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हड्डियां और मांसपेशियों के कमज़ोर होने के मुख्य कारण क्या है ?

किस भी व्यक्ति के लिए पूरे जीवन में समग्र स्वास्थ्य और गतिशीलता बनाये रखने के लिए मजबूत हड्डियां और मांसपेशियों का होना अनिवार्य होता है | हालांकि, विभिन्न कारक इन महत्वपूर्ण संरचनायों को कमज़ोर करने में योगदान देती है | आइये जानते है हड्डियां और मांसपेशियों के कमज़ोर होने के मुख्य कारण कौन-से है :- 

हड्डियां के कमज़ोर होने के मुख्य कारण 

 

  • उम्र का बढ़ना :- हड्डियां कमज़ोर होने के सबसे आम कारण है बढ़ती उम्र | जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ने लग जाती है, उनकी हड्डियों में घनत्व कम होने लग जाता है | जिससे ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जो विशेष रूप से हड्डियों को कमज़ोर करने काम करते है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियों में फ्रैक्चर होने का जोखिम कारक बढ़ जाता है | 

 

  • पोषण की कमी होना :- आज के दौर में लोगों के खानपान में इतने बदलाव आ गए है कि उन्हें पूर्ण रूप से पोषण प्राप्त नहीं हो पता | हड्डियों से जुड़ी स्वास्थ्य में अपनी भूमिका निभाने वाले पोषक तत्व कैल्शियम और विटामिन डी का पर्याप्त रूप से सेवन करना बेहद ज़रूरी होता है | इन पोषण तत्वों की कमी होने पर शरीर के हड्डियां कमज़ोर हो सकती है | 

 

  • हार्मोनल परिवर्तन होना :- शरीर में मौजूद हार्मोन्स हड्डियां को प्रभावित कर सकते है | महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान हुए एस्ट्रोजन के स्तर पर गिरावट, हड्डियों को तेज़ी से नुक्सान पहुंचने का कार्य करते है और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने पर ये हड्डियों के घन्तव की कमी होने कारण बन सकते है | 

 

  • शारीरिक प्रतिक्रिया :- मांसपेशियों को मजबूत करने वाली गतिविधियां, एक गतिहीन जीवनशैली के कारण हड्डियां को कमज़ोर कर सकती है | इसलिए हड्डियों को मज़बूत बनाने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करना ज़रूरी होता है |    

 

  • दवाएं के सेवन से :- कुछ दवाओं ऐसे भी होती है, जिसका लम्बे समय तक सेवन करने से हड्डियां कमज़ोर होने लग जाती है, क्योंकि यह दवाएं कैल्शियम अवशोषण और हड्डी के पुनर्निर्माणित में खलल बनने का काम करती है | 

 

  • धूम्रपान और शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करना :- धूम्रपान और अनियमित रूप से शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करने से हड्डियां कमज़ोर हो सकती है | 

 

मांसपेशियों के कमज़ोर होने के मुख्य कारण 

 

  • उम्र के साथ शरीर में मौजूद मांसपेशियों का कमज़ोर होना स्वाभाविक है, इस स्थिति को सरकोपेनिया के रूप से भी जाना जाता है | 
  • न्यूनतम शारीरिक गतिविधि के साथ-साथ एक गतिहीन जीवनशैली मांसपेशी को कमज़ोर कर सकती है | 
  • शरीर में लगी गंभीर चोट की वजह से मांसपेशियां कमज़ोर हो सकती है, जैसे की फ्रैक्चर या फिर संयुक्त अव्ययस्था, जो अनुप्रोयोजित शोष का कारण बनती है |   
  • कुछ न्यूरोलॉजिकल स्थितियां होती है, जो मांसपेशियों को कमज़ोर करने का कार्य करती है | 
  • कुछ गंभीर बीमारियों की वजह से उत्पन्न स्थितियों के कारण भी मासपेशियां कमज़ोर होने लग जाती है |    

हड्डियां और मांसपेशिओं को कमज़ोर होने से ऐसे रोकें ?   

 

संपूर्ण स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए और जटिलताओं को रोकने के लिए हड्डियों और मांसपेशियों को कमज़ोर होने से रोकना बेहद महत्वपूर्ण होता है | कुछ रणनीतियां है, जिसके माध्यम से आप हड्डियां और मांसपेशिओं को कमज़ोर होने से रोक सकते है, जिमें शामिल है :- 

 

  • हड्डियों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए कैल्शियम, विटामिन डी और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर भोजन आहार को अपनी डाइट में शामिल करें | जैसे की दूध से बने उत्पाद और अन्य हरी सब्ज़ियां आदि | 

 

  • नियमित रूप से व्यायाम करने से आप हड्डियां और मांसपेशियों को मज़बूत बना सकते है, जैसे की पैदल चलना, जॉगिंग करना आदि | 

 

  • धूम्रपान और शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन बिलकुल न करें |  

 

यदि आप में कोई भी व्यक्ति ऐसी ही किसी परेशानी से जूझ रहे है और इलाज करवाना चाहते है तो इसमें हुंजन हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या का इलाज कर, इससे छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |

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डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन से जाने कैसे किया जाता है उनके हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक से जुड़ी समस्या का इलाज

हुन्जुन हॉस्पिटल के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक इंटरव्यू वीडियो में डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन ने यह बताया कि हुन्जुन हॉस्पिटल पिछले 35 सालों से ऑर्थोपेडिक से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित मरीज़ का इलाज कर रहा है और इस हॉस्पिटल को ऑर्थोपेडिक से जुड़ी समस्याओं का इलाज करने के नाम से भी जाना जाता है, जहाँ हड्डियों से जुडी सभी समस्याओं का स्थायी और सटीक तरीकों से इलाज किया जाता है | हड्डियों और जोड़ों से जुडी किसी भी प्रकार ऑपरेशन उनके हॉस्पिटल में बड़े ही सटीक तरीकों से किया जाता है, जैसे की जॉइंट नी रिप्लेसमेंट, जो कंप्यूटर नेविगेशन के माध्यम से किया जाता है, कूल्हे को बदलवाना, सोल्डर रिप्लेसमेंट सर्जरी और भी कई ऐसे सफलतापूवर्क सर्जरी किये जाते है, जिसके परिणाम भी काफी बेहतरीन होते है |   

 

डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन ने यह भी बताया की इसके ;अलावा उनके हॉस्पिटल में अर्थरोस्कोपी थेरेपी भी की जाती है, जिससे कीहोल सर्जरी के नाम से भी जाता है, इसके माध्यम से भी घुटनों के जुड़ी समस्याओं का सफलतापूवर्क सर्जरी किया जाता है | इस फील्ड में अब उनका बेटे डॉक्टर जयवीर सिंह ने उनका साथ देना शुरू कर दिया है, डॉक्टर जयवीर सिंह ने तीन साल ऑर्थोस्कोपी में स्पेशल ट्रेनिंग ली है और अब वह भी ऑर्थोपेडिक से जुड़ी समस्याओं का सटीक इलाज और सफलतापूवर्क सर्जरी कर रहे है | 

 

इसके अलावा उनके हॉस्पिटल में रीढ़ की हड्डी से जुडी समस्याओं का सफलतापूवर्क भी इलाज किया जाता है | इसके साथ ही वह मरीज़ों का इलाज के लिए लेटेस्ट उपकरण और नए तकनीकों के उपयोग से करते है, ताकि मरीज़ को उचित उपचार और समस्या का सटीक इलाज प्राप्त हो सके | 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप हुन्जुन हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है, इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी | 

 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति हड्डियों से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या से गुज़र रहा है और सटीक इलाज करवाना चाहता है तो इसके लिए आप हुन्जुन हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सभी डॉक्टर ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या को कम करने में आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इसलिए आज ही हुन्जुन हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |

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Tips To Take Care Of Synthetic & Plaster Cast

Accidents can happen anytime. Sometimes, The impact of the accident is minor; however, when it is a major impact, it can cause damage to your bones or joints, resulting in extreme pain. When the bone or joint gets damaged, the pain becomes unbearable, and a person requires a cast to allow the bones to get back to their position and heal. 

 

In this video, you will learn about the tips you need to know to take care of your synthetic & plaster cast. At Hunjan Hospital, you get the top standard treatment for all your orthopaedic disorders. Orthopaedic disorders are the conditions associated with your musculoskeletal systems, which include your muscles, bones and joints. The damage to any part of the musculoskeletal system can cause extreme pain and discomfort. Therefore, our facility offers the right type of treatment and care to heal your condition as soon as possible.  

The doctors at Hunjan Hospital recommend avoiding putting pressure or weight on the plaster cast and keeping it dry and clean. To keep the plaster cast dry, especially while taking a bath or a shower, you can cover the cast with a plastic sheet or bag. Also it is essential to not put anything inside the cast, which means not even trying to put a moisturiser or lotion under that area and avoid scratching your ast covered body part to prevent infections.

If you are examining any orthopaedic disorder, contact Hunjan Hospital today to receive the utmost treatment and extreme care to ensure that you are fit and fine.

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Which judgemental criteria will help you to find the right orthopaedic doctor?

Whenever we are down with any orthopaedic health condition, then we want to visit the best orthopaedic hospital in Ludhiana, whose doctors will treat you in the best way. But some of us do not know how to find the right doctor. So in this article, we are going to know how we can choose the best orthopaedic doctors. When it is the spinal problems and the patient has to undergo spine surgery in Ludhiana, then it becomes even more vital to choose the right orthopaedic doctors.

First of all, ask for the referrals

It is important for the patients seeing the orthopaedic care to have the right kind of list of the doctors from which they can choose the ideal doctor. You gave to count on the referrals. Ask your family members, friends and relatives to recommend some of them to you.

Note: Do not have a blind trust in the recommendation. Consider visiting the particular doctor if and only if they are satisfying the credentials which makes them ideal to treat you.

Know about the experience

The experience of the doctors counts a lot. If a doctor is well-trained and experienced, then you can surely expect to get completely rehabilitated as he will formulate the best treatment plan according to your problem. 

The surgeon must be board certified

The surgeon or the orthopaedic doctor must be certified by the board. We must be possessing all the degrees and other necessary qualifications which makes him capable to treat you.

Visit the Hospital

Do not take any decision until you have personally paid a visit to the hospital in which the doctor is practising. When you visit the hospital, observe every single thing like the atmosphere of the hospital, the ambience, the way the attending staff is treating you and a lot more.

Read the testimonials

The important part of the research is reading the testimonials. The testimonials are a thorough guide that tells you whether the particular doctor or the hospital will be able to carry out the effective treatment.

If possible, then try to talk to the previously served patients. They’ll give you a thorough idea of what you can expect from the hospital and what are the possible drawbacks of the same.

Enquire about the estimated  costs

When you are on your journey to find the right doctor or the hospital, then it is very much important for you to inquire about the costs. If the cost is in your affordable range, then it can be a plus point as you will feel tempted to take treatment from them. But you have to also make sure, that if the treatment is offered at such a low cost, then the quality of surely not getting compromised

Do not always rely on the first thing you see

It is important for you not to rely on the first option which you deem as good and worthy. Always keep a scope for the second option.

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Role of immobilization in shoulder separation treatment.

A shoulder separation is not truly an injury to the shoulder joint. The injury actually involves the acromioclavicular joint, which is also known as the AC joint. The AC joint is where the collarbone, Called the clavicle, meets the highest point of the shoulder blade, known as the acromion. 

 

Understand the separation shoulder. 

An injury to the acromioclavicular joint, where your collarbone and shoulder blade connect at the highest point, results in a separated shoulder. A shoulder separation does not injure the shoulder’s primary ball-and-socket joint. An acromioclavicular joint injury arises from tearing or overstretching the ligaments that connect your clavicle to the acromion. Your shoulder blade and collarbone may move or detach from one another due to the tear’s loosened joint connection. The best ortho hospital in Ludhiana offers you appropriate treatment. 

 

What are the causes of the separation of the shoulder? 

The most typical reasons for the separation of the shoulder are as follows: 

  • Falls: One of the most frequent causes of shoulder separation is a fall onto the shoulder or an outstretched hand. 
  • Direct blows: Shoulder separation can occur from a direct hit to the shoulder region, such as an impact during an automobile accident or a collision during sports.
  • Sports Injuries: Shoulder separation is more common in contact sports like football, rugby, hockey, and martial arts, where athletes are at risk of collisions or falls. 
  • Motor Vehicle Collisions: Shoulder separation injuries can result from high-speed motor vehicle collisions that apply a large amount of force to the shoulder.
  • Occupational Injuries: Shoulder separation is more common in several industries due to heavy lifting, overhead labor, and potential falls or collisions.

 

Immobilization’s function in treating shoulder separation

Depending on the damage’s severity, immobilization may play a part in treating shoulder separation, especially in cases of acromioclavicular joint separation. Here are some uses for immobilization:

  • Grade I and II Injuries: Immobilization may not be required for mild to moderate AC joint separations in which the ligaments are partially torn or strained. 
  • Grade III Injuries: Immobilization may be advised initially to allow the ligaments to heal in more severe cases of AC joint separation, where the ligaments are entirely ripped. 
  • Grade IV–VI Injuries: In exceptionally severe AC joint separations, surgical intervention may be necessary to rebuild or stabilize the joint. 

 

When treating shoulder separation, why is immobilization crucial?

For several reasons, immobilization is essential in the treatment of shoulder separation, especially in instances of acromioclavicular joint separation:

  • Facilitating healing: Immobilization aids in stabilizing the injured joint, limiting mobility and avoiding additional deterioration of the already damaged ligaments, which promotes healing. 
  • Discomfort management: By restricting mobility and lessening strain on the damaged joint, immobilization can help ease the discomfort associated with shoulder separation. Immobilizing the shoulder helps people feel less uncomfortable when resting and during everyday activities, especially in the early stages of an injury.
  • Avoiding consequences: Overusing the damaged shoulder joint may result in consequences like heightened inflammation, sluggish healing, or even more harm to the surrounding tissues. Immobilization reduces these hazards by shielding and supporting the wounded part.
  • Promoting optimal alignment:Immobilization aids in maintaining the separated shoulder joint’s correct alignment during healing to promote optimal alignment and avoid malpositioning or deformity. 
  • Improving rehabilitation: Immobilization can sometimes be used as a prelude to rehabilitation. After the acute phase of the injury has passed, medical practitioners can progressively introduce therapeutic exercises and activities by first immobilizing the shoulder joint. 

People suffer from orthopedic problems because of weak muscles and bones. Contact the best orthopedic doctor in India at Hunjan Hospital.

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Comprehensive and brief note on sacroiliitis.

People are suffering from different health conditions, including sacroiliitis. It is a painful condition that affects one or both sacroiliac joints. These joints sit where the lower spine and pelvis meet. Sacroiliitis can cause pain and stiffness in the buttocks or lower back, and the pain goes down one or both legs.

 

What is the definition of Sacroiliitis? 

Inflammation in the joints where your spine and pelvis meet is painful and known as sacroiliitis. It hurts your legs, buttock muscles and lower back. Where two bones unite in your body is called a joint. Your sacroiliac joints join your pelvis and spine. They are mainly the point where the ilium and sacrum converge. You can get the proper treatment at the best Orthopaedic Hospital in Ludhiana. 

 

Causes of the sacroiliitis

Anything that aggravates joint inflammation can aggravate sacroiliitis and create joint inflammation. Sacroiliitis is primarily caused by arthritis, which includes:

  • Ankylosing spondylitis: This type of arthritis affects the joints in your back. Ankylosing spondylitis frequently manifests as sacroiliitis in its early stages.
  • Psoriatic arthritis: This condition results from the interaction between arthritis and psoriasis. It results in skin psoriasis and joint arthritic symptoms.
  • Harm: The sacroiliac joints may sustain damage from a quick impact, such as a fall or an automobile collision.
  • Arthritis: Sacroiliac joints may develop osteoarthritis, commonly called wear-and-tear arthritis. Thus, too, is a kind of arthritis called ankylosing spondylitis that affects the spine. There are several symptoms and solutions you should know about arthritis. 
  • Maternity: During labor, the sacroiliac joints stretch and loosen. Pregnancy-related weight gain and altered gait patterns might put stress on these joints.
  • Infection: Infections of the sacroiliac joint are uncommon.

 

Symptoms of the sacroiliitis

The pain for sacroiliitis most often occurs in the buttocks and lower back. It can also affect the legs, groin, and even the feet. The pain can improve with movement. The following can make sacroiliitis pain worse: 

  • Sleeping or sitting for a long time. 
  • Standing for a long time. 
  • Having more weight on one leg than the other.
  • Stair climbing.
  • Running 
  • Taking significant steps when moving forward. 

 

What are the treatment plans for sacroiliitis?

There are different treatment plans for the sacroiliitis. 

  • Physical therapy: The most typical course of treatment for sacroiliitis is physical therapy. Your sacroiliac joints’ surrounding muscles can be strengthened with stretches and exercises prescribed by a physical therapist. Your joints will feel less strain and be more stable as a result. You can improve your range of motion in your sacroiliac joints by performing sacroiliitis exercises.
  • Nonsteroidal anti-inflammatory drugs: Aspirin, ibuprofen, and naproxen are examples of over-the-counter NSAIDs. See your physician before using NSAIDs for longer than ten days in a row.
  • Muscle relaxing medicines: Prescription drugs known as muscle relaxants work by stopping your nerves from communicating pain signals to your brain, thereby relieving muscle soreness.
  • Corticosteroids: Prescribed drugs that reduce inflammation and pain are known as corticosteroids. Your doctor will give you a direct corticosteroid injection into the afflicted joints.
  • Surgery: Surgery is rarely required to treat sacroiliitis. If you have not seen relief from your pain after trying RFA and physical therapy, your clinician may suggest surgery. Your surgeon may conduct a joint fusion, which involves using surgical screws to fuse the joint permanently. They will advise you on the procedure you will require and what to anticipate in the aftermath.

 

The issues related to the spine can cause the problem of sacroiliitis. If you have spinal problems, contact the best hospital, Hunjan Hospital. The best spine surgeon in India performs the surgery for spinal issues. 

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Why is back pain very common in winter?

Nowadays, people are suffering from different health issues, including back pain. There are several reasons for the problems related to the back. The main reason is unhealthy diet plans that make the muscles of your back weak. The best orthopedic hospital in Ludhiana offers you all the treatments related to back issues. 

 

What are the reasons for the back pain in winter? 

  • Cold: your muscles and ligaments become less flexible due to the reduction in temperature. They tend to tense up, increasing the risk of accidents, including sprains and strains. 
  • Slippery surface: Ice and snow can cause you to slip and fall. Your back’s muscles and ligaments may be strained by unexpected shocks, twists or collisions. 
  • Less active: Short, chilly days may cause you to engage in less physical activity. Your muscles may become weaker and less flexible as a result, increasing your risk of injury.
  • Attempting an indoor sport: You may be skiing, snowboarding, or ice skating during winter. Your back may get injured by these activities’ abrupt movements and falls.
  • You need to prepare: Before engaging in winter sports or household duties, you must give muscles more time to warm up and move. 
  • You are lifting and shoveling: Your back may get strained from bending and twisting to shovel snow and carrying large bags of goods for the winter, particularly if you need proper lifting techniques.
  • You need to be appropriately seated: During the winter, you might read more or watch screens indoors. Joint or back pain might be brought on by a lack of activity and bad posture.
  • You have put on weight: Gaining weight over the holidays is typical and might strain your lower back.
  • You are under stress: Tensed muscles are more prone to injury, and the strain of the holidays can induce muscle tension. 

 

Tips to prevent back issues for winter. 

There are several tips to prevent yourself from back-related issues during winter. 

  • Make a move: Keep up a regular exercise regimen and maintain your blood flow.
  • Drink water: Keep your body hydrated by consuming lots of water. In addition to providing nutrients and cushioning and lubricating your joints, water also keeps your skin cells hydrated and shields the lining of your digestive tract from food-digesting enzymes.
  • Rest: Sleeping for eight hours a day is not fiction. Rest is necessary for your body to function at its peak. Moreover, sleep reduces inflammation, which results in pain.
  • Refrain from tension: Many people view the winter holidays as more stressful than joyful. Make every effort to unwind and take care of your mental well-being.
  • Consume your veggies: Steer clear of foods high in sugar, as they can undermine your immune system. Eat a balanced diet as much as you can. If given the proper care, your body is designed to heal itself.
  • Remain warm: Use heat to ease your discomfort. Applying heat enables the muscles, adhesions, and connective tissue surrounding the spine to expand. Heat therapy will, therefore, result in a reduction of stiffness along with an increase in flexibility and comfort level. For a back to be healthy, flexibility is crucial.

In this modern era, ortho problems are widespread because of different reasons. Many people suffer from spinal issues, and the best doctors guide you through all the problems. The best Spine Surgeon In India performs spinal surgery at Hunjan Hospital. 

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Types and common risks of Orthopedic surgery.

An orthopedic surgeon is a medical professional who analyzes, detects, and treats the problems related to the bones, joints, ligaments, tendons, and muscles. It is a doctor who deals with the musculoskeletal system. Every person in their life faces a problem related to their musculoskeletal system, and it is best advised to see an ortho doctor, the Best ortho doctor in India, to deal with the problem.

What is orthopedic surgery?

Orthopedic surgery is related to the diagnosis, treatment, and prevention of conditions affecting the musculoskeletal system. This includes the bones and joints. Muscles, nerves and tissues. Orthopedic surgeries are used to perform surgeries related to conditions such as fractures, joint replacement, spinal disorders, sports injuries, and more. They work closely with other healthcare professionals, such as physical therapists and rehabilitation specialists to guide the patient properly and help him to regain the momentum of their life again. For details can check ortho hospitals in India.

Different types of orthopedic surgeries:

  • Joint Replacement Surgery: This surgery involves a procedure of removing a damaged joint and replacing it with an artificial joint to relieve the pain. It generally includes joints of the hips, knee, shoulder, etc.
  • Arthroscopy: Arthroscopic surgery is a procedure to correct torn ligaments or cartilage damage. In this procedure, a small camera and specialized instruments were put inside to resolve the issue.
  • Spine surgery: Spine surgery includes various conditions such as herniated discs, spinal deformities, or spinal stenosis. Correcting these problems through surgery comes under orthopedic surgery.
  • Fracture repair: Orthopedic surgeons perform surgeries to repair, realign and stabilize broken bones using different techniques.
  • Ligament and tendon repair: Surgeries are done to repair the torn ligaments or tendons present in the knee or shoulder.
  • Hand and wrist surgery: Conditions like carpal tunnel syndrome, trigger finger, hand/ wrist fractures etc, need the surgery procedure and come in the ortho surgeon department.
  • Foot and Ankle Surgery: Orthopedic surgeons perform surgeries to correct problems such as bunions, ankle fractures, or Achilles tendon injuries.

What are the types of injuries that require surgery?

  • Fractures
  • Ligaments
  • Overuse injuries
  • Sprains
  • Impingement of any joint etc.

What are the common risks after the spine surgery?

  • Bleeding inside the spinal column
  • Leaking of the spinal fluid
  • Accidental damage to the blood vessel
  • Accidental damage to a nerve
  • Dural tear
  • Decreased range of motion

Measures to manage any risk and pain after the surgery:

  • Choosing experienced surgeon
  • Carefully following pre-surgery instructions
  • Communicate with your health care team
  • Doing regular exercise
  • Follow post-surgery instruction
  • Taking proper medications as suggested
  • Use ice or cold packs in the affected area
  • Practice the proper positioning and maintaining good posture
  • Take proper rest and avoid strenuous movements
  • Heat therapy to relax muscles and relieve pain should be done.

Orthopedic surgeons are trained to perform these surgeries. They analyze your condition closely and perform the surgery according to your situation.

For more assistance can check the Best ortho doctor in India.

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जोड़ प्रतिस्थापन सर्जरी में फिजियोथेरेपी कैसे एहम भूमिका निभाते है ?

संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी एक चिकित्सा प्रक्रिया है जो गंभीर जोड़ों के दर्द और सीमित गतिशीलता से पीड़ित व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकती है। हालाँकि, संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी की सफलता ऑपरेटिंग रूम में समाप्त नहीं होती है। ऑपरेशन के बाद के चरण में फिजियोथेरेपी की भूमिका रोगियों को उनकी गतिशीलता, शक्ति और समग्र कार्य को पुनः प्राप्त करने में मदद करने में महत्वपूर्ण है। यह लेख बताता है कि संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी में फिजियोथेरेपी कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है ;

फिजियोथेरेपी जोड़ प्रतिस्थापन सर्जरी में कैसे है सहायक ?

गतिशीलता बहाल करना : 

संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी के बाद, प्रभावित जोड़ को एक निश्चित अवधि के लिए स्थिर कर दिया जाता है। गतिशीलता को धीरे-धीरे बहाल करने के लिए सर्जरी के तुरंत बाद फिजियोथेरेपी शुरू होती है। कठोरता को रोकने और संचालित क्षेत्र में रक्त के परिसंचरण को बढ़ावा देने के लिए सरल व्यायाम और हल्की हरकतें शुरू की जाती है।

ताकत दोबारा हासिल करना : 

मरीजों को अक्सर सर्जरी से पहले निष्क्रियता और दर्द के कारण मांसपेशियों में कमजोरी का अनुभव होता है। फिजियोथेरेपिस्ट एक अनुरूप व्यायाम कार्यक्रम के माध्यम से इन मांसपेशियों को मजबूत करने पर काम करते है। मांसपेशियों की टोन और समग्र शक्ति में सुधार के लिए सरल प्रतिरोध व्यायाम निर्धारित है।

दर्द प्रबंधन : 

पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया के दौरान रोगी के आराम को सुनिश्चित करने के लिए फिजियोथेरेपी में सरल दर्द प्रबंधन तकनीकों को शामिल किया जाता है। दर्द को कम करने और सूजन को कम करने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट साधारण मालिश तकनीकों के साथ-साथ गर्म और ठंडी चिकित्सा जैसे तौर-तरीकों का उपयोग करते है।

अगर आप जोड़ों में दर्द के कारण चलने फिरने या कुछ भी कार्य करने में असमर्थ है तो इसके लिए आपको लुधियाना में बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जरी का चयन करना चाहिए।

उचित चाल और मुद्रा : 

संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी कराने वाले रोगियों के लिए उचित चाल और मुद्रा प्राप्त करना आवश्यक है। मरीजों को सही ढंग से चलने और संतुलित मुद्रा बनाए रखने में मदद करने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट सरल लेकिन प्रभावी तकनीकों का उपयोग करते है। प्रतिस्थापित जोड़ पर किसी भी तनाव को रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण है।

गति की सीमा : 

फिजियोथेरेपी प्रतिस्थापित जोड़ की गति की सीमा में सुधार लाने पर केंद्रित है। जोड़ के लचीलेपन को धीरे-धीरे बढ़ाने के लिए सरल, नियंत्रित गतिविधियों और स्ट्रेच का उपयोग किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मरीज़ बिना किसी प्रतिबंध के दैनिक गतिविधियाँ कर सकें। चाल में सुधार लाने के लिए आप फिजियोथेरेपी को लुधियाना में बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जन से करवा सकते है। 

जटिलताओं को रोकना : 

संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी के बाद रक्त के थक्के और जोड़ों की कठोरता जैसी जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती है। फिजियोथेरेपिस्ट इन समस्याओं से बचने के लिए मरीजों को सरल व्यायाम और तकनीक सिखाते है। उदाहरण के लिए, रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देने और थक्का बनने के जोखिम को कम करने के लिए टखने के पंप और फुट सर्कल की शुरुआत की गई है।

रोगी शिक्षा : 

फिजियोथेरेपी का एक मूलभूत पहलू रोगी शिक्षा है। मरीजों को सरल स्व-देखभाल तकनीक और व्यायाम सिखाए जाते है, जिन्हें वे घर पर कर सकते है। यह उन्हें उनकी रिकवरी में सक्रिय भूमिका निभाने और फिजियोथेरेपी के माध्यम से प्राप्त परिणामों को बनाए रखने के लिए सशक्त बनाता है।

प्रगति की निगरानी : 

फिजियोथेरेपिस्ट प्रत्येक रोगी की प्रगति की बारीकी से निगरानी करते है। वे आवश्यकतानुसार पुनर्वास योजना में समायोजन करते है, यह सुनिश्चित करते हुए कि रोगी अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ रहा है। ताकत और गतिशीलता में सुधार को ट्रैक करने के लिए सरल परीक्षण और माप का उपयोग किया जाता है।

समग्र कल्याण को बढ़ाना : 

संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी जीवन बदलने वाला अनुभव हो सकता है। फिजियोथेरेपी न केवल शारीरिक पहलुओं पर बल्कि रोगी के मानसिक और भावनात्मक कल्याण पर भी ध्यान केंद्रित करती है। सरल विश्राम तकनीकें और प्रोत्साहन पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

भविष्य की संयुक्त समस्याओं की रोकथाम : 

फिजियोथेरेपी पोस्टऑपरेटिव देखभाल से परे है। यह रोगियों को सरल जीवनशैली में संशोधन और व्यायाम के बारे में शिक्षित करता है जो भविष्य में जोड़ों की समस्याओं को रोकने में मदद कर सकता है। स्वस्थ वजन बनाए रखना और शारीरिक रूप से सक्रिय रहना दीर्घकालिक संयुक्त स्वास्थ्य के आवश्यक घटक है।

ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

अगर आप ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के दौरान फिजियोथेरेपी का चयन करना चाहते है, तो इसके लिए आपको हुंजन हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी के बाद रिकवरी की यात्रा में फिजियोथेरेपी एक अनिवार्य हिस्सा है। फिजियोथेरेपी में सरल लेकिन प्रभावी तकनीकों का उपयोग रोगियों को उनकी गतिशीलता, शक्ति और समग्र कार्य को पुनः प्राप्त करने में मदद करता है। यह दर्द प्रबंधन, जटिलताओं को रोकने और एक पूर्ण, सक्रिय जीवन में सहज परिवर्तन सुनिश्चित करने में भी योगदान देता है। संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी और फिजियोथेरेपी के बीच साझेदारी एक महत्वपूर्ण साझेदारी है, जो रोगियों को अपनी स्वतंत्रता और कल्याण को पुनः प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है।

 

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भौतिक चिकित्सा (फिजिकल थेरेपी) का लाभ किसे होता है, और यह कैसे मदद कर सकते है ?

फिजिकल थेरेपी एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा है जो व्यापक स्तर के व्यक्तियों को लाभ पहुंचाती है। चाहे आप किसी चोट से उबर रहे हों, किसी पुरानी स्थिति का प्रबंधन कर रहे हों, या अपनी समग्र शारीरिक भलाई में सुधार करना चाह रहे हों, भौतिक चिकित्सा सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तो इस ब्लॉग में, हम यह पता लगाएंगे कि भौतिक चिकित्सा का लाभ किसे होता है और कैसे यह चिकित्सा किसी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में गेम-चेंजर हो सकती है ;

फिजिकल थेरेपी का लाभ किसे होता है ?

एथलीट : 

सप्ताहांत योद्धाओं से लेकर पेशेवर खिलाड़ियों तक सभी स्तरों के एथलीट, भौतिक चिकित्सा से लाभान्वित होते है। वे चोटों को रोकने, खिंचाव और मोच से उबरने और अपने प्रदर्शन को बढ़ाने में मदद के लिए भौतिक चिकित्सकों पर भरोसा करते है। चिकित्सक ताकत और लचीलापन बनाने, शरीर की यांत्रिकी को अनुकूलित करने और चोटों के बाद रिकवरी में तेजी लाने के लिए व्यायाम और तकनीकों का उपयोग करते है।

अगर खेलते समय आपकी हड्डियों या नसों में मोच की समस्या उत्पन्न हो गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जन का चयन करना चाहिए। 

वरिष्ठ नागरिक : 

भौतिक चिकित्सा वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार ला सकती है। यह गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस और गतिशीलता समस्याओं जैसे उम्र से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने में मदद करता है। भौतिक चिकित्सक स्वतंत्रता बनाए रखने और दर्द को प्रबंधित करने के लिए वैयक्तिकृत व्यायाम आहार बनाते है। वे वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए संतुलन और गिरने की रोकथाम पर भी काम कर सकते है।

सर्जरी के बाद के मरीज़ : 

सर्जरी के बाद, जैसे कि संयुक्त प्रतिस्थापन या पुनर्निर्माण प्रक्रिया, भौतिक चिकित्सा अक्सर पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा होता है। यह खोई हुई गतिशीलता, शक्ति और कार्य को पुनः प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि व्यक्ति अपनी दैनिक गतिविधियों में तेजी से और बेहतर परिणामों के साथ वापस लौट सकते है।

पुरानी स्थितियों वाले लोग : 

बहुत से लोग मधुमेह, हृदय रोग, या मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी पुरानी स्थितियों से पीड़ित रहते है। भौतिक चिकित्सा शारीरिक फिटनेस में सुधार, दर्द का प्रबंधन और समग्र कल्याण को बढ़ाकर चिकित्सा उपचार को पूरक कर सकती है। चिकित्सक अक्सर पुरानी स्थिति वाले लोगों को उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए स्व-प्रबंधन तकनीक सीखने में मदद करते है।

न्यूरोलॉजिकल स्थितियों वाले व्यक्ति : 

भौतिक चिकित्सक स्ट्रोक, पार्किंसंस रोग, या रीढ़ की हड्डी की चोटों जैसी न्यूरोलॉजिकल स्थितियों वाले लोगों की सहायता करते है। वे संतुलन, समन्वय और गतिशीलता के मुद्दों को संबोधित करने के लिए विशेष अभ्यास और तकनीकों का उपयोग करते है। लक्ष्य मरीजों को कार्यात्मक स्वतंत्रता हासिल करने और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करना है।

विकास संबंधी समस्याओं वाले बच्चे : 

सेरेब्रल पाल्सी या ऑटिज्म जैसी विकास संबंधी समस्याओं वाले बच्चों को उनके मोटर कौशल, समन्वय और मांसपेशियों की ताकत में सुधार के लिए भौतिक चिकित्सा से लाभ होता है। चिकित्सक बच्चे के विकास के लिए एक सहायक वातावरण बनाने के लिए माता-पिता और देखभाल करने वालों के साथ काम करते है।

कार्यस्थल पर चोटें : 

जिन लोगों को कार्यस्थल पर चोटें लगी है, जैसे पीठ में खिंचाव या बार-बार तनाव की चोटें, भौतिक चिकित्सा को उनके ठीक होने का एक महत्वपूर्ण घटक मानते है। भौतिक चिकित्सक दर्द प्रबंधन में सहायता करते है और भविष्य की चोटों को रोकने के लिए एर्गोनोमिक तकनीक सिखाते है।

आसन की समस्या वाले व्यक्ति : 

खराब आसन से दीर्घकालिक दर्द और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। भौतिक चिकित्सा व्यक्तियों को व्यायाम और शिक्षा के माध्यम से उनकी मुद्रा को सही करने में मदद कर सकती है। इससे न केवल दर्द कम होता है बल्कि भविष्य में होने वाली जटिलताओं से भी बचाव होता है।

गर्भवती महिलाएं : 

फिजिकल थेरेपी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था से जुड़े दर्द और परेशानी, जैसे पीठ दर्द और मांसपेशियों में खिंचाव को प्रबंधित करने में मदद करती है। व्यायाम और स्ट्रेचिंग से राहत मिल सकती है, जिससे गर्भावस्था का अनुभव अधिक सुखद हो जाता है।

श्वसन संबंधी समस्याओं वाले लोग : 

अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं वाले व्यक्ति, फेफड़ों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने और उनके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए श्वास तकनीक सिखाने के उद्देश्य से भौतिक चिकित्सा से लाभ उठा सकते है।

फिजिकल थेरेपी आपकी मदद कैसे करते है ?

  • ये थेरेपी आपके शरीर के दर्द को कम करने या ख़त्म करने का काम करते है। 
  • इस थेरेपी की मदद से आपकी गतिशीलता बहाल होती है, और आपको चलने फिरने में सहज बनाती है। 
  • इस थेरेपी की मदद से आप सर्जरी से बच सकते है। लेकिन स्थिति गंभीर होने पर आपको लुधियाना में बेस्ट आर्थोपेडिक सर्जरी का चयन करना पड़ सकता है, लेकिन इस सर्जरी का चयन करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
  • किसी भी चोट से बाहर निकालने में ये थेरेपी आपकी मदद करते है। 
  • उम्र बढ़ने के नकारात्मक प्रभाव को रोकने में भी ये आपकी मदद करते है। 
  • अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने में भी ये थेरेपी आपकी मदद करती है।

ध्यान रखें !

व्यायाम, मैनुअल थेरेपी और शिक्षा के संयोजन का उपयोग करके भौतिक चिकित्सा मदद करती है। भौतिक चिकित्सक व्यक्ति की स्थिति का आकलन करते है और एक व्यक्तिगत उपचार योजना विकसित करते है। वे शक्ति, लचीलेपन और गतिशीलता में सुधार के लिए व्यायाम के माध्यम से रोगियों का मार्गदर्शन करते है। मैनुअल थेरेपी तकनीक, जैसे मालिश या जोड़ों में हेरफेर, का उपयोग दर्द से राहत और उपचार को बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, मरीजों को अपनी स्थिति का प्रबंधन करने और आगे की समस्याओं को रोकने के बारे में शिक्षा प्राप्त होती है।

लेकिन जैसे की अगर आपके जोड़ों या घुटनों में गंभीर चोट लग जाए तो इससे बचाव के लिए आपको हुंजन हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

भौतिक चिकित्सा एक बहुमुखी स्वास्थ्य सेवा है जो व्यापक श्रेणी के व्यक्तियों को लाभ पहुँचाती है। एथलीटों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक, पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों से लेकर विकासात्मक समस्याओं वाले बच्चों तक, और इनके बीच के सभी लोगों के लिए, भौतिक चिकित्सा बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य और कल्याण का मार्ग प्रदान करती है। यह न केवल चोटों के इलाज के बारे में है बल्कि उन्हें रोकने और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने के बारे में भी है। भौतिक चिकित्सा का प्रभाव लंबे समय तक चलने वाला होता है, जो इसे अपनाने वालों के लिए स्वस्थ, खुशहाल जीवन को बढ़ावा देता है।