊतकों के पुनर्निर्माण करने में मदद करता है | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन असर बड़ी तीव्रता से करता है और शरीर में प्राकृतिक तरीके से कोशियों को विकसित करता है |
  • पीआरपी इंजेक्शन में प्लेटलेट्स मौजूद होते है, जो रक्त में थक्के को बनाने का काम करता है और कोशिका प्रजनन को बढ़ाता है | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन के उपयोग से कठोर दवाओं का सेवन और ओपिओइड का प्रयोग कम हो जाता है | 

पीआरपी इंजेक्शन से जुड़े कुछ ज़रूरी बातें 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन में मरीज़ के खून का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इससे किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव या फिर अस्वीकृत होने का कोई भी खतरा नहीं होता | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन से जोड़ों के दर्द से आराम मिलने के साथ-साथ इससे उपास्थि भी मरम्मत हो जाती है | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन को लगाने के कुछ ही दिनों बाद जोड़ो का दर्द काफी हद तक काम हो जाता है और इससे गतिविधियां फिर से शुरू की जा सकती है | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन के पूरा उपचार की प्रक्रिया कम से कम तीन से छह महीना तक चल सकता है |

 

  • पीआरपी इंजेक्शन से पड़ने वाला सबसे आम दुष्प्रभाव है, इंजेक्शन वाले जगह पर दर्द और सूजन होना, जो आमतौर पर कुछ ही दिनों में चला जाता है |   

 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति जोड़ों में हो रहे दर्द की समस्या से पीड़ित है पर स्थायी रूप से अपना इलाज करवाना चाहता है तो इसमें हुंजन हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था में मौजूद प्रत्येक डॉक्टर पंजाब के बेहतरीन ऑर्थोपेडिक्स में से एक है, जो पिछले 32 वर्षो से जोड़ो से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |

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लंबर दीकम्प्रेशन सर्जरी क्या होती है और इसकी मदद से किन-किन समस्याओं का किया जाता है निदान ?

हुन्जुन हॉस्पिटल के अध्यक्ष और सह-संस्थापक डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया कि लंबर दीकम्प्रेशन एक ऐसी सर्जरी होती है जिसका उपयोग निचली रीढ़ की हड्डी में संपीड़न नसों के इलाज के लिए निर्वहन में किया जाता है | हालाँकि किसी व्यक्ति के काठ में संपीडन होना एक गंभीर स्थिति होती है, जिसकी वजह से व्यक्ति को असहनीय दर्द और चलने-फिरने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है | जिसके चलते स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा इस समस्या के इलाज के लिए लंबर दीकम्प्रेशन सर्जरी की सलाह की जाती है | आइये जानते है लंबर दीकम्प्रेशन सर्जरी किन-किन समस्याओं का निदान किया जाता है :- 

 

  • साइटिका एक ऐसी समस्या है, जिससे पीड़ित व्यक्ति को रीढ़ हड्डी के निचले हिस्से से होते निचे पैरों तक में तीव्र दर्द और झुनझुनी का अनुभव होने लग जाता है, जो एक या एक से अधिक नसों का प्रभावित कर सकते है | जब साइटिका की स्थिति गंभीर जाती है तब इसका इलाज लंबर दीकम्प्रेशन सर्जरी के माध्यम से किया जाता है |  
  • हर्नियेटेड डिस्क 
  • अपक्षयी डिस्क का होना 
  • रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में किसी नस का दबा होना, जिस कारण दर्द और झुनझुनी उत्पन्न होती है | 
  • स्पाइनल स्टेनोसिस, जिसमे रीढ़ की हड्डी में सिकुड़न की समस्या उत्पन्न हो जाती है | 

 

अब अगर बात करें की यह सर्जरी कितने प्रकार की होती है तो लंबर दीकम्प्रेशन सर्जरी दो प्रकार की होती है पहला है लामाइनक्टोमी और दूसरा है डिस्केक्टॉमी | लामाइनक्टोमी सर्जरी में सर्जन कशेरुका के पिछले भाग को हटा देता है ताकि आपके रीढ़ की हड्डी में किसी भी तरह का दबाव न पड़े | डिस्केक्टॉमी सर्जरी में सर्जन केशुरूका के बीच में मौजूद डिस्क के छोटे- से हिस्से को निकल देता है, ताकि रीढ़ की हड्डी में किसी भी तरह का दबाव न पड़े | 

 

यदि आप भी रीढ़ की हड्डी से जुडी किसी भी प्रकार की समस्या से गुज़र रहे तो इसके इलाज में हुन्जुन हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टंट  डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन ऑर्थोपेडिक में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या को कम करने में आपकी सहायता कर सकते है | इसलिए आज ही हुन्जुन हॉस्पिटल की वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |   

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप हुन्जुन हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी जा सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी | 

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30 की उम्र के बाद महिलाओं में दिखने लग जाती है कैल्शियम की कमी के ये 7 लक्षण, जाने कौन से है यह लक्षण

30 से अधिक उम्र वाली महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव दिखने लग जाते है, जिनमे में एक है हड्डियों का कमजोर होना | कैल्शियम एक ऐसा पोषक तत्व है जो दांतों और हड्डियों के लिए बेहद आवश्यक होता है | इस उम्र में कैल्शियम की कमी हो जाती है जिसे कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है | आइये जानते है हड्डियों में कैल्शियम की कमी के 7 ऐसे लक्षण जिसका जानना है बेहद ज़रूरी :- 

 

  1. हड्डियों में दर्द और कमजोरी आना :- कैल्शियम की कमी के बाद हड्डियां काफी कमजोर हो जाती है, जिससे यह हड्डियों में दर्द होने लगता है | यह दर्द ऐसा होता है जो कभी अचानक या धीरे-धीरे होने लगता है | 

 

  1. आसानी से फ्रैक्चर होने की समस्या :- कैल्शियम की कमी से हड्डियां इस हद तक कमजोर हो जाती है इनके आसानी से फ्रैक्चर होने का खतरा भी बढ़ जाता है | हलकी सी चोट से भी यह टूट सकती है | 

 

  1. दांतों से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न होना :- जहाँ कैल्शियम हड्डियों के लिए ज़रूरी है वही यह दांतों के लिए भी है | इसकी कमी दांतो में सड़न और मसूड़ों में सूजन जैसी  समस्या उत्पन्न हो जाती है | 

 

  1. मांसपेशियों में ऐंठन आना :- कैल्शियम के कमी से मांसपेशियों में ऐठन और अकड़न होने लगता है,यह समस्या खासकर रात में समय में उत्पन्न होती है | 

 

  1. थकान और सुस्ती महसूस होना :- कैल्शियम मांसपेशियों और नसों में सही काम करने के लिए आवश्यक होता है, क्योंकि इसकी कमी से शरीर में कमजोरी और सुस्ती छाई रहती है | 

 

  1. नाखून में बदलाव आना :- कैल्शियम की कमी से नाखूनों में खून के सफ़ेद धब्बे दिखाई देने लगते है, जिससे यह कमजोर और भंगुर हो जाते है | 

 

  1. हेयर फॉल की समस्या :- कैल्शियम बालों के विकास का भी कार्य करता है, इसकी कमी से हेयर फॉल की समस्या उत्पन्न हो सकती  है |

 

अगर आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर इस समस्या का इलाज

कराएं | आप हुन्जुन हॉस्पिटल का चयन भी कर सकते हैं यहां के डॉक्टर ऑर्थोपेडिक में एक्सपर्ट है जो आपको इस समस्या से मुक्त करने में सहायता करेंगे |

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What Happens When Glute Muscles Are Weak?

To maintain the balance of the body, our body relies on muscles. Also, the body needs strong muscles for daily activities such as walking, standing, and sitting. Here, we are talking about glute muscles. The gluteal muscles consists of a group of muscles namely gluteus minimus, gluteus medius and gluteus maximus. These muscles make up the buttock area. Strong muscles are required for proper functioning of the body to do daily activities. If you have weak muscles, visit the Orthopaedic hospital in Ludhiana and examine yourself. 

Why Are Glutes Important For The Body?

The major job of the glute muscles is to help the body move, provide stability and support the spine. It also helps in preventing knee injury and general wear and tear. Strong glute muscles are important for various reasons, such as improving hip mobility, posture, and bone density and enhancing glute strength and athletic performance. On the contrary, weak gluteal muscles cause pain in the whole body and affect posture and mobility. Some common activities that require strong glute muscle strength include the following:

  • To maintain your body posture
  • Standing Up
  • Walking
  • Getting out of bed
  • Bending over 
  • Lifting
  • Balancing on one leg
  • Playing sports

Weak Glute Muscles

Glute muscles become weak because you do not use them enough. In the fast-paced and tech-savvy world, people’s lifestyle is becoming less and less active. People have sitting jobs and follow a sedentary lifestyle. A sedentary lifestyle causes a reduction in blood flow, which leads to less nutrients reaching your muscles. As a result, your muscles become weak. 

Another prominent cause of weak muscles is poor posture. Even though people have sitting jobs, their posture is poor and causes strain in the neck, shoulders and lower back. Hence, if you have weak glute muscles, it eventually develops into lower back pain, knee pain, and hip pain. If you experience muscle weakness, you must visit the best Orthopedic Hospital in Ludhiana and consult the doctor about your condition.

Causes of Weak Glute Muscles 

  • Aging – Aging causes muscle mass to decrease, making it weak. The problem continues and worsens if you do not have an active lifestyle. It would help if you exercised daily to ensure you have strong glute muscles.
  • Poor Posture – Having a poor posture causes the glute muscles to weaken. Poor posture is the leading cause of weakness in glute muscles, which causes lower back pain and knee and hip pain. If you have poor posture, you may not be able to get out of the chair without using your hands, climb stairs without railing, etc. If you face such issues, consult the best spine surgeon in India
  • Imbalance training – If you exercise, you must ensure you exercise the body properly and target every muscle group. An imbalance in muscle training can also weaken your glute muscles. For example, if your exercise focuses on the front part of your body and you do not exercise the back, it can cause weakness in the glute muscles due to an imbalance in training.
  • Injury or surgery – Post-injury and surgery, muscles become weak because you cannot use those muscles effectively while you are recovering or healing. Thus, it is essential to work on your muscles after recovering from the injury and surgery to strengthen them.

Exercises To Strengthen Your Glute Muscles 

  • Squats
  • Lunges
  • Step-up
  • Bridges
  • Clamshells 
  • Hip abduction
  • Hip thrust

Conclusion

As glute muscles are essential for the body to carry out small daily activities, you need to work on your glute muscles and strengthen them. Poor posture due to a sedentary lifestyle is one of the main causes of weak glute muscles. To solve this problem, visit the best spine surgeon in India and do exercises to strengthen your weak gluteal muscles.

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Different types of orthopedic surgery

Orthopedic Surgery is related to the musculoskeletal system. It is related to the surgery of diseases and injuries related to the bones, muscles, ligaments, tenders and soft tissues. It is the complex system of the musculoskeletal system, including bones, muscles, soft tissues, ligaments and tenders, which helps in moving the body. Orthopedic surgery deals with the issue with any part of the musculoskeletal system. For more details, you can consult an ortho hospital in India.

Different types of orthopedic surgeries

  • Joint Replacement Surgery: This surgery involves a procedure of removing a damaged joint and replacing it with an artificial joint to relieve the pain. It generally includes joints of the hips, knee, shoulder, etc.
  • Arthroscopy: Arthroscopic surgery is a procedure to correct torn ligaments or cartilage damage. In this procedure, a small camera and specialized instruments were put inside to resolve the issue.
  • Spine surgery: Spine surgery includes various conditions such as herniated discs, spinal deformities, or spinal stenosis. Correcting these problems through surgery comes under orthopedic surgery.
  • Fracture repair: Orthopedic surgeons perform surgeries to repair, realign and stabilize broken bones using different techniques.
  • Ligament and tendon repair: Surgeries are done to repair the torn ligaments or tendons present in the knee or shoulder.
  • Hand and wrist surgery: Conditions like carpal tunnel syndrome, trigger finger, hand/ wrist fractures, etc., need the surgery procedure and come in the ortho surgeon department.
  • Foot and Ankle Surgery: Orthopedic surgeons perform surgeries to correct problems such as bunions, ankle fractures, or Achilles tendon injuries.

The procedure of the Orthopedic Surgery

  • Preoperative evaluation: Before the surgical operation, some preoperative evaluation will be done in which the patient will go through a physical examination, which generally includes a review of medical history, X-rays or MRI scans, etc. 
  • Anesthesia: On the day of the surgery, the patient will be laid down on the bed comfortably and will be given Anesthesia later on to make the surgical operation pain-free for the patient. 
  • Incision: After anesthesia, the surgeon will make an incision to access the affected area. The size and location of the incision will depend on the procedure of the orthopedic surgery being performed.
  • Surgical Intervention: Surgical intervention generally means the necessary steps taken by the surgeon to deal with the affected area, which involves realigning fractured bones, repairing fractured bones, removing damaged tissues or replacing joints with artificial implants.
  • Closure: When the surgical intervention is done, the surgeon will carefully close the incision by using staples. With the help of proper dressing and bandages on the surgical site, proper protection would be provided to it.
  • Recovery: After the surgery is done, the patient is asked to stay in the recovery area for observation to avoid further complexities.

Orthopedic surgeons are trained to perform these surgeries. They analyze your condition closely and perform the surgery according to your situation.

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आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी क्या है और इसके बारे में आपको क्या-क्या पता होना चाहिए ?

आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी एक न्यूनतम इनवेसिव चिकित्सा प्रक्रिया के नाम से जानी जाती है जिसका उपयोग घुटने के जोड़ों की विभिन्न समस्याओं के निदान और उपचार के लिए किया जाता है। यह सर्जिकल तकनीक अपनी प्रभावशीलता और जल्दी ठीक होने में लगने वाले समय के कारण तेजी से लोकप्रिय हो गई है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी क्या है और आपको इसके बारे में क्या जानना चाहिए ;

आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी क्या है ?

आर्थ्रोस्कोपिक घुटने की सर्जरी, जिसे घुटने की आर्थ्रोस्कोपी के रूप में भी जाना जाता है, आर्थोपेडिक सर्जनों द्वारा आर्थोस्कोप नामक एक विशेष उपकरण का उपयोग करके किया जाता है। यह पतला, ट्यूब जैसा उपकरण एक छोटे कैमरे और एक प्रकाश स्रोत से बना होता है, जो सर्जन को घुटने के जोड़ के अंदरूनी हिस्से की जांच करने की अनुमति देता है। मरीज को आराम सुनिश्चित करने के लिए सर्जरी एनेस्थीसिया के तहत की जाती है।

अगर आप घुटने में दर्द जैसी गंभीर समस्या से परेशान है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जरी के संपर्क में आना चाहिए।

आर्थोस्कोपिक सर्जरी की नैदानिक एवं उपचारात्मक क्रिया :

आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी दो प्राथमिक उद्देश्यों को पूरा करती है – 

निदान और उपचार। यह जोड़ के आंतरिक भाग का प्रत्यक्ष दृश्य प्रदान करके घुटने के दर्द और शिथिलता के कारण की पहचान करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, सर्जन एक साथ समस्याओं का समाधान कर सकते है, जिससे यह एक चिकित्सीय प्रक्रिया भी बन सकती है।

आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी का चयन किन स्थितियों में किया जाता है !

आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी का उपयोग घुटने की विभिन्न स्थितियों के इलाज के लिए किया जा सकता है, जिनमें निम्न शामिल है;

फटा हुआ मेनिस्कस : 

यह प्रक्रिया फटी हुई उपास्थि को ट्रिम या मरम्मत कर सकती है, जिससे अक्सर दर्द और सूजन होती है।

एसीएल और पीसीएल टियर : 

लिगामेंट टियर को आर्थोस्कोपी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

सिनोवाइटिस : 

सूजन वाले सिनोवियम, जोड़ की परत, को सर्जरी के दौरान हटाया जा सकता है।

क्षतिग्रस्त आर्टिकुलर कार्टिलेज : 

सर्जन कार्टिलेज क्षति का समाधान कर सकता है और ढीले टुकड़ों को हटा सकता है। लेकिन ध्यान रहें इस सर्जरी का चयन करने के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जन का चयन करना चाहिए। 

घुटने में संक्रमण : 

कुछ मामलों में, संक्रमित ऊतक को साफ करने के लिए आर्थोस्कोपी का उपयोग किया जा सकता है।

आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी के लाभ क्या है ?

  • आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी के कई फायदे है, जिनमें शामिल है ;
  • आर्थोस्कोपिक चीरे छोटे होते है, जिसके परिणामस्वरूप कम ध्यान देने योग्य निशान बनते है।
  • मरीजों को अक्सर पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में तेजी से ठीक होने का अनुभव होता है।
  • छोटे चीरे का अर्थ है उपचार प्रक्रिया के दौरान कम दर्द और परेशानी।
  • सर्जरी की न्यूनतम आक्रामक प्रकृति संक्रमण और अन्य जटिलताओं के जोखिम को कम करती है।

आर्थोस्कोपिक सर्जरी की तैयारी कैसे की जाती है ?

  • आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी कराने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातें जाननी जरूरी है। जैसे आपका सर्जन आपके साथ इन पर विस्तार से चर्चा करेंगे, लेकिन उनमें ये शामिल हो सकते है ;
  • सर्जरी से पहले आपको एक निश्चित अवधि तक उपवास करना होगा।
  • आप जो भी दवाएँ ले रहे है, उसके बारे में अपने सर्जन को सूचित करें, क्योंकि कुछ को हटान की आवश्यकता हो सकती है।
  • सर्जरी के बाद पुनर्प्राप्ति के लिए तैयार रहें, जिसमें भौतिक चिकित्सा शामिल हो सकती है।

आर्थोस्कोपिक सर्जरी की प्रक्रिया क्या है ?

  • सर्जरी के दौरान, आपका आर्थोपेडिक सर्जन घुटने के चारों ओर कुछ छोटे चीरे लगाएगे। 
  • आर्थोस्कोप को इनमें से एक चीरे के माध्यम से डाला जाता है, जबकि अन्य छोटे उपकरणों को शेष चीरों के माध्यम से डाला जाता है। कैमरा मॉनिटर पर घुटने के जोड़ का वास्तविक समय का दृश्य प्रदान करता है, जिससे सर्जन को नेविगेट करने और आवश्यक प्रक्रियाएं करने की अनुमति मिलती है। एक बार सर्जरी पूरी हो जाने पर, उपकरण हटा दिए जाते है और चीरों को टांके से बंद कर दिया जाता है।

पुनर्प्राप्ति और पुनर्वास की प्रक्रिया !

आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी से रिकवरी विशिष्ट प्रक्रिया और व्यक्तिगत कारकों के आधार पर भिन्न होती है। घुटने में ताकत और गतिशीलता वापस पाने में मदद के लिए अक्सर भौतिक चिकित्सा निर्धारित की जाती है। सफल रिकवरी सुनिश्चित करने के लिए सर्जन के पोस्ट-ऑपरेटिव निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करना महत्वपूर्ण है।

आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी की प्रक्रिया का चयन आप चाहें तो हुंजन हॉस्पिटल से भी कर सकते है।

आर्थोस्कोपिक सर्जरी का जोखिम क्या है ?

आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी आम तौर पर सुरक्षित होती है, किसी भी चिकित्सा प्रक्रिया की तरह इसमें संभावित जोखिम भी होते है। इनमें संक्रमण, रक्त के थक्के, या एनेस्थीसिया की प्रतिक्रिया शामिल हो सकती है। आपका सर्जन सर्जरी से पहले आपके साथ इन जोखिमों पर चर्चा करेगा।

आर्थोस्कोपिक सर्जरी की मदद कब लें !

यदि आपको सर्जरी के बाद के दिनों में गंभीर दर्द, बढ़ी हुई सूजन या संक्रमण के लक्षण महसूस होते है, तो तुरंत अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें। सर्वोत्तम संभव परिणाम सुनिश्चित करने के लिए किसी भी चिंता का तुरंत समाधान करना आवश्यक है।

निष्कर्ष :

घुटने के जोड़ों की विभिन्न समस्याओं के निदान और उपचार में आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी एक मूल्यवान उपकरण है। इसकी न्यूनतम आक्रामक प्रकृति, त्वरित पुनर्प्राप्ति समय और कम घाव इसे कई रोगियों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते है। यदि आप घुटने की समस्याओं का सामना कर रहे है, तो यह निर्धारित करने के लिए किसी आर्थोपेडिक सर्जन से परामर्श लें कि आर्थोस्कोपिक घुटने की सर्जरी आपके लिए सही विकल्प है या नहीं। यह प्रक्रिया आपको अपने पैरों पर वापस खड़ा होने और कम दर्द और परेशानी के साथ बेहतर गुणवत्ता वाले जीवन का आनंद लेने में मदद कर सकती है।

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भौतिक चिकित्सा (फिजिकल थेरेपी) का लाभ किसे होता है, और यह कैसे मदद कर सकते है ?

फिजिकल थेरेपी एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा है जो व्यापक स्तर के व्यक्तियों को लाभ पहुंचाती है। चाहे आप किसी चोट से उबर रहे हों, किसी पुरानी स्थिति का प्रबंधन कर रहे हों, या अपनी समग्र शारीरिक भलाई में सुधार करना चाह रहे हों, भौतिक चिकित्सा सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तो इस ब्लॉग में, हम यह पता लगाएंगे कि भौतिक चिकित्सा का लाभ किसे होता है और कैसे यह चिकित्सा किसी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में गेम-चेंजर हो सकती है ;

फिजिकल थेरेपी का लाभ किसे होता है ?

एथलीट : 

सप्ताहांत योद्धाओं से लेकर पेशेवर खिलाड़ियों तक सभी स्तरों के एथलीट, भौतिक चिकित्सा से लाभान्वित होते है। वे चोटों को रोकने, खिंचाव और मोच से उबरने और अपने प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद के लिए भौतिक चिकित्सकों पर भरोसा करते है। चिकित्सक ताकत और लचीलापन बनाने, शरीर की यांत्रिकी को अनुकूलित करने और चोटों के बाद रिकवरी में तेजी लाने के लिए व्यायाम और तकनीकों का उपयोग करते है।

अगर खेलते समय आपकी हड्डियों या नसों में मोच की समस्या उत्पन्न हो गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जन का चयन करना चाहिए। 

वरिष्ठ नागरिक : 

भौतिक चिकित्सा वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार ला सकती है। यह गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस और गतिशीलता समस्याओं जैसे उम्र से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने में मदद करता है। भौतिक चिकित्सक स्वतंत्रता बनाए रखने और दर्द को प्रबंधित करने के लिए वैयक्तिकृत व्यायाम आहार बनाते है। वे वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए संतुलन और गिरने की रोकथाम पर भी काम कर सकते है।

सर्जरी के बाद के मरीज़ : 

सर्जरी के बाद, जैसे कि संयुक्त प्रतिस्थापन या पुनर्निर्माण प्रक्रिया, भौतिक चिकित्सा अक्सर पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा होता है। यह खोई हुई गतिशीलता, शक्ति और कार्य को पुनः प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि व्यक्ति अपनी दैनिक गतिविधियों में तेजी से और बेहतर परिणामों के साथ वापस लौट सकते है।

पुरानी स्थितियों वाले लोग : 

बहुत से लोग मधुमेह, हृदय रोग, या मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी पुरानी स्थितियों से पीड़ित रहते है। भौतिक चिकित्सा शारीरिक फिटनेस में सुधार, दर्द का प्रबंधन और समग्र कल्याण को बढ़ाकर चिकित्सा उपचार को पूरक कर सकती है। चिकित्सक अक्सर पुरानी स्थिति वाले लोगों को उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए स्व-प्रबंधन तकनीक सीखने में मदद करते है।

न्यूरोलॉजिकल स्थितियों वाले व्यक्ति : 

भौतिक चिकित्सक स्ट्रोक, पार्किंसंस रोग, या रीढ़ की हड्डी की चोटों जैसी न्यूरोलॉजिकल स्थितियों वाले लोगों की सहायता करते है। वे संतुलन, समन्वय और गतिशीलता के मुद्दों को संबोधित करने के लिए विशेष अभ्यास और तकनीकों का उपयोग करते है। लक्ष्य मरीजों को कार्यात्मक स्वतंत्रता हासिल करने और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करना है।

विकास संबंधी समस्याओं वाले बच्चे : 

सेरेब्रल पाल्सी या ऑटिज्म जैसी विकास संबंधी समस्याओं वाले बच्चों को उनके मोटर कौशल, समन्वय और मांसपेशियों की ताकत में सुधार के लिए भौतिक चिकित्सा से लाभ होता है। चिकित्सक बच्चे के विकास के लिए एक सहायक वातावरण बनाने के लिए माता-पिता और देखभाल करने वालों के साथ काम करते है।

कार्यस्थल पर चोटें : 

जिन लोगों को कार्यस्थल पर चोटें लगी है, जैसे पीठ में खिंचाव या बार-बार तनाव की चोटें, भौतिक चिकित्सा को उनके ठीक होने का एक महत्वपूर्ण घटक मानते है। भौतिक चिकित्सक दर्द प्रबंधन में सहायता करते है और भविष्य की चोटों को रोकने के लिए एर्गोनोमिक तकनीक सिखाते है।

आसन की समस्या वाले व्यक्ति : 

खराब आसन से दीर्घकालिक दर्द और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। भौतिक चिकित्सा व्यक्तियों को व्यायाम और शिक्षा के माध्यम से उनकी मुद्रा को सही करने में मदद कर सकती है। इससे न केवल दर्द कम होता है बल्कि भविष्य में होने वाली जटिलताओं से भी बचाव होता है।

गर्भवती महिलाएं : 

फिजिकल थेरेपी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था से जुड़े दर्द और परेशानी, जैसे पीठ दर्द और मांसपेशियों में खिंचाव को प्रबंधित करने में मदद करती है। व्यायाम और स्ट्रेचिंग से राहत मिल सकती है, जिससे गर्भावस्था का अनुभव अधिक सुखद हो जाता है।

श्वसन संबंधी समस्याओं वाले लोग : 

अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं वाले व्यक्ति, फेफड़ों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने और उनके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए श्वास तकनीक सिखाने के उद्देश्य से भौतिक चिकित्सा से लाभ उठा सकते है।

फिजिकल थेरेपी आपकी मदद कैसे करते है ?

  • ये थेरेपी आपके शरीर के दर्द को कम करने या ख़त्म करने का काम करते है। 
  • इस थेरेपी की मदद से आपकी गतिशीलता बहाल होती है, और आपको चलने फिरने में सहज बनाती है। 
  • इस थेरेपी की मदद से आप सर्जरी से बच सकते है। लेकिन स्थिति गंभीर होने पर आपको लुधियाना में बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जरी का चयन करना पड़ सकता है, लेकिन इस सर्जरी का चयन करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
  • किसी भी चोट से बाहर निकालने में ये थेरेपी आपकी मदद करते है। 
  • उम्र बढ़ने के नकारात्मक प्रभाव को रोकने में भी ये आपकी मदद करते है। 
  • अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने में भी ये थेरेपी आपकी मदद करती है।

ध्यान रखें !

व्यायाम, मैनुअल थेरेपी और शिक्षा के संयोजन का उपयोग करके भौतिक चिकित्सा मदद करती है। भौतिक चिकित्सक व्यक्ति की स्थिति का आकलन करते है और एक व्यक्तिगत उपचार योजना विकसित करते है। वे शक्ति, लचीलेपन और गतिशीलता में सुधार के लिए व्यायाम के माध्यम से रोगियों का मार्गदर्शन करते है। मैनुअल थेरेपी तकनीक, जैसे मालिश या जोड़ों में हेरफेर, का उपयोग दर्द से राहत और उपचार को बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, मरीजों को अपनी स्थिति का प्रबंधन करने और आगे की समस्याओं को रोकने के बारे में शिक्षा प्राप्त होती है।

लेकिन जैसे की अगर आपके जोड़ों या घुटनों में गंभीर चोट लग जाए तो इससे बचाव के लिए आपको हुंजन हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

भौतिक चिकित्सा एक बहुमुखी स्वास्थ्य सेवा है जो व्यापक श्रेणी के व्यक्तियों को लाभ पहुँचाती है। एथलीटों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक, पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों से लेकर विकासात्मक समस्याओं वाले बच्चों तक, और इनके बीच के सभी लोगों के लिए, भौतिक चिकित्सा बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य और कल्याण का मार्ग प्रदान करती है। यह न केवल चोटों के इलाज के बारे में है बल्कि उन्हें रोकने और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने के बारे में भी है। भौतिक चिकित्सा का प्रभाव लंबे समय तक चलने वाला होता है, जो इसे अपनाने वालों के लिए स्वस्थ, खुशहाल जीवन को बढ़ावा देता है।

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घुटनों में दर्द होने पर किस तरह के उपाय को अपनाना आपके लिए सहायक होगा ?

घुटनों का दर्द एक आम और परेशान करने वाली समस्या हो सकती है, जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। चाहे यह चोट, गठिया या अत्यधिक उपयोग के कारण हो, सक्रिय और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने के लिए राहत पाना आवश्यक है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम कुछ सरल उपायों के बारे में जानेंगे जो घुटने के दर्द को कम करने में आपकी काफी मदद करेंगे ;

घुटनों में दर्द होने पर कौन-से उपाय है मददगार ?

आराम : 

घुटने के दर्द का अनुभव होने पर आप जो सबसे तत्काल कदम उठा सकते है, उनमें से एक है अपने घुटने को थोड़ा आराम देना। प्रभावित घुटने पर बहुत अधिक वजन डालने से बचें और दर्द को बढ़ाने वाली गतिविधियों से बचें। आराम आपके घुटने को ठीक होने में मदद करता है।                                                                                                                                                                                                                                                                                              बर्फ : 

अपने घुटने पर बर्फ लगाने से सूजन को कम करने और क्षेत्र को सुन्न करने में मदद मिल सकती है, जिससे दर्द से राहत मिल सकती है। आइस पैक का उपयोग करें या कपड़े में बर्फ लपेटें और इसे दिन में कई बार 15 से 20 मिनट के लिए अपने घुटने पर लगाएं।

संपीड़न : 

घुटने में ब्रेस या पट्टी पहनने से आपके घुटने के जोड़ को सहारा मिल सकता है, दर्द कम हो सकता है और आगे की चोट को रोका जा सकता है। संपीड़न भी सूजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। अगर घुटने में दर्द की समस्या ज्यादा बढ़ जाए और स्थिति सर्जरी की आ जाए तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जरी का चयन करना चाहिए। पर डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

ऊंचाई : 

जब भी संभव हो अपने पैर को ऊपर उठाने से सूजन को कम करने और प्रभावित क्षेत्र में रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद मिल सकती है। बैठते या लेटते समय अपने पैर को सहारा देने के लिए तकिए या कुशन का प्रयोग करें।

दवाएं : 

इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं घुटने के दर्द और सूजन को कम करने में प्रभावी हो सकती हैं। अनुशंसित खुराक का पालन करें और यदि आपको कोई चिंता हो तो स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श लें।

भौतिक चिकित्सा : 

एक भौतिक चिकित्सक आपकी विशिष्ट स्थिति के अनुरूप व्यायाम और स्ट्रेच प्रदान कर सकता है। ये व्यायाम आपके घुटने के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने और जोड़ों की स्थिरता में सुधार करने में मदद कर सकते है।

वजन प्रबंधन : 

घुटनों पर तनाव कम करने के लिए स्वस्थ वजन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। अतिरिक्त वजन घुटने के दर्द को बढ़ा सकता है, इसलिए उन अतिरिक्त पाउंड को कम करने के लिए आहार में बदलाव करने और नियमित व्यायाम को शामिल करने पर विचार करें।

उचित जूते पहने : 

सहायक और आरामदायक जूते पहनने से आपके शरीर के वजन को समान रूप से वितरित करने और आपके घुटनों पर तनाव कम करने में मदद मिल सकती है। अपर्याप्त आर्च सपोर्ट वाले ऊँची एड़ी और जूतों से बचें।

हॉट पैक : 

आइस पैक के अलावा, हॉट पैक भी रक्त प्रवाह को बढ़ाकर और मांसपेशियों को आराम देकर राहत प्रदान कर सकते है। सर्वोत्तम परिणामों के लिए बर्फ और ताप चिकित्सा के बीच वैकल्पिक प्रयोग करें।

कम प्रभाव वाले व्यायाम करें : 

तैराकी, साइकिल चलाना या हल्के योग जैसे कम प्रभाव वाले व्यायामों में शामिल होने से आपके जोड़ों पर अत्यधिक दबाव डाले बिना घुटने के लचीलेपन और ताकत को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

जलयोजन : 

जोड़ों के समग्र स्वास्थ्य के लिए अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहना आवश्यक है। पानी जोड़ों को चिकनाई देने और उनके कार्य को बनाए रखने में मदद करता है।

उच्च प्रभाव वाली गतिविधियों से बचें : 

ऐसी गतिविधियों से दूर रहें जिनमें कूदना या दिशा में अचानक बदलाव शामिल हो, क्योंकि इससे घुटने का दर्द बढ़ सकता है। इसके बजाय, ऐसी गतिविधियाँ चुनें जो आपके जोड़ों के लिए कोमल हों।

उचित तकनीक : 

यदि आप ऐसे खेल या गतिविधियों में संलग्न हैं, जिनमें दोहराव वाली गतिविधियां शामिल है, तो सुनिश्चित करें कि आप चोट के जोखिम को कम करने के लिए उचित तकनीक और उपकरण का उपयोग करें।

विशेषज्ञ से परामर्श लें : 

यदि इन उपायों को आजमाने के बावजूद आपके घुटने का दर्द बना रहता है या बिगड़ जाता है, तो किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर या लुधियाना में बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जन से परामर्श लें। क्युकि वे अधिक सटीक निदान प्रदान कर सकते है और यदि आवश्यक हो तो इंजेक्शन या सर्जरी जैसे अतिरिक्त उपचार की सिफारिश भी आप कर सकते है।

घुटनों में दर्द के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

अगर आप घुटने में दर्द की समस्या से परेशान है, तो इससे बचाव के लिए आपको हुंजन हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। पर ध्यान रहें डॉक्टर के पास जाना भी तभी सफल होगा जब आप सुचारु रूप से अपने सेहत को लेकर खुद जागरूक होंगे और साथ ही उपरोक्त जिन उपायों का वर्णन किया है उनको भी अपनाए। 

निष्कर्ष :

घुटने के दर्द को काबू में पाने के लिए आराम, स्व-देखभाल उपायों और, कुछ मामलों में, पेशेवर मार्गदर्शन के संयोजन की आवश्यकता होती है। इन सरल उपायों का पालन करके, आप घुटने के दर्द को कम करने और अपने जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करने के लिए सक्रिय कदम उठा सकते है। 

याद रखें कि अपने घुटने के स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम संभव परिणाम सुनिश्चित करने के लिए अपने शरीर की बात सुनना और आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सीय सलाह लेना आवश्यक है।