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Orthopaedic Surgery

Play Safe, Recover Strong: Home Remedies for Minor Sports Injuries and When to See a Doctor

Being involved with sports of any nature comes with the risk of facing orthopaedic injuries on the field. These injuries can range from being easily manageable to requiring surgery – it depends on how badly you have injured yourself. If the injury appears to be manageable, you can try any of the following home remedies to relieve the pain:

  • Proper bed rest: If the pain does not alleviate after a few hours, you can try resting for a day or two.
  • Ice: Using Ice compressions can help with the pain 
  • Pain Medication: Taking some analgesics could help in pain management

 

If the pain persists despite trying everything, you could have sustained a much more serious injury. It is advised that you immediately go see an orthopaedic expert so they can analyze and diagnose you properly. 

 

A serious injury can hinder your ability to play and engage with the sport. It can have an impact on the following muscles: 

  • Knee
  • Elbow
  • Ankle

 

Serious sports injuries can often require an arthroscopy, which can only be done by experts. At Hunjan Hospital, you can find answers to all your orthopaedic needs. With our team of highly-trained and experienced doctors, you are sure to find some sense of peace. We house state-of-the-art technological equipment for your wellness and betterment – including the apparatus to conduct robotic knee surgery. If you are facing any knee-related troubles, book your appointment today and get back in the game.

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ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी से हो सकती है हड्डियां खोखली, पुरुष भी हो रहे है इस समस्या से शिकार

ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों से जुड़ी एक किस्म की बीमारी है, जिसमें हड्डियां खोखली होने लग जाती है | इस समस्या से शरीर के हर अंग से हड्डियों के जोड़ खुलने लगते है, जिसकी वजह से हड्डियां कमज़ोर होने लगती है और इसी के साथ ही हड्डियों के टूटने का खतरा भी बढ़ जाता है | ऑस्टियोपोरोसिस के अधिकतर मरीज महिलायें या फिर अधेड़ उम्र के लोगों को ही होती थी, लेकिन बीतें कुछ वर्षों से ऑस्टियोपोरोसिस के मामले पुरुषों में भी पाए जा रहे है और साथ ही इसका स्तर तेज़ी से बढ़ता भी जा रहा है | 

 

हुन्जुन हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन जो की ऑर्थोपेडिक सर्जन में एक्सपर्ट है, उन्होंने ने यह बताया की कैसे अब पुरुष भी ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी के चपेट में आ रहे है और कैसे इस समस्या का इलाज किया जा सकता है | उससे पहले यह जान ले की ऑस्टियोपोरोसिस क्या होती है | आइए जानते है ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी के बारे में विस्तार पूर्वक से :- 

 

ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी क्या है ? 

 

ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी से हड्डियों में मौजूद घनत्व कम होने लग जाता है, जिसकी वजह से हड्डियां अंदर से कमज़ोर होने लग जाती है | समस्या के ज्यादा बढ़ने पर हड्डियां कभी भी चटक सकती है | अगर सही समय इलाज न किया गया तो इससे इंसान अपाहिज तक हो सकता है | 

 

ऑस्टियोपोरोसिस किन गंभीर बीमारियों की वजह से बन रही है ?    

 

पिछले बीते कुछ सालों में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या तेज़ी से बढ़ते जा रही है | इसकी असली वजह लोगों की बदलती  जीवनशैली है | दरअसल जब किसी व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी जैसे की डॉयबटीज, कार्डियक डिजीज, एप्लेप्सी, गठिया या फिर आर्थराइटिस की समस्या से गुज़र रहे होते है तब यह बीमारी बहुत जल्दी ट्रिगर कर जाती है |  

 

नशीली पदार्थों के सेवन से भी हो जाती है यह बीमारी ? 

 

यदि आप लगातार ज्यादा मात्रा में शराब और धूम्रपान करते है तो इससे भी आप ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी का शिकार हो सकते है | इसके साथ ही अगर आप हाई रिस्क वाली दवाइयों का सेवन कर रहे है तो इसकी वजह से भी ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो जाती है |   

 

ऑस्टियोपोरोसिस से कैसे करें अपना बचाव ? 

 

ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए बेहतर डाइट का सेवन करें | सबसे पहले अपनी डाइट में डेयरी से बने प्रोडक्ट्स या फिर दूध को दिन में दो बार शामिल करें | विटामिन डी का भी अंतर्ग्रहण कम नहीं होना चाहिए, इसे आप कैप्सूल के रूप में भी ले सकते है और इसी के साथ ही सूरज की रौशनी मिलनी भी ज़रूरी है | 

 

एक्सरसाइज से होती है हड्डियां मजबूत

 

यदि आप अपने हड्डियों की मजबूती को बरकरार रखना चाहते है तो इसके लिए आपको अपने डेली लाइफस्टाइल में हेअल्थी डाइट के साथ-साथ एक्सरसाइज को भी शामिल करें | डेली फिजिकल एक्टिविटी से हड्डियां मजबूत होती है | 

 

इससे संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप हुन्जुन हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | यहाँ के डॉक्टर  बलवंत सिंह हुन्जुन ऑर्थोपेडिक सर्जन में स्पेशलिस्ट है जो इस समस्या से आपको छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते है 

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Knee replacement

जाने घुटनों की समस्याओं से जुड़ी कुछ मिथ्स एंड फैक्ट्स और कैसे किया जा सकता है इसका उपचार

आज के दौर में जहाँ लोगों की ज़िन्दगी में दिन-प्रतिदिन परिवर्तन आ रहे है, वहीँ सेहत से जीडी समस्यायों के मामले भी बढ़ते जा रहे है | जिस कारण दुनिया भर में हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से जूझ रहा होता है, जिसमे से सबसे आम समस्या है घुटनो का दर्द | आइये जानते है एक्सपर्ट्स से क्या है इसमें उनकी राय :- 

 

हुन्जुन हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट के सीनियर डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन ने अपाने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया कि आज के समय में हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति घुटने से जुड़ी समस्याओं से गुजर रहा है, जैसे कि घुटनों में हर समय दर्द रहना, चलने में दिक्कत आना,  बैठने में भी परेशानी आ रही है आदि शामिल है | यह समस्या बढ़ने की मुख्य वजह है व्यक्ति की ख़राब जीवनशैली | कुछ चीज़ें थी जो पहले के दशक में बहुत कम होता है जैसे की लगातार सीढ़ियां चढ़ना या फिर अपने पैरों के भार काफी समय तक बैठना,  अब इससे घुटनो पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है | 

 

इसके अलावा कुछ खुराक भी है, जिन पर आज के समय में शुद्धता की काफी कमी आ गयी है, यहाँ तक के फल-सब्जियों भी मिलावट वाली आने लग गई है | जिसकी वजह हर व्यक्ति की सेहत पर काफी बुरा असर पड़ रहा है, खासकर उनके हड्डियों  पर | पहले के दशक में सिर्फ बुजुर्गों की हो घुटनो में दर्द होता था, लेकिन आज के समय में कम वर्ग के लोग भी इस समस्या से  गुजरना पड़ रहा है | 

 

डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन ने बताया की कुछ युक्तियों के अनुसरण से घुटनों के दर्द को कम किया जा सकता है | हुन्जुन हॉस्पिटल में एडवांस और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके हर बीमारी और समस्या का इलाज किया जाता है | यहाँ बीमारी के सिर्फ कारणों पर ही नहीं बल्कि समस्या को जड़ से ख़तम करने की कोशिश की जाती है | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप हुन्जुन हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है |  इस चैनल पर इस विषय संबंधित संपूर्ण जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है | इसके अलावा आप हुन्जुन हॉस्पिटल से परामर्श भी कर सकते है | इस संस्था के डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन ऑर्थोपेडिक में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या को कम करने के साथ-साथ इस विषय संबंधित संपूर्ण जानकारी दे सकते है |  

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Knee Pain

किन बातों का ध्यान रखने से घुटने हो जाएंगे तंदुरुस्त? जानिए एक्सपर्ट्स द्वारा बताए गए ये टिप्स & ट्रिक्स

घुटने में दर्द होने के कई कारण हो सकते है, जिस कारण से कई लोग व्यायाम करना ही  छोड़ देते है | घुटना शरीर का एक ऐसा जोड़ है जिस पर किसी भी तरह का काम करने के दौरान काफी दबाव पड़ता है | दरअसल घुटने का सबसे ज़्यादा उपयोग कई गतिविधियों में किया जाता है जैसे की चलने में, दौड़ने में या फिर किसी ऊंचाई जगह पर चढ़ने में आदि | जिसकी वजह से इनमे चोट लगने का जोखिम कारक बढ़ जाता है, जो आगे जाकर दर्द का कारन बन जाती है | घुटनो में आये दर्द और चोट की वजह से व्यायाम करने में काफी कठिनाई होती है, खासकर उस व्यक्ति को जिनका वजन एक नियमित रूप से अधिक होता है | हालाँकि व्यायाम से आप घुटनो से बेहतर कार्य करने में, दर्द को कम करने और वजन को घटने में काफी मदद मिल सकती है | 

 

हुन्जुन हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर जसवीर सिंह ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया की बढ़ती उम्र के साथ-साथ घुटनो में दर्द की समस्या होना बहुत आम है | लेकिन कई बार कुछ व्यायाम ऐसे भी होते है जिस को करने से घुटनो में दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है | इसलिए इस बात का जानना बेहद ज़रूरी है घुटनो के दर्द में किन व्यायाम से बचना चाहिए और की व्यायायमो का पालन करना चाहिए | 

 

घुटनों में दर्द होने पर निम्नलिखित बातों का ध्यान चाहिए :- 

  • सैर करे :- घुटनों में दर्द हो रहे लोगों को थोड़े बहुत चलने की सलाह दी जाती है | सैर करना काम प्रभाव वाली गतिविधि  में से एक होती है, जो घुटनो पर ज्यादा बोझ नहीं डालती | इसलिए आपको लम्बे और धीमी सैर करना चाहिए | इसके आलावा रोज़ाना टहलने से आपको वजन को कम करने में भी काफी मदद मिल सकती है, क्योंकि अतिरिक्त वजन भी घुटनो में काफी दबाव डालते है | 


  • एक्सरसाइज के दौरान नी-कैप का इस्तेमाल करें :-  एक्सरसाइज के दौरान इस बात का ज़रुर ध्यान रखे की आप नी-कैप पहना हो | यह नी-कैप घुटनो के मांसपेशियों में पड़ने वाले बोझ को कम करने में मदद करती है | 


  • पानी में  एक्सरसाइज करें :- पानी में उछलना घुटनों में पड़ रहे दबाव और तनाव को कम करने बहुत सहायक है | इसलिए घुटनो के दर्द से पीड़ित व्यक्ति को पानी में व्यायाम ज़रूर करना चाहिए | 


  • किसी भी व्यायाम को ज्यादा न करे :- घुटनो के जोड़ो के प्रति अति प्रयोग से बचने के लिए व्यायाम को बदलते रहे | इससे आपके जोड़ो में दबाव भी कम पड़ेगा और दर्द भी नहीं होगा | 

 

इससे संबंधित कोई भी जानकारी के लिए आप हुन्जुन हॉस्पिटल का चयन कर सकते है, यहाँ के डॉक्टर जसवीर सिंह ओर्थपेडीक में एक्सपर्ट है, जो इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है | 

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Hindi Psychotherapy

मानसिक रोग और डिप्रेशन की समस्या से कैसे पाएं छुटकारा ? जाने एक्सपर्ट्स से क्या है उनकी राय

स्ट्रेस और तनाव जैसी परेशानी से आज के समय में हर व्यक्ति गुजर रहा है | यह एक तरह का मानसिक से संबंधित रोग होता है | तनाव के कारण व्यक्ति में  अनेक तरह के मनोविकार उत्पन्न हो जाते है, जिसकी वजह से वह हमेशा अशांत और अस्थिर  रहने लगते है | तनाव से पीड़ित व्यक्ति का मन कभी भी किसी काम में एकाग्र नहीं हो पता, जिसे उसके कार्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है | 

 

हुन्जुन हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर तरलोचन सिंह ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के द्वारा इस बात का जाहिर किया की आज के समय में हर शख्स मानसिक रोग और डिप्रेशन की समस्या से पीड़ित है और इसका दर दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहा है | वैसे तो थोड़े मात्रा में तनाव और स्ट्रेस हमारे जीवन का हिस्सा होता है लेकिन जब यह अधिक हो जाये और अनियंत्रित होने लगे तो यह हमारे मस्तिष्क पर काफी बुरा प्रभाव डाल सकता है जिस वजह से अवसाद और मानसिक रोग जैसी  समस्या उत्पन्न हो जाती है |  

 

डिप्रेशन होने के कई कारण हो सकते है, जिनके बारे में विस्तारपूर्वक जानना बेहद ज़रूरी होता है, क्योंकि अगर आपको  इस समस्या के होने कारण का पहले ही पता रहेगा, तो आप इस समस्या का जल्द से जल्द इलाज छुटकारा पा सकेंगे  | इसके लिए आपको अच्छे चिकित्सक के पास जाकर इस समस्या का अच्छे से निरिक्षण करवाना चाहिए | आइये जानते है इसके मुख्य लक्षण कौन से है  :- 

 

  • डिप्रेशन से पीड़ित व्यकति हमेशा उदास रहता है 
  • मरीज़ स्वयं से उलझन और हारा हुआ महसूस करता है 
  • आत्मविश्वास की कमी हो जाती है 
  • किसी भी काम में मन नहीं लगता 
  • मरीज़ को अंदर ही अंदर बेचैन जैसा प्रतीत होता है 
  • मरीज़ को हर समय बुरा होने की आशंका रहती है 
  • मन में हमेशा किसी द्वारा हानि पहुंचाने का डर रहता है 
  • मरीज़ हमेशा चिड़चिड़ा रहता है और किसि से बात नहीं करता 

और भी ऐसे कई लक्षण है जिससे अवसाद की समस्या हो सकती है | 

 

डॉक्टर तरलोचन सिंह ने बताया की इस समस्या से बचाव के लिए मरीज़ को भरपूर पानी का सेवन करना चाहिए, सतुलित भोजन का सेवन करे, कम से कम चिंता और तनाव ले, शरीरक रूप के साथ-साथ मानसिक रूप से भी खुद को आराम दे, धूम्रपानं और शराब जैसी नशीली पदार्थ का सेवन न करे, ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार के साथ बिताये आदि तरीके से आप डिप्रेशन और मानसिक रोग से मुक्ति पा सकते है | 

 

यदि ऐसा करने से भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आ रहा तो बेहतर है कि आप किसी अच्छे चिकित्सक के पास जाकर इस समस्या का अच्छे से इलाज करवाए | इसके लिए आप हुन्जुन हॉस्पिटल से परामर्श भी कर सकते है, यहाँ के डॉक्टर तरलोचन सिंह साइकोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है और इन्हे 12 वर्षो का तज़र्बा है |

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30 की उम्र के बाद महिलाओं में दिखने लग जाती है कैल्शियम की कमी के ये 7 लक्षण, जाने कौन से है यह लक्षण

30 से अधिक उम्र वाली महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव दिखने लग जाते है, जिनमे में एक है हड्डियों का कमजोर होना | कैल्शियम एक ऐसा पोषक तत्व है जो दांतों और हड्डियों के लिए बेहद आवश्यक होता है | इस उम्र में कैल्शियम की कमी हो जाती है जिसे कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है | आइये जानते है हड्डियों में कैल्शियम की कमी के 7 ऐसे लक्षण जिसका जानना है बेहद ज़रूरी :- 

 

  1. हड्डियों में दर्द और कमजोरी आना :- कैल्शियम की कमी के बाद हड्डियां काफी कमजोर हो जाती है, जिससे यह हड्डियों में दर्द होने लगता है | यह दर्द ऐसा होता है जो कभी अचानक या धीरे-धीरे होने लगता है | 

 

  1. आसानी से फ्रैक्चर होने की समस्या :- कैल्शियम की कमी से हड्डियां इस हद तक कमजोर हो जाती है इनके आसानी से फ्रैक्चर होने का खतरा भी बढ़ जाता है | हलकी सी चोट से भी यह टूट सकती है | 

 

  1. दांतों से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न होना :- जहाँ कैल्शियम हड्डियों के लिए ज़रूरी है वही यह दांतों के लिए भी है | इसकी कमी दांतो में सड़न और मसूड़ों में सूजन जैसी  समस्या उत्पन्न हो जाती है | 

 

  1. मांसपेशियों में ऐंठन आना :- कैल्शियम के कमी से मांसपेशियों में ऐठन और अकड़न होने लगता है,यह समस्या खासकर रात में समय में उत्पन्न होती है | 

 

  1. थकान और सुस्ती महसूस होना :- कैल्शियम मांसपेशियों और नसों में सही काम करने के लिए आवश्यक होता है, क्योंकि इसकी कमी से शरीर में कमजोरी और सुस्ती छाई रहती है | 

 

  1. नाखून में बदलाव आना :- कैल्शियम की कमी से नाखूनों में खून के सफ़ेद धब्बे दिखाई देने लगते है, जिससे यह कमजोर और भंगुर हो जाते है | 

 

  1. हेयर फॉल की समस्या :- कैल्शियम बालों के विकास का भी कार्य करता है, इसकी कमी से हेयर फॉल की समस्या उत्पन्न हो सकती  है |

 

अगर आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर इस समस्या का इलाज

कराएं | आप हुन्जुन हॉस्पिटल का चयन भी कर सकते हैं यहां के डॉक्टर ऑर्थोपेडिक में एक्सपर्ट है जो आपको इस समस्या से मुक्त करने में सहायता करेंगे |

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Back Pain Hindi

कुर्सी में लगातार बैठने से आ गया है कमर और पीठ में दर्द, जानिए जिससे तुरंत मिले आराम

ज्यादा देर बैठने से जब हैमस्ट्रिंग पीठ को पूरे दिन ठीक से नहीं खींच पाता जिसकी वजह से धीरे-धीरे हमारे बैठने, उठने और चलने की प्रक्रिया में  काफी बुरा प्रभाव पड़ने लगता  है | इससे  हमारे मानसिक रूप पर भी काफी बुरा असर पड़ता और मूड स्विंग जैसे स्थिति उत्पन्न हो जाती है |

वर्क लोड होने के कारण कई लोगो को काफी समय तक कुर्सी में बैठकर कंप्यूटर में काम करना पड़ता है | जिसकी वजह से कमर, कंधे, गर्दन और पीठ में तीव्र पीड़ा उत्पन हो जाती है | कई लोगो को वजन बढ़ने या फिर पॉस्चर बिगड़ने से भी कमर और पीठ में दर्द जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है | |इस समस्या को कम करने के लिए बताए गए एक्सरसाइज का उपयोग कर सकते है |

पहली एक्सरसाइज :- इस एक्सरसाइज के अभ्यास के लिए पहले आप कुर्सी पर आगे के हिस्से में किनारे पर बैठ जाएं, फिर पीठ सीधी करके एकदम तनकर बैठें। अब सामने की तरफ देखते हुए अपने पैरों को मोड़ें और धीरे-धीरे पेट के पास ले आएं।

दूसरी एक्सरसाइज :- इस एक्सरसाइज में चेस्ट को स्ट्रेच करते हुए पैरों की तरफ ऊपर को उठाएं, फिर पैरों को हवा में रखकर 1-5 तक की गिनती करें।जिन लोगों को यह एक्सरसाइज ऐसे करने में असुविधा महसूस हो वह अभ्यास के समय कुर्सी पर पीठ टिकाकर एक्सरसाइज कर सकते हैं।

अगर इसके बावजूद भी कोई सुधार नहीं आ रहा तोह बेहतर यही है की आप एक्सपर्ट्स से राय ले | अगर इस समस्या का सही इलाज करवाना चाहते हो तो आप हुन्जुन हॉस्पिटल का चयन का सकते है | इस संस्था के पास ओर्थपेडीक एक्सपर्ट्स डॉक्टर्स की बेहतरीन टीम है |

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Orthopaedic Surgery

Difference Between Orthopedic Surgery and Non-Surgery Treatment

Orthopedics is the broad-based medical and surgical speciality dedicated to preventing and treating diseases and injuries of the musculoskeletal system (a human body component that gives us movement, steadiness, form, and support)and diagnosing. Orthopedic conditions, such as arthritis and bursitis, affect the musculoskeletal system. They can cause dysfunction and pain, making even normal daily activities difficult. If you feel joint pain or other bone problems, visit the best ortho hospital Ludhiana; they have orthopedics and non-surgical treatments. 

 

What Is Orthopedic Surgery?

Orthopedic surgery is a procedure on the musculoskeletal system. Orthopedic surgery deals with congenital and acquired disorders, acute injuries, and chronic arthritic or overuse conditions of the bones, including ligaments, nerves and muscles, joints and their associated soft tissues. Orthopedic care reduces or eliminates an injury or condition that causes pain. One of the most common reasons for chronic pain is osteoarthritis. Please book an appointment with the best ortho doctor in India; they can diagnose and recommend an effective treatment plan.

  

What Are Non-Surgical Treatments?   

Non-surgical procedures can be grouped into five broad classes: first is physical examination (propaedeutic procedures) tests, x-rays and scans (diagnostic procedures) treatment to repair the effects of injury, disease or malfunctions, including medicines, physical and radiation therapies (therapeutic procedures). Non-surgical procedures are less risky because they do not require incisions or anesthesia. However, certain non-surgical treatments can have specific side effects, including swelling, redness, or bruising in the areas treated. These issues go away quickly. 

 

Preparing For Surgical Or Non-Surgical Treatments: 

  • Do Exercise: Exercise slows the rate of bone loss and preserves bone tissue, reducing the risk of fractures. Exercise helps reduce the risk of falls. Excessively vigorous exercise can increase the fracture risk, so see an exercise physiologist or physiotherapist for expert advice.
  • Maintain Healthy Weight: Weight-bearing activities that stress bones reduce the risk of osteoporosis (that can increase the risk of fractures), and strength training can increase bone density. Strength training can help with weight loss management and increase metabolism to help burn more calories.
  • Choose The Right Surgeon: Orthopedic doctors also offer extensive services to help you maintain health and well-being. These services include exercise programs, physical therapy, and advice on healthy lifestyle changes such as weight and diet management.
  • Follow Diet: Eat green vegetables, cheese, plant-based drinks, soya beans and nuts because they are rich in calcium, and calcium is good for strong bones.

 

Conclusion: 

Orthopedic disorders can be treated surgically and non-surgically using medications, physical therapies, exercises, alternative therapies, or a variety of surgical techniques. Some surgical approaches to treating orthopedic disorders are non-interventional. If you have injuries and other bone problems that make it difficult for you to do your daily activities, then you should visit the best Ortho Hospital in Ludhiana, where they will provide the best treatment.

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Orthopaedic Surgery

क्या सर्जरी से हो सकता है हड्डियों के टेढ़ेपन का इलाज ? जानिए क्या है एक्सपर्ट्स की राय

हड्डियों के टेढ़ेपन से जूझ रहे व्यक्ति अक्सर स्पाइनल कॉर्ड में होने वाले सर्जरी से परेशान रहते है | लेकिन मिनिमल इनवेसिव स्पाइनल सर्जरी ही एकलौता ऐसा सर्जरी है, जिसकी सहयता से हड्डियों के टेढ़ेपन जैसी समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है | मिनिल इनवेसिव टेक्नोलॉजी की जानकारी बहुत कम लोगों के पास  है, जिसके चलते कई लोग अपना इलाज करवाने से भी डरते है | 

कन्वेशल स्पाइन सर्जरी के मुकाबले में एम आई एस एस तकनीक से हुई सर्जरी ज्यादा लाभ देती है | इस तकनीक की सहायता से स्पाइनल कॉर्ड की सर्जरी के साथ-साथ वर्टिब्रल सर्जरी करना भी शामिल है | मिनिमल इनवेसिव स्पाइनल सर्जरी का सक्सेस रेट करीब 90 प्रतिशत है | 

हुन्जुन हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन जो की ऑर्थोपेडिक के एक्सपर्ट है, उन्होंने ने बताया की कैसे इस तकनीक की सहायता से हड्डियों के टेढ़ेपन से छुटकारा पाया जा सकता है | आइये जानते है क्या है  एक्सपर्ट्स की राय 

क्या है  मिनिमल इनवेसिव स्पाइनल सर्जरी ? 

डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन के अनुसार कन्वेशल स्पाइन सर्जरी की तुलना में  मिनिमल इनवेसिव स्पाइनल सर्जरी ज्यादा सुरक्षित रहती है और हड्डियों को ठीक में होने ज़्यादा समय भी नहीं लगता | इस सर्जरी के बाद किसी भी तरह के परेशानी के उत्पन होने का खतरा भी बहुत कम होता है | 

मिनिमल इनवेसिव स्पाइनल सर्जरी के दौरान सर्जन अनुक्रमत्व विस्तार द्वारा मरीज़ के पीठ की मासपेशियों के जरिये एक नली बनता है, जिससे कोशिका नष्ट हो जाती है और दर्द भी कम होता है | लेकिन कन्वेशल स्पाइन सर्जरी में मरीज़ के वर्टिब्रे टुकड़े की मासपेशियां को ही निकल दिया जाता है | 

मिनिमल इनवेसिव स्पाइनल सर्जरी के ऑपरेशन के बाद आये निशान बहुत काम होते है या फिर एक माप से भी  छोटे होते है, वही इससे विपरीत कन्वेशल स्पाइन सर्जरी के ऑपरेशन के बाद काफी बड़ा निशान रह जाता है | 

मिनिमल इनवेसिव स्पाइनल सर्जरी की किया जाता है हड्डियों के टेढ़ेपन का इलाज 

एम आई एस एस  हड्डियों के टेढ़ेपन से झूझ रहे हर मरीज़ के लिए पूर्ण नहीं होता | इस सर्जरी को व्यक्तिगत के अनुसार ही मूल्याकंत किया जाता है और मरीज़ को परामर्श दिया जाता है | यदि डॉक्टर ने मरीज़ को पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाले इस समस्या की  खुली धारणा का प्रमाण दे दिया है तो इसका मतलब यह नहीं की इस समस्या को ठीक होने में बहुत लम्बा समय लगेगा या फिर बहुत कष्टदाय होगा | इससे लिए मरीज़ को इस उप्लाब्दों के बारे में खुद को शिक्षिक करना चाहिए ताकि वह मरीज़ डॉक्टर के साथ अपने विकल्पों पर विचार विमर्श कर सके और स्वंय के सही विकल्पों का चुनाव कर सके | 

एम आई एस एस लाभ क्या है ?  

कन्वेशल स्पाइन सर्जरी के मुकाबले एम आई एस एस के ज्यादा लाभ है | 

  • सर्जरी के बाद किसी भी प्रकार की कमजोरी का न आना 
  • समस्या से जल्दी से ठीक हो जाना  
  • हॉस्पिटल में ज्यादा दिन तक भर्ती न रहना 
  • रोग मुक्त हो जाना 
  • ऑपरेशन के बाद न्यूमतन निशान का रहना 
  • ऑपरेशन के बाद संक्रमण या फिर कोई भी दुष्प्रभाव ना होना 
  • कम से कम कोशिकाएं का नष्ट होना, जिसे दर्द भी बहुत कम होता है 
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Benefits of Physical Therapy After Orthopaedic Surgery

Every time someone goes for an orthopedic surgery, you will notice reduced mobility in their body. If we look at the older treatment methods under orthopedic surgeries, the recovery time used to be extensive, but nowadays, the surgeries have become more efficient and reduced complications.

Also, physical therapy has been added to the list after orthopedic Surgery.

Still, most people believe that physical therapy is not essential. If you also think the same, this post is for you, as here we will help you understand the benefits of physical therapy.

How Physical Therapy Helps After Orthopaedic Surgery?

There are several ways physiotherapy helps a person after orthopedic Surgery, let us have a look at some of them:

The first and most significant reason physical therapy is prescribed to a patient after their orthopedic Surgery is to enhance the person’s mobility. With the help of physical therapy, the person can move their body more effortlessly and live an everyday life easily.

Every time someone goes for orthopedic Surgery, they face many pain-related issues. So the second reason that makes physical therapy important after orthopedic Surgery is it helps with pain management issues.

Following all the movements made during physiotherapy could eliminate any development linked with blood clots. However, it is said that if you sit or keep your body in one position for a long time, blood clots usually form, and in severe cases, it can lead to blockage issues.

Most people are unaware of this fact, but because of the trauma of the Surgery, your tissues and muscles weaken. Hence if you want to strengthen them back, then physiotherapy is important.

Even if the patient thinks he is completely fine and doesn’t want to go for physiotherapy, they should also look for therapy, as their body would be able to get more strength to do the work.

With the help of physiotherapy, the patient could get more confidence about his body and movements. Hence if you are someone whose Surgery is completely cured, but you cannot walk or do movements properly then physical therapy is the right option for you.

Do we need Physical Therapy after every Orthopaedic Surgery?

Physical therapy is suggested after almost every Orthopaedic Surgery because with the help of physiotherapy, you can get the motion of your body back, and it also helps with pain relief.

Let us have a look at the list of orthopedic surgeries after which you need physical therapy:

Shoulder Replacement Surgery
Hip or Knee Joint Replacement Surgery
Spinal Surgery
Ankle or Elbow Reconstruction
Rotator Cuff Repairs

There are many more such orthopedic surgeries after which physical therapy is essential.

Conclusion:

If you are looking for the best Orthopaedic hospital in Ludhiana, then Hunjan Hospital is the best option, as they have the best Orthopaedic Surgeon in India