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स्पोर्ट्स इंजरी क्या और कैसे होती है, जाने इससे बचाव और इलाज कैसे करें ?

स्पोर्ट्स में भाग लेने वाले प्रत्येक एथलीट्स के लिए और अन्य लोगों के लिए खेल के दौरान चोट लगना बेहद आम होता है | इनमें से कुछ ख़ास चोटें ऐसी भी होती है, जिससे परंपरागत रूप से खेल में लगने वाली चोट की तरह माना जाता है | हालांकि यह चोट उन लोगों को भी लग सकता है, जिन लोगों ने खेल में भाग नहीं लिया होता है | उदाहरण के तौर पर बात करें तो गृहिणियों और कारखानों के कर्मचारियों को अक्सर टेनिस-एल्बो की समस्या हो जाती है, जबकि उन्होंने ने कभी टेनिस खेला नहीं होता है | 

स्पोर्ट्स इंजरी कारण, बचाव और उपचार की जानकारी

खेल में भाग लेने के बाद, व्यक्ति को हमेशा चोट लगने का खतरा रहता है | इसके अलावा जब एथलीट्स ठीक से वार्मअप नहीं कर पाते है तो इससे भी स्पोर्ट्स इंजरी होने की संभावना हो जाती है | जब एथलीट्स, उनमें मौजूद ताकत से अधिक बल का काम करते है तो इस स्थिति में अक्सर उनकी मांसपेशियां और स्थि-बंधन घायल हो जाते है | उदाहरण के तौर पर बात करें तो अगर एक व्यक्ति ऐसे व्यायाम को करने की कोशिश कर रहा है, जो उसके लिए बहुत कमज़ोर या फिर सख्त है, तो इससे वह व्यक्ति घायल हो सकता है | जब उन्हें सहारा देने वाली मांसपेशियां और स्थि-बंधन कमज़ोर हो जाती है तो ऐसी स्थिति में जोड़ों में चोट लगने की संभावना सबसे अधिक होती है | 

 

अलग-अलग शरीर की बनावट के चलते, हो सकता है आपके शरीर के अंगों में अलग-अलग तरह से दबाव पड़ें और इससे स्पोर्ट्स इंजरी होने का खतरा बढ़ जाएं | अत्यधिक प्रोनेशन करने से पैर और घुटने में दर्द होने का अनुभव हो सकता है | कुछ हद तक प्रोनेशन सामान्य होता है और पैरों की स्ट्राइकिंग फाॅर्स को पूरे पैर में बांटकर चोट को लगने से रोकने में मदद करता है | लेकिन जब आप प्रोनेशन अधिक समय तक करने लग जाते है तो इससे पैरों की हड्डियों में स्ट्रेस फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है | खेल के दौरान छोटी-मोटी चोट का लगना स्वाभाविक है, लेकिन कुछ चोटें ऐसे भी होते है जो समय के साथ-साथ गंभीर हो जाते है | आइये जानते है स्पोर्ट्स इंजरी होने के मुख्य कारण कौन से होते है :- 

 

स्पोर्ट्स इंजरी होने के मुख्य कारण 

खेल खेलने के दौरान या फिर उससे पहले एथलीट्स को कई कारणों से स्पोर्ट्स इंजरी हो सकती है, जिनमें शामिल है :- 

 

  • खेल खेलने से पहले ठीक से वार्मअप न करना 
  • खेल के सही तरीके का ठीक से अनुसरण न करना 
  • खेल में उपयोग होने वाले उपकरणों का ठीक से उपयोग न करना    
  • खेल के दौरान आवश्यक सुरक्षा को न अपनाने से भी स्पोर्ट्स इंजरी होने की संभावना बढ़ जाती है | 

 

स्पोर्ट्स इंजरी का कैसे करें इलाज ? 

खेल के दौरान लगने वाली चोट के कई कारण हो सकते है, उसी प्रकार से स्पोर्ट्स इंजरी के इलाज भी कई तरीकों से किया जाता है | लेकिन आपके चोट का इलाज किस उपचार की प्रक्रिया के माध्यम से करना है, यह पूर्ण रूप से चोट लगने के कारणों पर निर्भर करता है |  जिनमें से प्रमुख 5 तरीके कुछ इस प्रकार है :- 

 

  • आराम करें :- खेल के दौरान लगी चोट को ठीक करने के लिए सबसे आसान तरीका है की आप आराम करें | नियमित रूप से आराम करने से चोट काफी जल्दी ठीक हो जाता है और आप फिर से पहले की तरह अपने खेल को खेल सकते है | 


  • बर्फ की टकोर करें :- यदि चोट लगने के बाद आपके पास आराम करना का समय नहीं है तो राहत पाने के लिए आप बर्फ से टकोर करने के तरीके को अपना सकते है | बर्फ की टकोर करने प्रभावित हिस्से में उत्पन्न हुए सूजन को कम करने में मदद मिलती है | 


  • चोट लगे हिस्से दबाएं या फिर मालिश करें :- खेल के दौरान लगी चोट का इलाज, चोट लगे हिस्से को दबाकर या फिर मालिश करके किया जा सकता है | ऐसा करने से प्रभावित हिस्से में हो रहे दर्द को कम करने में मदद मिलती है और व्यक्ति को भी थोड़ा आराम मिलता है |  


  • चोट लगे हिस्से को उठाएं :- अधिकतर मामलों में एथलीट्स को सबसे अधिक चोट शरीर के निचले हिस्से में लगती है | ऐसे में आप चोट लगे हिस्से को उठाकर, इसका इलाज कर सकते है, जिससे एथलीट्स को काफी आराम मिलता है और वह जल्दी से ठीक भी हो जाते है |     


  • सर्जरी :- बहुत से एथलीट्स ऐसे भी होते है, जिनका लिगमेंट खेल के दौरान काफी क्षतिग्रस्त हो जाता है और इसके वजह से उन्हें असहनीय दर्द से गुजरना पड़ जाता है, जिसका इलाज केवल सर्जरी के माध्यम से ही किया जा सकता है |   

स्पोर्ट्स इंजरी कारण, बचाव और उपचार की जानकारी

स्पोर्ट्स इंजरी एक एथलीट्स के लिए बहुत बड़ी परेशानी का कारण बन सकते है | इसलिए प्रत्येक एथलीट्स के लिए यह ज़रूरी होता है की वह अपने चोटों  का समय पर इलाज करवाते रहें | यदि आप में से कोई भी एथलीट्स स्पोर्ट्स इंजरी से पीड़ित है तो इलाज के लिए आप हुंजन हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | हुंजन हॉस्पटल के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन पंजाब के बेहतरीन ऑर्थोपेडिक्स में से एक है, जो पिछले 32 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए आप ही हुंजन हॉस्पटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और पपरामर्श के लिए अपनी नियुक्ति की बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |   

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

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  • March 19, 2025

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नाबालिगों के जोड़ों में दर्द और सूजन होने के शुरूआती संकेत और लक्षण क्या होते है ?

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस, नाबालिगों और वयस्कों में होने वाला सबसे आम किस्म का अर्थराइटिस होता है | यह आमतौर पर हाथों, घुटनों, पैर के टखनों, कोहनी या फिर कलाई के जोड़ों में सूजन और दर्द का कारण बनते है | इसके साथ ही यह शरीर के अन्य भागों को भी काफी हद तक प्रभावित कर देती है | जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस को पहले जुवेनाइल रूमेटाइड अर्थराइटिस के नाम से जाना जाता था, क्योंकि यह वयस्कों में होने वाली बीमारी बच्चों के संस्करण वाला नहीं होता है, इसलिए इसका नाम बदल दिया गया था | “जुवेनाइल अर्थराइटिस” शब्द का इस्तेमाल उन सभी जोड़ों से जुडी स्थिति का वर्णन करने के लिए जाता है, जो नाबालिगों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकती है | 

 

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस एक प्रकार का ऑटोइम्म्युन और आउटइंफ्लामेन्ट्री से जुड़ा रोग होता है | इस मतलब यह हुआ की प्रतिरक्षा प्रणाली, जो शरीर में मौजूद कीटाणुओं और वायरस जैसे आक्रमणकारियों से लड़ने का कार्य करती है, वह भ्रमित हो जाते है और शरीर में मौजूद ऊतकों पर हमला करने लग जाते है | इसके अलावा यह शरीर में सूजन का कारण बनते है, जो जोड़ों के चारों ओर बने ऊतक अस्तर पर हमला करने लग जाते है, जिनका काम ऐसे तरल पदाथ का उत्पादन करना होता है, जो चलन में आसानी और जोड़ों को कुशन करने में मदद करता है | सिनोवियम के जोड़ में आये सूजन से, दर्द या फिर कोमलता का महसूस हो सकता है, जिससे यह लाल और सुजा हुआ लग सकता है और हिलने-जुलने में परेशानी हो सकती है | आइये जानते है जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस के मुख्य लक्षण कौन-से है :- 

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस के मुख्य लक्षण

 

  • शरीर के जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न होना 
  • लंबे समय तक एक ही स्थिति में सोने से जोड़ों में अकड़न और दर्द का अनुभव होना | 
  • आंखों में धुंधलापन आना, लालिमा, दर्द का अनुभव या फिर चमकदार रोशनी देखने परेशानी होना  
  • त्वचा में लाल धब्बेदार और चकत्ते वाले दाने का उत्पन्न होना   
  • बुखार का होना 
  • अधिक थकान या फिर कमज़ोरी महसूस होना 
  • भूख न लगना 

 

बच्चों में होने वाले जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस के विशिष्ट प्रकार 

 

  • आलिगोअर्थराइटिस :- यह अर्थराइटिस चार या फिर उससे भी अधिक जोड़ों को प्रभावित कर सकता है, खासकर शरीर में मौजूद बड़े जोड़ों को जैसे की घुटने, पैर के टखने और कोहनी आदि | यह जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस का सबसे आम उपप्रकार होता है | 

 

  • पॉलीअर्थराइटिस :- दरअसल यह एक गठिया का रूप होता है, जिसे पॉलीआर्टिकुलर गठिया के नाम से भी जाना जाता है | यह बीमारी घुटनों को गंभीर रूप से ग्रस्त कर सकता है | पॉलीअर्थराइटिस से जोड़ों में सूजन और फ्रैक्चर की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है |  

 

  •  प्रणालीगत :- प्रणालीगत का मतलब है, शरीर के किसी विशिष्ट अंग या फिर जोड़ को प्रभावित करने के बजाए, पूरे शरीर को प्रभावित करना | इसके लक्षणों में तेज़ भुखार शामिल हो सकता है, जिसमें शरीर का तापमान 103 °F या फिर इससे भी अधिक होता है और यह दो सप्ताह या फिर उससे भी अधिक समय तक रह सकता है |     

     

  • सोरियाटिक गठिया :- यह गठिया तब होता है, जब आपके शरीर में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रमित हो जाता है और स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करने लग जाता है | इस बीमारी के लक्षण में आपको जोड़ों के साथ-साथ कानों के पीछे या फिर पलकों, कोहनी, घुटनों, नाभि और खोपड़ी पर पपड़ीदार दाने दिखाई दे सकता  है | इस अलावा ये बीमारी एक या फिर एक से अधिक जोड़ों को एकसाथ प्रभावित कर सकती है | 

 

  • एन्थेसाइटिस-संबंधी :- इस अर्थराइटिस को स्पोंडिलोअर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है | यह आमतौर पर शरीर के उस हिस्से को प्रभावित करता है, जहाँ मांसपेशियां, स्नायुबंधन या फिर टेंडन हड्डी से जुडते है | ज्यादातर मामलों में यह अर्थराइटिस  कूल्हे, घुटनों और पैरों को सबसे अधिक प्रभावित करते है, लेकिन यह उंगलियां, कोहनी, श्रोणि, छाती, पाचन तंत्र और पीठ के निचले को भी प्रभावित करने के सक्षम होते है | यह अर्थराइटिस लड़कों में, जिनकी उम्र आठ से 15 है, उनमें सबसे अधिक दिखयी दे सकते है |      

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस होने के मुख्य कारण  

 

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस होने के सही और मुख्य कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन कुछ कारकों से यह बीमारी होने की पुष्टि की जा सकती है, जिसमें शामिल है :- 

 

  • जीआईए एक प्रकार की ऑटोइम्म्युन बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रमित होकर जोड़ों पर हमला कर देती है | 
  • जीआईए अनुवांशिक, संक्रमण और पर्यावरण के कारकों से उत्पन्न हो सकता है |
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि एक ही परिवार में दो लोगों को जीआईए होने की संभावना बहुत कम होती है | 

 

जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस से कैसे पाएं निदान ? 

 

जीआईए का उपचार इसके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है, क्योंकि हर बीमारी के लक्षण विभिन्न होते है | यदि आप एक अच्छी योजना में स्वस्थ जीवनशैली की आदतें को शामिल करते है तो इससे इस समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है | यदि यह सब करने के बावजूद आपकी स्थिति पर किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा है तो बिना समय को गवाएं तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं | 

 

इलाज के लिए आप हुंजन हॉस्पिटल से भी परामर्श कर सकते है | इस संस्था में मौजूद डॉक्टर्स पंजाब के बेहतरीन ऑर्थोपेडिक्स में से एक है, जो पिछले 32 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज करने में मदद कर रहे है | इसलिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट में मौजूद नंबरों से संपर्क कर अपनी नियुक्ति की बुकिंग करवा सकते है |       

    

 

               

 

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

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  • March 19, 2025

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साइटिका क्या होता है, इसके लक्षण, कारण और कैसे करें इलाज ?

साइटिका एक ऐसी दर्दनाक स्थिति होती है, जो साइटिका तंत्रिका पर बार-बार दबाव पड़ने पर या फिर उसके नुक्सान पहुंचने से उत्पन्न होता है | यह तंत्रिका हमारे शरीर में पीठ के निचले हिस्से से शुरू हो कर पैरों में फैलता है | साइटिका का अर्थ है पैरों में दर्द, कमज़ोरी, सुन्नपन या फिर झझुनझुनि होना | साइटिका एक चिकित्सक लक्षण है, जो अपने आप कोई चिकित्सक स्थिति नहीं होता | आइये जानते है साइटिका के बारे में विस्तारपूरक से :- 

 

साइटिका क्या होता है ? 

साइटिका तब उत्पन्न होता है, जब आपके साइटिका तंत्रिका में लगी चोट या फिर जलन के कारण पैरों में दर्द होने लग जाता है | इसके अलावा पीठ या फिर नितंब में सुन्न और झुनझुनी भी हो सकती है, जो आपके पूरे पैरों तक फैलता है | साइटिका से जुड़े लक्षण गंभीर हो सकते है | हमारे शरीर में प्रत्येक दोनों तरफ साइटिका तंत्रिका मौजूद होती है, जो कूल्हे और नितंब से होकर गुजरती है | 

 

साइटिका को मेडिकल टर्म में लंबर रेडीकुलोपैथी के नाम भी जाना जाता है | साइटिका होने का अर्थ है की आपको साइटिका तंत्रिका से जुड़ी नसों में हल्का या फिर तीव्र दर्द हो सकता है | ज्यादातर मामलों में इसके लक्षण को पीठ के निचले हिस्से, कूल्हे में, नितंबो या फिर पैरों के आसपास अनुभव किया जा सकता है | कुछ लक्षण ऐसे भी होते है, जो पैरों की उँगलियों तक फ़ैल सकते है, जो अलग-अलग तंत्रिकाओं पर निर्भर करता है | आइये जानते है साइटिका कितने प्रकार के होते है :- 

साइटिका कितने प्रकार के होते है ?

साइटिका दो प्रकार के होते है, लेकिन चाहे कोई भी प्रकार का साइटिका हो, इसके प्रभाव एक जैसे ही होता है, जिसमें शामिल है :- 

 

  • सच्चा साइटिका :- इस किसी स्थिति में अधिक दबाव पड़ने के कारण या फिर किसी कारणवश लगी चोट के कारण, इसका सीधा असर साइटिका के तंत्रिका पर पड़ता है |  

 

  • साइटिका जैसी स्थिति :- यह ऐसी स्थितियां होती है, जो बिल्कुल साइटिका की तरह लगती है, लेकिन यह साइटिका तंत्रिका या फिर इससे बनने वाले नसों से संबंधित कारणों से उत्पन्न होता है |    

 

आइये जानते है साइटिका के मुख्य लक्षण और कारण क्या है :- 

 

साइटिका के मुख्य लक्षण 

साइटिका से जुड़े लक्षण निम्न लिखित है :- 

 

  • दर्द होना :- प्रभावित तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ने के कारण साइटिका का दर्द हो सकता है | यह दर्द हल्का से लेकर तीव्र भी हो सकता है | दर्द के दौरान जलन, चुभन या फिर सुई की तरह चुभने जैसा अनुभव भी हो सकता है | यह दर्द पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर नितंब और पैरों के पिछले हिस्से तक फैलता सकता है | 

 

  • सुन्नता या फिर कमज़ोरी होना :- साइटिका में पैर या फिर कूल्हे के किसी हिस्से में सुन्नता या फिर कमज़ोरी का अनुभव हो सकता है |

 

  • पैरों में झुनझुनी महसूस होना :- पैरों, पिंडलियों और पैर के तलवे में झुनझुनी का अनुभव हो सकता है | 

 

  • चलने समय दिक्कत होना :- साइटिका का दर्द बढ़ने की वजह से चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है | 

साइटिका के मुख्य कारण 

साइटिका होने के कई कारण हो सकते है, जिनमें शामिल है :- 

 

  • रीढ़ की हड्डी में में हेर्नियेटेड या स्पिल्ड़ डिस्क का होना 
  • पिरिफोर्मिस सिंड्रोम 
  • स्पाइनल स्टेनोसिस के कारण 
  • स्पोंडिलोलिस्थीसिस 
  • न्यूरिटिस 
  • आसन्न हड्डी होना 
  • ट्यूमर की समस्या 
  • गर्भावस्था 
  • आंतरिक रक्तस्राव होने आदि | 

 

साइटिका के कैसे पाएं निदान ? 

स्वास्थ्य सेवा प्रदाता कई तरीकों के संयोजन का उपयोग करके साइटिका की समस्या का निदान कर सकता है |  सबसे पहले वह आपके पिछले चिकित्सा से जुड़े इतिहास के बारे में समीक्षा करेंगे और आपके लक्षणों के बारे में पूछ सकते है | कई तरह के परीक्षण साइटिका से निदान पाने के लिए और इस तरह के स्थिति को खारिज करने में मदद कर सकता है | साइटिका के उपचार आमतौर पर दर्द को कम करने के लिए और गतिशीलता को बढ़ाने में सहायक होते है | इसमें से कुछ उपचार ऐसे भी होते है, जो आप खुद से भी कर सकते है | 

 

यदि आप में से किसी को भी साइटिका और यह ठीक नहीं हो रहा है या फिर स्थिति गंभीर हो गयी है तो इलाज के लिए डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन से मिल सकते है | डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन पंजाब के बेहतरीन ऑर्थोपेडिक में से एक है, जो पिछले 32 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और परामर्श के लिए अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संपर्क कर सकते है |        

 

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

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सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट से जुड़े 8 ऐसी युक्तियों, जो करें जल्दी ठीक होने में मदद

किसी भी व्यक्ति के जीवन में दुर्घटना जैसी स्थिति कभी भी हो सकती है, जिसकी वजह से इससे पीड़ित व्यक्ति को कई तरह के परिस्तिथयों से गुजरना पड़ सकता है | हलाकि दुर्घटना में लगी छोटी चोट को मलहम द्वारा या फिर थोड़े दिन में ठीक हो सकते है | लेकिन कई बार बड़ी दुर्घटना होने कारण इसमें मौजूद व्यक्ति को गंभीर चोट लग सकती है, जिस वजह से उसकी  हड्डियां क्षतिग्रस्त हो जाती है | जिसमें टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट का उपयोग किया जाता है, ताकि इससे पीड़ित व्यक्ति जल्द से जल्द ठीक हो सके |

लेकिन एक उचित देखभाल के बिना सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट अपना सटीक रूप से बिल्कुल कार्य नहीं कर सकता, इसलिए निरिक्षीण के साथ-साथ इस कास्ट की देखभाल करना बेहद ज़रूरी होता है | हुन्जुन हॉस्पिटल के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में ऐसी ही 8 युक्तियों का अध्ययन किया गया है जिसके माध्यम से सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट की पूर्ण रूप से देखभाल किया जा सकता है और जल्दी रिकवर होने में मदद भी मिल सकती है | इसलिए आइये जानते है सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट से जुड़े ऐसे ही 8 युक्तियों के बारे में :-    

  1. इस बात का हमेशा ध्यान रखें की सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट में किसी भी तरह का दबाव न डालें | 
  2. सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट को साफ और सूखा रखें, ऐसा न करने पर आपको कास्ट लगे क्षेत्र में खुजली की समस्या उत्पन्न हो सकती है | 
  3. नहाने की दौरान सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट को प्लास्टिक थैले की मदद से अच्छे से ढक ले ताकि कास्ट गीला न हो सके | 
  4. सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट के अंदर किसी भी तरह के वस्तु को न रखें | 
  5. कास्ट के अंदर किसी भी नुकीली वस्तु से खुजली करने का प्रयास न करें, ऐसा करने से त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है |   
  6. यदि आपके सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट में अजीब तरह की दुर्गंध आ रही है तो तुरंत ही डॉक्टर के पास जाएं, और इस समस्या की जांच करवाएं |  
  7. सिंथेटिक और प्लास्टर कास्ट के किनारों में कठोर कास्ट को न काटे | 
  8. कास्ट को खुद से उतारने और काटने का प्रयास न करें, ऐसा करने से आप खुद हानि पहुंचा सकते है |    

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप हुन्जुन हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है | 

इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 22 सालों से पीड़ित मरीज़ों का सटीक तरीकों और स्थायी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श एके लिए आज ही हुन्जुन हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

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सफलतापूवर्क मिली नी रिप्लेसमेंट की सर्जरी के साथ एक मरीज़ ने अपनी यात्रा के बारे में संपूर्ण जानकारी

हुन्जुन हॉस्पिटल के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से एक मरीज़ ने यह बताया की वह हुन्जुन हॉस्पिटल में अपना दोनों घुटने की नी रिप्लेसमेंट की सर्जरी को करवाने आये थे | इस हॉस्पिटल में रॉबर्ट्स तकनिकी के माध्यम से उनके घुटनो में नी रिप्लेसमेंट सर्जरी को की गयी | सर्जरी पूर्ण रूप से सफलतापूवर्क हुई और अब उनके घुटनो में दर्द की समस्या काफी कम हो गयी है | अभी वह इस सर्जरी से रिकवरी कर रही है और उसमें भी हुन्जुन हॉस्पिटल के पूरा स्टाफ मेंबर उनकी रिकवरी में पूर्ण रूप से मदद कर रहा है |

 

इसलिए वह इस हॉस्पिटल के सभी डॉक्टर और हॉस्पिटल में मौजूद पूरे स्टाफ मेंबर का तेह दिल से शुक्रिया करना चाहते है | यदि आप में कोई भी व्यक्ति ऐसी ही परिस्थिति से गुजर रहा है तो उनकी सलाह यही है की वह हुन्जुन हॉस्पिटल्स अपना इलाज करवा सकते है |   

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप हुन्जुन हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी | 

 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति ऑर्थोपेडिक्स से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या से गुजर रहा है और स्थायी रूप से इलाज करवाना चाहता है तो इसमें हुन्जुन हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के पास ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बेहतरीन टीम है, जो पिछले 32 सालों से लेटेस्ट तकनीक और नए उपकरण का उपयोग कर ऑर्थोपेडिक्स से जुड़ी समस्या से पीड़ित मरीज़ों का सटीक और स्थायी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए  आज ही हुन्जुन हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में दिए गए नंबरों से भी सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |     

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हुन्जुन हॉस्पिटल नी रिप्लेसमेंट की सर्जरी के द्वारा कर रहा है घुटने से जुड़ी समस्या का सटीक इलाज

हुन्जुन हॉस्पिटल रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के माध्यम से घुटने से जुडी समस्याओं से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रहा है | इस सर्जरी से न केवल मरीज़ों को घुटने से जुडी समस्याओं से छुटकारा मिल रहा है, बल्कि इस सर्जरी के दौरान मरीज़ को किसी भी दर्द या फिर फिर किसी भी परेशानियों का समाना नहीं करना पड़ता | इसी विषय पर बने एक इंटरव्यू वीडियो में, जो की इस संस्था के यूट्यूब चैनल पर पोस्ट है, एक मरीज ने यह बताया की वह पिछले 3 सालों से घुटने में दर्द की समस्या से गुज़र रहे थे | उन्होंने कई हॉस्पिटल से अपना इलाज करवाये था, लेकिन जो परिणाम इस संस्था से इलाज करवाने के बाद मिला है वैसा परिणाम उन्हें और कहीं से भी प्राप्त नहीं हो पाया है | 

उस मरीज़ ने यह भी बताया की उनके दोनों घुटनो का इलाज भी रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के माध्यम से ही किया गया है | इस सर्जरी के दौरान उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या से गुजरना नहीं पड़ा और उन्हें किसी भी तरह के दर्द का अनुभव नहीं हुआ | इस सर्जरी के बाद मिले परिणाम से वह बहुत खुश है और सभी को यही सलाह देंना चाहते है की यदि कोई भी व्यक्ति घुटने से जुडी किसी भी प्रकार की समस्या से पीड़ित है तो वह अपना इलाज हुन्जुन हॉस्पिटल से ही करवाएं | 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप हुन्जुन हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको  इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी | 

इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुन्जुन ऑर्थोपेडिक्स में स्पेसलिस्ट है, जो पिछले 32 सालों से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर उन्हें समस्याओं से छुटकारा दिला रही है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही हुन्जुन हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |

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जोड़ो के दर्द के इलाज के लिए पीआरपी इंजेक्शन लगवाने के क्या है फायदे ?

एक व्यक्ति को जोड़ों में दर्द कई कारणों से उत्पन्न हो सकता है, जैसे की  अत्यधिक उपयोग करने से,किसी भी कारण वर्ष लगी गंभीर चोट या फिर गठिया की वजह से आदि | चाहे यह जोड़ों में होने वाला दर्द हल्का हो या फिर गंभीर, हर तरह से यह दर्द आपके रोज़मर्रा कामों में बाधा बन सकता है और आपके प्रतिक्रियाओं को भी सिमित कर सकता है | आइये जानते है जोड़ों में दर्द होने के मुख्य कारण क्या है :- 

जोड़ो में दर्द होने के मुख्य कारण :- 

 

  • आथ्रॉइटिस, जिसे गठिया भी कहा जाता है | 
  • खेल के दौरान चोट का लगना  
  • बर्साइटिस :- बार्स में उत्पन्न एक दर्दनाक सूजन होती है, यह तरल पदार्थ से भरी एक थैली होती है, जो ऊतकों के बीच घर्षण को कम करने का कार्य करती है |  
  • टेंडोनाइटिस :- टेंडन में उत्पन्न एक सूजन होती है, जो शरीर में मौजूद किसी भी टेंडन में हो सकता है | 
  • जोड़ों का अत्यधिक उपयोग करने से 
  • गाउट :- यह गठिया का एक प्रकार होता है, जब शरीर में अत्यधिक यूरिक एसिड जमा होने लग जाता है, तो इसे जोड़ों में सूजन आ जाती है |    

 

गठिया एक स्थिति है जिसमें यह आपके जोड़ों को सहारा देने वाले ऊतकों को नुक्सान पहुंचने का कार्य करते है, जिससे हड्डिया आपस में रगड़कर घर्षण और दर्द को उत्पन्न करती है | जिससे आपके जोड़ों में सूजन भी पैदा हो सकता है | लेकिन घबराएं नहीं, आज के दौर में विज्ञान ने इतनी उन्नत हासिल कर ली है और ऐसे लेटेस्ट उपकरणों और तकनीक को लांच किया है, जिसके जरिये शरीर के जोड़ो से जुडी कई तरह की समस्या का सटीकता से इलाज किया जा सकता है, उन्ही में से एक है पीआरपी इंजेक्शन | पीआरपी इंजेक्शन जोड़ों से संबंधित समस्याओं से पीड़त मरीज़ों के लिए एक आशाजनक रास्ता प्रदान करता है, जिसके माध्यम से जोड़ों में उत्पन्न दर्द का आसानी से इलाज किया जा सकता है | आइये जानते है पीआरपी इंजेक्शन के बारे में और इससे कौन-कौन फायदे प्राप्त हो सकते है :- 

 

पीआरपी इंजेक्शन क्या है ? 

 

जोड़ों के दर्द के लिए पीआरपी इंजेक्शन, प्लेटलेट रिच प्लाज़्मा का उपचार है | जिसमें मरीज़ के खून में से प्लेटलेट को अलग करके एक गाढ़ा गोल बनाया जाता है, फिर इस गोल को दर्द हो रहे हिस्से में इंजेक्शन के जरिये इंजेक्ट कर दिया जाता है | पीआरपी इंजेक्शन की मदद से जोड़ो के दर्द से काफी राहत पाया जा सकता है और यह कार्य में सुधर लाने में भी मदद  करता है | यह उपचार गठिया, कूल्हे, घुटने और कंधे के दर्द के लिए बेहद फायदेमंद होते है | आइये जानते है पीआरपी इंजेक्शन को लगवाने से कौन-कौन से लाभ प्राप्त हो सकते है :- 

 

पीआरपी इंजेक्शन लगवाने से कौन-कौन से लाभ प्राप्त हो सकते है ? 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन से जोड़ों में उत्पन्न सूजन, दर्द और अकड़न को कम किया जा सकता है | 

 

  • इससे जोड़ों में मौजूद चिकनाई को बढ़ावा मिलता है और जोड़ों से काम करना भी काफी बेहतर हो जाता है | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन क्षतिग्रस्त हुए ऊतकों के पुनर्निर्माण करने में मदद करता है | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन असर बड़ी तीव्रता से करता है और शरीर में प्राकृतिक तरीके से कोशियों को विकसित करता है |
  • पीआरपी इंजेक्शन में प्लेटलेट्स मौजूद होते है, जो रक्त में थक्के को बनाने का काम करता है और कोशिका प्रजनन को बढ़ाता है | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन के उपयोग से कठोर दवाओं का सेवन और ओपिओइड का प्रयोग कम हो जाता है | 

पीआरपी इंजेक्शन से जुड़े कुछ ज़रूरी बातें 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन में मरीज़ के खून का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इससे किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव या फिर अस्वीकृत होने का कोई भी खतरा नहीं होता | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन से जोड़ों के दर्द से आराम मिलने के साथ-साथ इससे उपास्थि भी मरम्मत हो जाती है | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन को लगाने के कुछ ही दिनों बाद जोड़ो का दर्द काफी हद तक काम हो जाता है और इससे गतिविधियां फिर से शुरू की जा सकती है | 

 

  • पीआरपी इंजेक्शन के पूरा उपचार की प्रक्रिया कम से कम तीन से छह महीना तक चल सकता है |

 

  • पीआरपी इंजेक्शन से पड़ने वाला सबसे आम दुष्प्रभाव है, इंजेक्शन वाले जगह पर दर्द और सूजन होना, जो आमतौर पर कुछ ही दिनों में चला जाता है |   

 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति जोड़ों में हो रहे दर्द की समस्या से पीड़ित है पर स्थायी रूप से अपना इलाज करवाना चाहता है तो इसमें हुंजन हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था में मौजूद प्रत्येक डॉक्टर पंजाब के बेहतरीन ऑर्थोपेडिक्स में से एक है, जो पिछले 32 वर्षो से जोड़ो से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

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हड्डियां और मांसपेशियों के कमज़ोर होने के मुख्य कारण क्या है ?

किस भी व्यक्ति के लिए पूरे जीवन में समग्र स्वास्थ्य और गतिशीलता बनाये रखने के लिए मजबूत हड्डियां और मांसपेशियों का होना अनिवार्य होता है | हालांकि, विभिन्न कारक इन महत्वपूर्ण संरचनायों को कमज़ोर करने में योगदान देती है | आइये जानते है हड्डियां और मांसपेशियों के कमज़ोर होने के मुख्य कारण कौन-से है :- 

हड्डियां के कमज़ोर होने के मुख्य कारण 

 

  • उम्र का बढ़ना :- हड्डियां कमज़ोर होने के सबसे आम कारण है बढ़ती उम्र | जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ने लग जाती है, उनकी हड्डियों में घनत्व कम होने लग जाता है | जिससे ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जो विशेष रूप से हड्डियों को कमज़ोर करने काम करते है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियों में फ्रैक्चर होने का जोखिम कारक बढ़ जाता है | 

 

  • पोषण की कमी होना :- आज के दौर में लोगों के खानपान में इतने बदलाव आ गए है कि उन्हें पूर्ण रूप से पोषण प्राप्त नहीं हो पता | हड्डियों से जुड़ी स्वास्थ्य में अपनी भूमिका निभाने वाले पोषक तत्व कैल्शियम और विटामिन डी का पर्याप्त रूप से सेवन करना बेहद ज़रूरी होता है | इन पोषण तत्वों की कमी होने पर शरीर के हड्डियां कमज़ोर हो सकती है | 

 

  • हार्मोनल परिवर्तन होना :- शरीर में मौजूद हार्मोन्स हड्डियां को प्रभावित कर सकते है | महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान हुए एस्ट्रोजन के स्तर पर गिरावट, हड्डियों को तेज़ी से नुक्सान पहुंचने का कार्य करते है और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने पर ये हड्डियों के घन्तव की कमी होने कारण बन सकते है | 

 

  • शारीरिक प्रतिक्रिया :- मांसपेशियों को मजबूत करने वाली गतिविधियां, एक गतिहीन जीवनशैली के कारण हड्डियां को कमज़ोर कर सकती है | इसलिए हड्डियों को मज़बूत बनाने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करना ज़रूरी होता है |    

 

  • दवाएं के सेवन से :- कुछ दवाओं ऐसे भी होती है, जिसका लम्बे समय तक सेवन करने से हड्डियां कमज़ोर होने लग जाती है, क्योंकि यह दवाएं कैल्शियम अवशोषण और हड्डी के पुनर्निर्माणित में खलल बनने का काम करती है | 

 

  • धूम्रपान और शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करना :- धूम्रपान और अनियमित रूप से शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करने से हड्डियां कमज़ोर हो सकती है | 

 

मांसपेशियों के कमज़ोर होने के मुख्य कारण 

 

  • उम्र के साथ शरीर में मौजूद मांसपेशियों का कमज़ोर होना स्वाभाविक है, इस स्थिति को सरकोपेनिया के रूप से भी जाना जाता है | 
  • न्यूनतम शारीरिक गतिविधि के साथ-साथ एक गतिहीन जीवनशैली मांसपेशी को कमज़ोर कर सकती है | 
  • शरीर में लगी गंभीर चोट की वजह से मांसपेशियां कमज़ोर हो सकती है, जैसे की फ्रैक्चर या फिर संयुक्त अव्ययस्था, जो अनुप्रोयोजित शोष का कारण बनती है |   
  • कुछ न्यूरोलॉजिकल स्थितियां होती है, जो मांसपेशियों को कमज़ोर करने का कार्य करती है | 
  • कुछ गंभीर बीमारियों की वजह से उत्पन्न स्थितियों के कारण भी मासपेशियां कमज़ोर होने लग जाती है |    

हड्डियां और मांसपेशिओं को कमज़ोर होने से ऐसे रोकें ?   

 

संपूर्ण स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए और जटिलताओं को रोकने के लिए हड्डियों और मांसपेशियों को कमज़ोर होने से रोकना बेहद महत्वपूर्ण होता है | कुछ रणनीतियां है, जिसके माध्यम से आप हड्डियां और मांसपेशिओं को कमज़ोर होने से रोक सकते है, जिमें शामिल है :- 

 

  • हड्डियों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए कैल्शियम, विटामिन डी और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर भोजन आहार को अपनी डाइट में शामिल करें | जैसे की दूध से बने उत्पाद और अन्य हरी सब्ज़ियां आदि | 

 

  • नियमित रूप से व्यायाम करने से आप हड्डियां और मांसपेशियों को मज़बूत बना सकते है, जैसे की पैदल चलना, जॉगिंग करना आदि | 

 

  • धूम्रपान और शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन बिलकुल न करें |  

 

यदि आप में कोई भी व्यक्ति ऐसी ही किसी परेशानी से जूझ रहे है और इलाज करवाना चाहते है तो इसमें हुंजन हॉस्पिटल आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या का इलाज कर, इससे छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

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विटामिन से कमी होने से आंखों की रौशनी के कमी के साथ-साथ हड्डियों में भी होने लगता है दर्द, ऐसे बढ़ाएं इन्टेक

विटामिन बी12 शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व होता है, जो हड्डियों से लेकर ब्रेन और इम्यून सीसैटेम के लिए बेहद  ज़रूरी तत्व माना जाता है | इसलिए जब शरीर में विटामिन बी12 की कमी हो जाती है तो इससे ऑर्गन्स और इन सिस्टम्स पर बहुत हो बुरा असर पड़ता है | हुंजन हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन ने यह बताया की आमतौर पर यह देखा गया है की शरीर और स्वाथ्य के लिए ज़रूरी होने के बावजूद भी लोगों में विटामिन बी12 की कमी होने मामले  सबसे अधिक पाए जाते है | इस आंकड़े यह पता चलता है की लोगों को विटामिन बी12 के सही खुराक के बारे में अभी तक सही जानकारी प्राप्त नहीं हुई है | आइये जानते है विटामिन बी12 की कमी होने के मुख्य लक्षण क्या है :-   

विटामिन बी12 की कमी होने के मुख्य लक्षण 

 

  • एनीमिया और कमज़ोरी होना :- विटामिन बी12 शरीर में रक्त कणिकाओं और प्लेटलेट्स बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को निभाने का काम करती है | इसलिए जब शरीर में विटामिन बी12 की कमी हो जाती है तो इससे प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आने लग जाती है, जो एनीमिया जैसी स्थिति को उत्पन्न करने का कार्य करता है | 

 

  • कमज़ोर हड्डियां :- शरीर में विटामिन बी12 की कमी होने से हड्डियां कमज़ोर होने लग जाती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या उत्पन्न होने का जिखिक कारक बढ़ जाता है | 

 

  • आंखों की रौशनी का कमज़ोर होना :- जब शरीर में विटामिन बी12 कमी हो जाती है तो इससे ऑप्टिक नर्व को भी काफी नुक्सान पहुंचने लग जाता है | जिस वजह से आंखों की दृष्टि में धुँधलापन आ जाता है और साफ-साफ़ देखने में काफी परेशानी होती है |  

 

  • त्वचा से जुड़ी समस्या का उत्पन्न होना :- शरीर में विटामिन बी12 की कमी होने के कारण त्वचा से जुड़ी कई तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जैसे की ड्राई स्किन, हाइपरपिगमेंटेशन, विटिलिगो और स्किन में बार-बार खुजली महसूस होना आदि शामिल है |    

 

विटामिन बी12 की कमी होने पर कौन-से भोजन का सेवन करना चाहिए ?      

 

  • सी-फूड्स जैसे की साल्मन मछली 
  • अंडा और पोल्ट्री से बने पदार्थ  
  • चिकन 
  • दूध, दही, चीज़ और पनीर 
  • पालक, चुकंदर और मशरूम आदि 

यदि आप को भी हड्डियों में दर्द और साफ-साफ़ दिखने में परेशानी हो रही है या फिर ऊपर बताये गए किसी भी लक्षण से गुजर रहे है तो इसका मतलब यह है की आपको विटामिन बी12 की कमी हो गयी है | इसलिए समय रहते डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज करवाएं, क्योंकि इलाज में देरी होने पर यह स्थिति को गंभीर कर सकते है |

 

इलाज के लिए आप हुंजन हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 32 वर्षों से ओर्थपेडीक से जुडी समस्या से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |     

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घुटनों में दर्द होने के प्रमुख लक्षण, कारण और कैसे पाएं निदान ?

बढ़ती उम्र के साथ-साथ एक व्यक्ति के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना सामन्य-सी बात होती है, लेकिन इसकी वजह से व्यक्तियों को कई तरह के समस्याओं से गुजरना पड़ जाता है | आज के दौर में लोगों के खानपान में इतने बदलाव आ गए है की उन्हें पर्याप्त रूप से पोषक तत्व नहीं मिला पता है, जो आगे जाकर कमज़ोर हड्डियां होने का कारण बन जाता है | हड्डियों के  कमज़ोर होने के कारण, यह कई शरीर के कई जोड़ों में कई तरह के समस्याओं को उत्पन्न कर देता है, जिनमें से एक है घुटनों का दर्द | इन्ही कारणों से आज कल के बच्चों को भी कई तरह के गंभीर बिमारियों से गुजरना पड़ जाता है | आज के दौर में घुटनों का दर्द इतना आम हो गया है की यह अब किसी भी आयु के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है | लेकिन खुशी की बात यह की अब घुटनों के दर्द का सटीकता से इलाज किया जा सकता है | कुछ घरेलु उपचार की मदद से घुटनों के दर्द को कम किया जा सकता है | इस घरेलु उपचार को जांनने से पहले आइये जान लेते है घुटनों में दर्द के मुख्य लक्षण और कारण क्या है :-  

घुटनों में दर्द के प्रमुख लक्षण क्या है ?  

 

  • घुटनो को मोड़ने में परेशानी होना 
  • घुटनों को सीधा करने में तकलीफ होना
  • घुटनों के आस-पास क्षेत्र में सूजन होना 
  • ज्यादा समय तक खड़े रहने में तकलीफ होना 
  • पैरों को हिलाते समय घुटनों की हड्डियों का आपस में टकराने की आवाज़ आना 
  • दर्द वाले क्षेत्र का लाल हो जाना या फिर छूने पर गर्म-गर्म का एहसास होना 

 

 

घुटनों में दर्द के प्रमुख कारण क्या है ?

 

घुटनों में दर्द होने के कई कारण हो सकते है, क्योंकि कई मामलों में घुटनों का दर्द थोड़े समय के लिए रहता है और कई मामलों में यह लंबे समय तक के लिए भी रह सकता है | कई तरह की बिमारियों से भी ये घुटनों के दर्द का कारण बन सकती है, आइये जानते है :- 

 

  • जब एक व्यक्ति अपने घुटनों का सामान्य मात्रा से भी अधिक इस्तेमाल करता है, तो इस वजह से उस व्यक्ति को बर्साइटीस की समस्या से गुजरना पड़ जाता है | 

 

  • यदि किन्हीं कारणों से घुटने की हड्डी टूट गयी है या फिर अपनी जगह से अस्थिर हो गयी है तो इससे डिस्लोकेशन  की समस्या हो जाती है | डिस्लोकेशन होने पर डॉक्टर प्लास्टर को लगाने की सलाह देता है | 

 

  • जब व्यक्ति के शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य रूप से भी काफी बढ़ जाती है तो इससे गाउट की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जो घुटनों में दर्द होने का कारण बनता है |

 

  • घुटनों की संरचना में किसी भी तरह के बदलाव आने के कारण ओस्टेओआर्थ्रिस्टिस की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिस कारण पीड़ित व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ जाता है | 

 

  • आर्थराइटिस की शुरुआत घुटनों के सूजन से होती है, जिसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति के घुटनों में काफी लंबे समय तक सूजन और दर्द की समस्या रहती है , जो कुछ ही दिनों बाद घुटनो की हड्डियों का विकार बढ़ाने लग जाता है और जिससे यह धीर-धीरे कमज़ोर होने लग जाती है | 

घुटनों में दर्द के लिए घरेलू उपचार 

 

  • लाल मिर्च का करें इस्तेमाल :- घुटनों के दर्द से निदान के लिए आप लाल मिर्च का उपयोग कर सकते है | इसके लिए सबसे पहले दो चम्मच लाल मिर्च को आधा कप जैतून तेल में मिलाकर, इससे अच्छे से गर्म कर लें | फिर थोड़ी देर बाद इस मिश्रण में बी वैक्स डालकर, इससे लगातार चलते रहे और पकने के 10 मिनट बाद गैस स्टोव को बंद कर दें | ठंडा होने पर इस लेप को घुटनों के प्रभावित क्षेत्र में लगा लें | लाल मिर्च एनाल्जेसिक के गुणों से भरपूर होता है, जो प्राकृतिक रूप से दर्द को कम करने में मदद करता है | 

     

  • हल्दी है घुटनों के दर्द के लिए फायदेमंद :- सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी को मिलकर इस पेय सेवन करें | हल्दी को एक बेहतर औषधि के रूप से जाना जाता है, जिसके दिन में दो बार सेवन करने से घुटनों के दर्द से राहत मिल सकती है |  

 

  • सेब के सिरका का करें सेवन :- सेब का सिरका एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे गुणों से भरपूर होता है, जो सूजन और दर्द को कम करने का कार्य करता है | इसलिए एक गिलास गरम पानी में दो चम्मच सेब के सिरके को मिलाकर, इसे खाना खाने के बाद सेवन करें |     

 

  • अदरक दिलाएं घुटनों के दर्द से छुटकारा :- अदरक को दो तरीकों से इस्तेमाल किए जा सकता है, पहले अदरक की चाय पीने से दर्द की समस्या को दूर किया जा सकता है और दूसरा, अदरक को पीसकर इस सूती के कपड़े में लपेटकर घुटनों में रखने से दर्द की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है |  

 

  • सेंधा नमक है बेहतर दर्द निवारक :- सेंधा नमक को प्राकृतिक दर्द निवारक भी माना जाता है | इसके लिए किसी बड़े बर्तन में गुनगुने पानी को रखें और इसमें सेंधा नामक को मिलाएं | फिर अपने घुटनों को 10 से 15 मिंट के लिए इस गुनगुने पानी में डुबाकर रखें, ऐसा करें से सूजन और दर्द की समस्या को कम किया जा सकता है |   

यदि यह सब नुस्खों का इस्तेमाल करने के बावजूद भी आपकी स्थिति में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा है तो बेहतर है की आप किसी अच्छे विशेषज्ञ के पास जाएं अपना इलाज करवाएं | इसके लिए आप हुंजन हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर बलवंत सिंह हुंजन पंजाब के बेहतरीन ऑर्थोपेडिक्स में से एक है, जो पिछले 32 वर्षो से घुटनों की समस्या से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही हुंजन हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक कराएं | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों  से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |  

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