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Hunjan Hospital Patient’s Success Story: Robotic Knee Replacement Surgery.

People suffer from knee pain and may have to undergo knee replacement surgery if necessary. For this, we chose Hunjan Hospital as it is one of the best knee hospitals in India. Hear from our patient yourself. In this video, our patient, who is in America, returns to explain her experience with Hunjan Hospital. 

Our patient had a successful robotic knee replacement surgery. She was unable to walk or stand for the past 3 years. It became very difficult for her to manage. She consulted other hospitals but did not like their method or treatment suggested. Finally, she came to Hunjan Hospital for treatment. The doctor treated her and guided her very well about the procedure and the surgery. She then decided to go for robotic knee replacement surgery at Hunjan Hospital. 

 

Her experience was amazing as it was a painless experience for her and after the surgery she was able to walk again. She was very happy with the doctor and the staff. She also recommends others suffering from knee problems get treatment from Hunjan Hospital. 

You can also join our list of happy customers. Say goodbye to your knee problems and get effective and reliable treatment from Hunjan Hospital. Call or visit our hospital now for a pain-free and healthy life.

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

  • By: Hunjan_Hospital

  • March 19, 2025

Steps To Prevent Back Pain

Steps To Prevent Back Pain

  • By: Hunjan_Hospital

  • March 5, 2025

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क्या हर व्यक्ति को घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी करानी जरूरी है ? आइए जानते है।

यदि आपका घुटना गठिया या चोट के कारण गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है, तो आपके लिए चलना या सीढ़ियां चढ़ना जैसी साधारण गतिविधियाँ करना कठिन हो सकता है। आपको बैठते या लेटते समय भी दर्द महसूस होने लग सकता है। घुटना प्रतिस्थापन आज की सबसे सफल आर्थोपेडिक सर्जरी में से एक है। अधिकांश रोगियों को घुटने का दर्द कम या समाप्त हो गया है, चलने-फिरने की क्षमता में वृद्धि हुई है और जीवन की गुणवत्ता में समग्र सुधार हुआ है।

 

घुटना प्रतिस्थापन, जिसे घुटना आर्थ्रोप्लास्टी या संपूर्ण घुटना प्रतिस्थापन भी कहा जाता है, गठिया से क्षतिग्रस्त घुटने को फिर से ठीक करने की एक शल्य प्रक्रिया है। घुटने के जोड़ को बनाने वाली हड्डियों के सिरों को नीकैप के साथ ढकने के लिए धातु और प्लास्टिक के हिस्सों का उपयोग किया जाता है। इस सर्जरी पर उस व्यक्ति के लिए विचार किया जा सकता है जिसे गंभीर गठिया या घुटने में गंभीर चोट है।

घुटने के प्रतिस्थापन के प्रकार

आपका सर्जन पूर्ण या आंशिक घुटना प्रतिस्थापन की सिफारिश करेगा:

  • संपूर्ण घुटना प्रतिस्थापन: संपूर्ण घुटना प्रतिस्थापन, घुटना प्रतिस्थापन का सबसे आम प्रकार है। आपका सर्जन आपके घुटने के जोड़ के सभी तीन क्षेत्रों को बदल देगा – अंदर (मध्यवर्ती), बाहर (पार्श्व) और आपके घुटने के नीचे (पेटेलोफेमोरल)।
  • आंशिक घुटना प्रतिस्थापन: आंशिक घुटना प्रतिस्थापन बिल्कुल वैसा ही है जैसा यह लगता है। आपका सर्जन आपके घुटने के जोड़ के केवल कुछ क्षेत्रों को ही बदलेगा – आमतौर पर यदि केवल एक या दो क्षेत्र क्षतिग्रस्त हों। आंशिक घुटने के प्रतिस्थापन युवा वयस्कों में अधिक आम हैं जिन्होंने चोट या आघात का अनुभव किया है।

संपूर्ण घुटना प्रतिस्थापन कैसे किया जाता है?

सबसे पहले, आर्थोपेडिक सर्जन घुटने में एक चीरा (काट) लगाता है और पटेला (घुटने की टोपी) को बगल में ले जाता है। यदि कोई हड्डी का उभार (हड्डी की छोटी वृद्धि) मौजूद है, जैसा कि कभी-कभी ऑस्टियोआर्थराइटिस में होता है, तो उन्हें हटा दिया जाएगा।

इसके बाद, फीमर और टिबिया के बीच के दो मेनिस्कस को हटा दिया जाता है, जैसे कि पूर्वकाल क्रूसिएट लिगामेंट (एसीएल) और, कुछ मामलों में, पोस्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (पीसीएल)। कुछ प्रकार के घुटने के प्रतिस्थापन में, पीसीएल को बरकरार रखा जाता है।

ऑपरेशन के मुख्य चरण के दौरान, सर्जन टिबिया के ऊपरी हिस्से और फीमर के निचले हिस्से से उपास्थि और कुछ हड्डियों को काटता है और हटा देता है। हटाए गए ऊरु खंड दो गांठदार उभार हैं जिन्हें ऊरु शंकुवृक्ष कहा जाता है। फिर जोड़ के लिए नई सतह बनाने के लिए टिबिया और फीमर को धातु के प्रत्यारोपण से ढक दिया जाता है। ऊरु घटक की सतह मूल ऊरु शंकुओं के आकार की नकल करती है। यदि नीकैप भी ख़राब हो गया है, तो उसके नीचे की सतह को भी काटा जा सकता है और उसके स्थान पर पॉलीथीन इम्प्लांट लगाया जा सकता है।

अंत में, ऊतक की विभिन्न परतों की मरम्मत घुलनशील टांके से की जाती है और त्वचा के चीरे को टांके या सर्जिकल स्टेपल से बंद कर दिया जाता है। घुटने के चारों ओर एक पट्टी लपेटी जाएगी और रोगी को ठीक होने के लिए ले जाया जाएगा।

इन टुकड़ों को घुटने के जोड़ में निम्नलिखित स्थानों पर रखा जा सकता है:

 

  • जांघ की हड्डी का निचला सिरा-– इस हड्डी को फीमर कहते हैं। प्रतिस्थापन भाग आमतौर पर धातु से बना होता है।  
  • पिंडली की हड्डी का ऊपरी सिरा, जो आपके निचले पैर की बड़ी हड्डी है – इस हड्डी को टिबिया कहा जाता है। प्रतिस्थापन भाग आमतौर पर धातु और मजबूत प्लास्टिक से बना होता है।
  • आपके घुटने की टोपी का पिछला भाग – आपके घुटने की टोपी को पटेला कहा जाता है। प्रतिस्थापन भाग आमतौर पर मजबूत प्लास्टिक से बना होता है।

किसी भी जटिलता को छोड़कर, अधिकांश मरीजों सर्जरी के बाद तीन से छह सप्ताह के बीच अधिकांश सामान्य गतिविधियों में लौटने और सहायक उपकरणों की आवश्यकता के बिना चलने में सक्षम होते हैं। कुल मिलाकर, न्यूनतम इनवेसिव घुटने के प्रतिस्थापन से पूरी तरह ठीक होने में आमतौर पर दो से तीन महीने लगते हैं। भारत में घुटना रिप्लेसमेंट सर्जरी की औसत लागत आमतौर पर ₹1.5 लाख से ₹2.3 लाख के बीच है। हालांकि, अलग-अलग शहरों के अस्पतालों के आधार पर कीमत भिन्न हो सकती हैं।

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

  • By: Hunjan_Hospital

  • March 19, 2025

Steps To Prevent Back Pain

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  • By: Hunjan_Hospital

  • March 5, 2025

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घुटने में दर्द का कारण, लक्षण और घरेलु इलाज

घुटने का दर्द जो असहनीय होता है और लोगों के लिए काफी मुश्किल भी खड़ी करता है, इसके अलावा घुटने का दर्द व्यक्ति को चलने में असमर्थ बना देता है इसलिए इसमें सामान्य सा भी दर्द हो तो इसे नज़रअंदाज़ न करके कैसे हम इस तरह के दर्द से खुद का बचाव कर सकते है, वो भी घरेलू उपाय की मदद से। तो आप भी अगर घुटने में दर्द की समस्या से परेशान है तो आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें ;

क्या है घुटने का दर्द ?

  • घुटने के दर्द की बात करें तो इससे बुजुर्ग वर्ग ज्यादा परेशान रहते है तो वही कुछ मामले घुटनो में दर्द के युवाओं में भी देखने को मिल रहें है वो भी उनके बढ़ते वजन की वजह से।
  • अक्सर हमारे द्वारा दौड़ते, खेलते, यात्रा करते, सीढ़ियां चढ़ते या दैनिक जीवन के कामों को करते समय घुटने में सामान्य या गहरी चोट लग जाती है जिसके कारण घुटने में दर्द होता है। 
  • वही अगर आपको घुटने में चोट लग गई है तो इससे बचाव के लिए आपको समय पर ही कुछ घरेलू उपायों को अपना लेना चाहिए।

यदि गहरी चोट की वजह से आपके घुटने में भी दर्द की समस्या बनी रहती है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट ऑर्थोपेडिक सर्जन का चयन करना चाहिए। 

घुटने में दर्द के कारण क्या है ?

  • घुटने में दर्द के प्रमुख कारण की बात करें तो ये घुटने में लगे गंभीर चोट की वजह से होता है। 
  • वही घुटने में चोट की वजह से हड्डियों, उपास्थि, लिगामेंट्स, टेंडन और तरल पदार्थ की थैली या बर्से को गंभीर नुकसान हो सकता है।

घुटने में दर्द से बचाव के लिए घरेलु उपाय ?

  • घुटने में दर्द से बचाव के लिए आपको राइस ट्रीटमेंट जिसे पैरों को कुछ समय आराम देने के नाम से भी जाना जाता है ऐसे में जब आप अपने पैरों को आराम देते है तो आपको सामान्य सी चोट लगी होगी तो वो आसानी से ठीक हो जाती है। 
  • इसके अलावा आप कुछ खाने की चीजों पर ध्यान देकर भी इस तरह की समस्या से खुद का बचाव आसानी से कर सकते है, तो खाने की चीजों के बारे में बात करें तो वो है – दूध, हल्दी, अदरक, लहसुन, लाल मिर्च, मेथी दाना, सेंधा नमक, निम्बू, सरसो का तेल, सेब का सिरका, जैतून का तेल, नारियल का तेल, गर्म व ठंडी सिकाई, पुदीना का तेल, लोबान तेल। 
  • इसके साथ ही, आप विटामिन-सी और विटामिन-डी से भरपूर खाद्य पदार्थों को भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते है।

अगर आपका घुटने का दर्द इन उपायों से भी ठीक नहीं हो रहा है तो इसके लिए आप घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी का चयन करें पर डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

घुटने में दर्द के लक्षण क्या है ?

  • इसके लक्षणों की बात करें तो इसमें आपको घुटने को मोड़ने में परेशानी आ सकती है।  
  • घुटने के आसपास आपको सूजन का एहसास हो सकता है। 
  • पैरों को हिलाते समय घुटने से हड्डी टकराने की आवाज भी आ सकती है।

घुटने में दर्द से बचाव के लिए बेस्ट हॉस्पिटल ?

अगर आप भी घुटने में दर्द की समस्या से बहुत ज्यादा परेशान है और ये परेशानी उपरोक्त घरेलु उपायों से भी न संभले तो इसके लिए आपको हुंजन हॉस्पिटल से घुटने की सर्जरी का चयन कर लेना चाहिए। पर ध्यान रहें घुटने में दर्द की समस्या को ज्यादा गंभीर न होने दे।  

निष्कर्ष :

घुटने में दर्द की समस्या जोकि व्यक्ति को चलने में असमर्थ बनाता है, इसलिए जरूरी है की इसके दर्द से बचाव के लिए आपको अपने खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए और किसी भी तरह की समस्या आने पर डॉक्टर का चयन जरूर करें।

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

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  • By: Hunjan_Hospital

  • March 19, 2025

Steps To Prevent Back Pain

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  • By: Hunjan_Hospital

  • March 5, 2025

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दोनों घुटनों की एक साथ रिप्लेसमेंट सर्जरी से पहले किन बातों का रखें ध्यान !

लोगों के लिए काफी मददगार है घुटने की सर्जरी क्युकि इस सर्जरी की मदद से लोग अपने पैरों पर चलने में सक्षम हो पाते है। वहीं कुछ लोगों का ये सवाल सामने आया है घुटने की सर्जरी को लेकर की क्या हम दोनों घुटने की एक साथ सर्जरी करवा सकते है और दोनों घुटने की सर्जरी को एक साथ करने से हमें इसका कोई नुकसान तो नहीं देखना पड़ेगा। वहीं आज के लेख में हम घुटने की सर्जरी के क्या फायदे है इसके बारे में बात करेंगे ;

क्या है घुटने की सर्जरी ?

  • घुटने की सर्जरी का चयन अकसर वो लोग करते है जिन्हें घुटने में दर्द की समस्या हो या जो चलने में असमर्थ हो। 
  • अगर घुटने में दर्द की समस्या से आप भी परेशान है तो इससे बचव के लिए आपको घुटना बदलने की सर्जरी का चयन करना चाहिए। 

क्या दोनों घुटने को एक साथ बदलवाना सही है ?

  • दोनों घुटने को एक साथ बदलवाने की वजह से आपके शरीर पर बहुत अधिक तनाव और दबाव पड़ सकता है। वहीं डॉक्टर की बात करें तो वो इस सर्जरी को करवाने की सलाह सिर्फ उन्हें ही देते है जो इस सर्जरी के दबाव और अन्य जटिलताओं को संभाल सके;
  • तो वहीं एक साथ दोनों घुटने को बदलने की सलाह डॉक्टर आपको तभी दे सकते है जब आप युवा है, सक्रिय है और आपकी मांसपेशियों की ताकत अच्छी है।
  • आप शारीरिक रूप से स्वस्थ है और आपका समग्र स्वास्थ्य अच्छा है।
  • आपके हृदय और फेफड़ों से संबंधित कोई अंतर्निहित चिकित्सीय समस्या नहीं है, तो एक साथ दोनों घुटने को बदलवाने की सलाह आपके डॉक्टर आपको दे सकते है।

अगर घुटने का दर्द आपके कमर तक पहुंच गया है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट स्पाइन सर्जन का चयन करना चाहिए।

दोनों घुटने को बदलवाने की सर्जरी काम कैसे करती है ?

  • यह सर्जरी दो तरीके से काम करती है, जैसे- पहला है चरणबद्ध द्विपक्षीय घुटने का प्रतिस्थापन, बता दे आपको की इस पहली सर्जरी में आपके दोनों घुटनों को दो अलग-अलग सर्जरी में, या बीच में कुछ महीनों का अंतर रखते हुए, एक-एक करके बदल दिया जाता है।
  • वहीं जब एक साथ द्विपक्षीय घुटने का प्रतिस्थापन, किया जाता है तो इसमें एक ही सर्जरी के दौरान दोनों घुटनों को बदल दिया जाता है।

एक ही समय में दोनों घुटने को बदलवाने की सर्जरी के क्या है फायदे और नुकसान ?

  • इस सर्जरी के फायदे की बात करें तो इसमें आपकी दोनों घुटनों की रिप्लेसमेंट सर्जरी एक ही प्रक्रिया में होती है।
  • आपको कम से कम समय की छुट्टी की आवश्यकता हो सकती है।
  • घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद ठीक होने का समय दोनों घुटनों के लिए एक ही होता है। 
  • आप एक ही सर्जरी से कम लागत का लाभ भी उठा सकते है। 

वहीं इस सर्जरी से दोष की बात करें तो द्विपक्षीय कुल घुटने आर्थ्रोप्लास्टी के लिए लंबे समय तक एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है। 

  • इसमें एकल घुटना प्रतिस्थापन प्रक्रियाओं की तुलना में अधिक रक्त हानि शामिल है। 
  • सर्जरी के बाद रक्त के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है।
  • एक साथ द्विपक्षीय कुल घुटने के प्रतिस्थापन में जटिलताएँ अधिक होती है।
  • आपको अपनी पुनर्प्राप्ति अवधि के दौरान अधिक सहायता की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि दोनों घुटने ठीक हो रहे है और आंशिक समर्थन के लिए कोई पैर नहीं है।
  • यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं है. उच्च जोखिम वाली चिकित्सा स्थितियों वाले लोगों को इस प्रकार की सर्जरी से खुद का बचाव करना चाहिए।

सुझाव :

अगर आप घुटने में दर्द की समस्या से बहुत ज्यादा परेशान है तो इससे बचाव के लिए आपको हुंजन हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए अपने घुटने की सर्जरी के लिए। 

निष्कर्ष :

एक साथ दोनों घुटने की सर्जरी को करवाना सही है या गलत इसके बारे में जानने के लिए आपको उपरोक्त बातो का खास ध्यान रखना है और साथ ही किसी भी तरह की जल्दबाजी में आकर इस सर्जरी का चयन आपको नहीं करना चाहिए।

 

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

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  • By: Hunjan_Hospital

  • March 19, 2025

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  • By: Hunjan_Hospital

  • March 5, 2025

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Top non-surgical approaches for chronic back pain

Back pain is a prevalent issue affecting people of all ages and walks of life. Whether it’s due to poor posture, muscle strain or other underlying conditions, chronic back pain significantly impacts one’s quality of life. While surgical intervention might be necessary in some cases, there are numerous non-surgical approaches that an Orthopedic Specialist In Ludhiana can recommend to provide relief and improve overall well being. 

Common Causes of Back pain

Muscle strain

Overexertion, improper lifting techniques, and sudden movements can strain the muscles in your back, leading to discomfort.

Poor posture

Slouching or sitting for extended periods can strain the back muscle and spine, resulting in pain.

Herniated discs

When discs become damaged or slop out of place, causing nerve compression and pain.

Arthritis

Osteoarthritis or ankylosing spondylitis can lead to joint inflammation and chronic back pain.

Spinal stenosis

Narrowing of the spinal canal can put pressure on nerves, causing pain and discomfort. 

Sciatica

Compression of the sciatica nerve often leads to radiating pain down the legs.

Stress

Emotional stress can manifest physically as muscle tension, contributing to back pain.

Obesity

Excess weight strains the spine and can lead to chronic back pain over time. 

Poor ergonomics

Incorrectly positioned workstations or improper lifting techniques can contribute to chronic back pain. 

Sedentary lifestyle

Lack or regular exercise weakens the muscles that support the spine , leading to pain.

Non-Surgical Approaches to Treat Chronic Back Pain

Physical therapy

A customized exercise regimen can strengthen muscles and improve posture, alleviating pain.

Chiropractic care

Manipulative techniques can realign the spine and relieve pressure on nerves.

Acupuncture

Traditional acupuncture can help alleviate pain by promoting energy flow and relaxation.

Massage therapy

Massages can relax tense muscles and improve blood circulation.

Medication

Pain relievers, muscle relaxants, and anti-inflammatory drugs can offer temporary relief.

Heat and cold therapy

Alternating between hot and cold packs can reduce inflammation and soothe muscle spasms.

Epidural steroid injections

These injections can provide targeted pain relief and reduce inflammation around affected nerves. 

Yoga and pilates

Gentle stretching and strengthening exercise promote flexibility and core stability, aiding in pain relief. 

Cognitive behavioral therapy

Managing stress and changing thought patents can positively impact pain perception. 

Lifestyle changes

Maintaining a healthy weight, practicing good posture, and staying active can prevent chronic back pain. 

For personalized guidance and treatment, consulting the best orthopedic specialists is essential. They can assess your condition, recommend appropriate treatment, and guide you on the best path toward pain relief and improved spinal health.

Conclusion

Chronic back pain doesn’t have to control your life. You can find a wide range of non-surgical approaches to address the root causes of your pain and improve your overall well being by scheduling a consultation at Hunjan Hospital. By adopting a non-surgical approach to manage chronic back pain, you can regain comfort, and quality of life without resorting to surgery.

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

  • By: Hunjan_Hospital

  • March 19, 2025

Steps To Prevent Back Pain

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  • By: Hunjan_Hospital

  • March 5, 2025

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रोज रोज की पीठ दर्द का मूल कारण क्या है ?

हर दिन पीठ का दर्द होना कोई सामान्य बात नहीं है, पीठ दर्द को चिकित्सा पेशेवरों द्वारा कई तरीकों से वर्गीकृत किया गया है। आप अपने पीठ दर्द का वर्णन उसके स्थान के आधार पर कर सकते हैं: ऊपरी, मध्य या निचली पीठ का दर्द जो बाईं ओर, केंद्र या दाईं ओर होता है। पीठ दर्द की शुरुआत मांसपेशियों के दर्द से लेकर जैसे गोली लगी हो वैसे दर्द तक, जलन जैसे या छुरा घोंपने जैसी अनुभूति अनुभव करने जैसे होती है। इसके साथ दर्द लात में भी चला जाता है जिससे झुकने, मुड़ने, कुछ उठाने, ज़्यादा देर खड़ने या तुरने में दिकत भी शुरू हो जाती है। 

रीढ़ की हड्डी, जिसे बैकबोन या स्पाइनल कॉलम भी कहा जाता है, शरीर के सबसे मजबूत हिस्सों में से एक है और यह हमें काफी लचीलापन और ताकत प्रदान करती है।यह 24 हड्डियों से बनी है, जिन्हें कशेरुक कहा जाता है, एक दूसरे के ऊपर बैठी होती है। इन हड्डियों के बीच में डिस्क होती है और इनके चारों ओर सहारे के लिए बहुत सारे मजबूत स्नायुबंधन और मांसपेशियां होती हैं। पीठ के निचले भाग में टेलबोन में भी हड्डियां होती हैं, जो आपस में जुड़ी होती हैं और बीच में कोई डिस्क नहीं होती है।

रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ, ऊपर से नीचे तक, कई छोटे-छोटे जोड़ होते हैं जिन्हें फेसेट जोड़ कहा जाता है। रीढ़ की हड्डी कशेरुकाओं के अंदर से गुजरती है, जो इसकी रक्षा करती है। रीढ़ की हड्डी खोपड़ी के आधार के माध्यम से मस्तिष्क से और रीढ़ की हड्डियों के बीच रिक्त स्थान से गुजरने वाली नसों द्वारा शरीर के बाकी हिस्सों से जुड़ती है। इन तंत्रिकाओं को तंत्रिका जड़ें भी कहा जाता है।जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपकी रीढ़ की हड्डी की संरचनाएं, जैसे जोड़, डिस्क और लिगामेंट्स भी बूढ़े हो जाते हैं। संरचनाएं मजबूत रहती हैं लेकिन जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है आपकी पीठ का सख्त होना आम बात है। 

मांसपेशियों में दर्द कसरत के बाद होने वाले दर्द जैसा महसूस होगा, जबकि डिस्क दर्द दुर्बल करने वाला और झुनझुनी जैसा महसूस होगा। 

सामान्य पीठ का दर्द होने के कारण:

  • खराब मुद्रा: घर या ऑफिस में काम करते समय, काम पर इतना ध्यान लग जाता है के आप अपना बैठना का ढंग ही भूल जाते है और कुछ समय के बाद उठकर अपने शरीर को खींचना भी भूल जाते है। मांसपेशियों में थकान और तनाव जो अंततः खराब मुद्रा का कारण बनता है। खराब मुद्रा की जटिलताओं में पीठ दर्द, रीढ़ की हड्डी में शिथिलता, जोड़ों का खराब होना, गोल कंधे और पेट का फूलना शामिल हैं। 
  • कम कसरत जिसके परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी में अकड़न और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। बिलकुल भी नहीं या ज्यादा कसरत ह्रदय रोग का जोखिम कारक बन सकते है।   
  • मांसपेशियों के खिंचाव या मोच आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से और जांघ के पीछे की मांसपेशियों (हैमस्ट्रिंग) में होता है। 
  • अधिक शरीर का वजन पीठ पर अतिरिक्त दबाव डालता है। 
  • अनुचित उठान, कुछ भार उठाते समय लातों पर वजन न डालकर पीठ का प्रयोग करके भी दर्द की संभावना हो सकती है।  
  • मनोवैज्ञानिक स्थितियों अवसाद और चिंता से ग्रस्त लोगों में पीठ दर्द का खतरा अधिक होता है। तनाव से मांसपेशियों में तनाव हो सकता है, जो पीठ दर्द में योगदान दे सकता है।
  • धूम्रपान करने वालों में पीठ दर्द की दर बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि धूम्रपान के कारण खांसी होती है, जिससे हर्नियेटेड डिस्क हो सकती है। धूम्रपान से रीढ़ की हड्डी में रक्त का प्रवाह भी कम हो सकता है और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है।
  • उम्र पीठ दर्द आम तोर पर उम्र पर भी निर्भर करता है, जैसे उम्र बढ़ती है वैसे ही शरीर में कैल्शियम कम होने लगता है जो 30 या 40 के करीब शुरू हो जाता है।  

पीठ दर्द के इलाज के लिए गर्म या ठंडा सेक लगाना, एक्यूपंक्चर और दवाएं शामिल हैं।

                                                                                                                            

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

  • By: Hunjan_Hospital

  • March 19, 2025

Steps To Prevent Back Pain

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  • By: Hunjan_Hospital

  • March 5, 2025

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विभिन्न चीजें जो जोड़ों में अकड़न और दर्द का कारण बनती हैं ?

जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपकी उपास्थि- स्पंजी सामग्री जो आपकी हडियो के सिरों की रक्षा करती है- सूखने और लगती है। आपका शरीर भी कम श्लेष द्रव बनाता है, वह पदार्थ जो आपके जोड़ों के सुचारु रूप से चलाने के लिए तेल की तरह काम करता है। परिणाम: आपके जोड़ अब पहले की तरह स्वतंत्र रूप से नहीं चल सकेंगे। आपके जोड़ों को ढीला रखने के लिए श्लेष द्रव को गति की आवश्यकता होती है।  

 

जोड़ वह स्थान है जहां दो हड्डियाँ मिलती है। प्रत्येक हड्डी का सिरा रबर युक्त पदार्थ की एक परत से ढका होता है जिसे उपास्थि कहते है। यह उन्हें आपस में रगड़ने से बचाता है। लेकिन समय के साथ या चोट लगने के बाद उपास्थि घिस सकती है। जब यह खत्म हो जाता है तो हड्डियां एक दूसरे से टकराती है और कभी कभी, छोटे- छोटे टुकड़े टूट जाते है। परिणाम स्वरूप जोड़ कड़ा, सुजा होआ और दर्दनाक हो जाता है। 

कार्ब्स और शुगर से रहें दूर

यह व्यापक रूप से ज्ञात है के चीनी का अधिक सेवन मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग का कारण बनता है लेकिन क्या आप जानते है कि यह आपकी मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में भी योगदान दे सकता है। शोध से पता चलता है कि अधिक चीनी वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से सूजन हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ इंसुलिन नामक हार्मोन में वृद्धि का कारण बनते हैं जो जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं का एक सिलसिला शुरू करता है जिससे सूजन पैदा होती है। परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार गठिया से पीड़ित लोगों में सूजन बढ़ सकता है। परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार गठिया से पीड़ित लोगों में सूजन बढ़ सकता है।

प्रोसेस्ड मीट का सेवन

           प्रसंस्कृत मांस में नाइट्राइट और प्यूरीन होते हैं। ये रसायन सूजन बढ़ाते हैं और जोड़ों के दर्द का कारण बनते।   हॉट डॉग, कॉर्न बीफ़, बेकन और सॉसेज जैसे मांस सभी संसाधित होते हैं और इनसे बचना चाहिए। इसके बजाय दुबले, ताजे मांस के टुकड़े लें।

फ्राइड फूड्स और फैट से बनाएं दूरी

तले हुए खाद्य पदार्थों में संतृप्त वसा अधिक और ओमेगा-3 फैटी एसिड कम होता है। यह संयोजन पूरे शरीर में सूजन पैदा करता है और जोड़ों के दर्द को बदतर बना देता है। तले हुए चिकन को त्यागें और इसके बचाय इसे ग्रिल्ड या बैक करके खाने का प्रयास करें। आपको जोड़ों के दर्द से परेशान हुए बिना स्वादिष्ट स्वाद मिलेगा। 

धूम्रपान का सेवन

आपका सिनोबियम, वह ऊतक जो आपके जोड़ों को रेखा बुद्ध करता है, सूजन और गाढ़ा हो सकता है। तम्बाकू के धुएं में मुक्त कणों जैसे बहुत सारे हानिकारक पदार्थ शामिल होते हैं। वे आपके शरीर पर तनाव डालते हैं और सूजन पैदा कर सकते हैं। धूम्रपान करने वालों के शरीर में साइटोकिन्स नामक सूजन संबंधी प्रोटीन का स्तर अधिक होता है  

 डेयरी प्रोडक्ट्स

संतृप्त वसा से भरपूर आहार- जो पनीर और पूर्ण वसा वाले डेयरी उत्पादों में प्रचुर मात्रा में होता है- सूजन को बढ़ा सकता है। डायरी में उच्च स्तर का प्रोटीन कैसिइन होता है। इस प्रकार का प्रोटीन जोड़ों में सूजन और दर्द पैदा करता है, और यहां तक कि जोड़ों के आसपास जलन में भी योगदान दे सकता है। कुछ डेयरी उत्पाद, जैसे मक्खन, में उच्च मात्रा में संतृप्त वसा होती है। यह सूजन और जोड़ों के दर्द में भी योगदान दे सकता है।

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

  • By: Hunjan_Hospital

  • March 19, 2025

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  • By: Hunjan_Hospital

  • March 5, 2025

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घुटने में दर्द के क्या है, कारण, लक्षण और घरेलु इलाज ?

घुटने का दर्द किसी भी उम्र में हो हमेशा व्यक्ति के लिए परेशानी ही खड़ी करता है, इसके अलावा अगर ये दर्द बजुर्ग लोगों में हो जाए तो ऐसा जान पड़ता है की जैसे उन पर पहाड़ ही गिर पड़ा हो क्युकी घुटने का दर्द होता ही ऐसे है। वहीं घुटने में दर्द की समस्या से हर 10 में से 7 व्यक्ति ग्रस्त रहते है, लेकिन आज के लेख में हम इस दर्द से कैसे खुद को बाहर निकाल सकते है वो घरेलु उपाय की मदद से इसके बारे में चर्चा करेंगे ;

क्या है घुटने में दर्द की समस्या ?

  • घुटने का दर्द एक आम शिकायत है जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। गंभीर घुटने का दर्द चोटों का कारण हो सकता है जैसे टूटे हुए स्नायुबंधन या फटे उपास्थि। कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जो आपको गंभीर घुटने का दर्द दे सकती है, जैसे गठिया, या गठिया का संक्रमण। 
  • वहीं घुटने का दर्द शारीरिक गतिविधियों के कारण भी हो सकता है और वो है मोटापा।

घुटने में दर्द के कारण क्या है ?

  • घुटने में दर्द होने का सबसे आम कारण उम्र का बढ़ना, चोट का लगना और अपने घुटनों पर बहुत अधिक तनाव डालना है। 
  • इसके अलावा घुटने की कुछ समस्याओं में मोच या तनावग्रस्त स्नायुबंधन, उपास्थि आँसू और गठिया शामिल है।
  • वहीं चोट के बिना घुटने में दर्द के कुछ सामान्य कारणों की बात करें तो वो है:
  • बर्साइटिस (Bursitis)।
  • टेंडिनिटिस (Tendinitis)।
  • पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस।
  • संधिशोथ आदि।

अगर आप घुटने में दर्द के कारण बहुत ज्यादा परेशान है तो इससे बचाव के लिए आपको घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी का चयन करना चाहिए।

घुटने में दर्द के लक्षण क्या है ?

  • सूजन और जकड़न की समस्या। 
  • स्पर्श करने के दौरान लाली और गर्मी का महसूस होना। 
  • कमजोरी की समस्या। 
  • चटकने की आवाजों का आना। 
  • घुटने को पूरी तरह से सीधा करने में असमर्थता का सामना करना। 
  • लगातार दर्द का होना आदि। 

घुटने में दर्द के इन लक्षणों से अगर आप भी परेशान है तो इससे निजात पाने के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट ऑर्थोपेडिक सर्जन का चयन करना चाहिए।

कौन-से घरेलु उपाय घुटने के दर्द में है सहायक ?

  • घरेलु उपायों की अगर बात करें तो जिन लोगों का वजन अधिक होता है उन्हें घुटने में दर्द होने का खतरा अधिक होता है, इसलिए वजन को कम करें। 
  • इसके अलावा उचित आहार बनाए रखने से घुटने के दर्द को कम करने में मदद मिलेगी। आहार की बात करें तो इसमें आप फल, सब्जियां और फाइबर (उच्च) मांस, पशु वसा, और अन्य कम वसा का सेवन करें जिससे आप घुटने में दर्द की समस्या से जल्द आराम पा सकते है।
  • मालिश करने से भी आप घुटने में दर्द की समस्या से आराम पा सकते है।
  • हीट पैक और कोल्ड पैक भी आपके घुटने में दर्द के लिए काफी आरामदायक माना जाता है।
  • शारीरिक गतिविधि, जैसे व्यायाम जोड़ों को मजबूत बनाने में मदद करता है। उचित व्यायाम करने से आपको घुटने के दर्द से राहत मिलेगा। 
  • रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में हल्दी डाल कर पीने से भी आपको घुटने में दर्द की समस्या से आराम मिल सकता है। 
  • सेब का सिरका भी काफी मददगार है घुटने में दर्द की समस्या से निजात दिलवाने में।  

अगर आपको इन घरेलु उपायों से भी घुटने में दर्द की समस्या से आराम न मिले, तो इसके लिए आप हुंजन हॉस्पिटल के अनुभवी डॉक्टरों का चयन जरूर से करें, वहीं इस हॉस्पिटल में घुटने की सर्जरी या घुटना को बदलकर नए घुटने लगाए जाते है जिससे मरीज़ को अपने दर्द की समस्या से आराम मिलता है।

Debunk 5 Myths Around Orthopaedic Treatment

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Tendinitis: Causes, Symptoms, Diagnose and Treatment Options

Our body has a complex arrangement of muscles and tissues that helps us in doing daily activities. It is important that these stay in good health to ensure proper functioning of the body. If you have any problem with the tissues causing pain in joints, contact the best ortho hospital in Ludhiana. The tendon is one such tissue that helps us move our limbs. It connects muscles to bone. When these tendons are inflamed, it is known as Tendonitis or Tendinitis. 

Tendinitis

Tendinitis is a condition which is caused when tendons are inflamed or irritated. Tendons are strong cord-like tissues that help connect different muscles to joints. This can happen in any part of the body, meaning tendonitis can develop in any tendon. Generally, it affects the shoulder, elbow, wrist and knee. There are different ortho problems that seem normal but are not and should be examined by the doctor.

Causes of Tendinitis

As tendons help move our joints, making the same movement over and over again can cause them to inflame, resulting in Tendinitis. It commonly happens while playing a sport or work in which you have to make or use the same movement repeatedly. In such a case, you should consult the best ortho doctor in India and have your condition examined. Other causes include:

  • Making the same movement repeatedly with incorrect form or posture.
  • Aging
  • Underlying medical issues such as diabetes or rheumatoid arthritis
  • Certain antibiotics
  • Injury

Symptoms of Tendinitis

Its symptoms include:

  • Dull or severe pain in the affected area
  • Stiffness makes it difficult to move the affected area
  • Tenderness
  • Swelling

Diagnosis of Tendinitis

If you feel any of the above-mentioned symptoms, consult a good ortho doctor. To check if you have Tendinitis, the doctor will perform a physical examination. If the condition is found serious, they may recommend medical tests as well. 

In a physical examination, your mobility and range of motion will be examined. The best ortho doctor in India will inquire about your past injuries, sports activities, medical conditions, and drug consumption. Information about this can help them understand the cause of tendonitis. It can also be some other problems, such as pain in the shoulder, which could be because of the immobilization of the shoulder

If the doctor is unable to diagnose the problem using physical examination, you will have to give additional tests such as X-rays, MRI scans and Ultrasounds. 

Treatment Options

There are methods you can use to treat this condition, such as home remedies and medical treatments. If your pain is minor and not serious, simple home remedies should do the work. If these home remedies do not provide relief within a few days after rest, you need to consult the best ortho hospital in Ludhiana. Follow these home treatment options to ease the pain:

  • Take adequate rest; if it is a minor issue, a proper rest can fix it. 
  • Use a compression bandage. It helps reduce swelling.
  • Apply ice or eat.
  • Perform stretching exercises that help increase and improve mobility.
  • Eat medications or painkillers. Make sure not to consume any medicine without a proper prescription from an authentic doctor. 

 

Besides this, if these issues do not help solve the problem, you need to consult with your doctor and opt for a more stronger solution. For severe condition, the doctor may recommend using a splints or cane for support, physical therapy, corticosteroid injections or inflammatory tissue removal surgery. 

Conclusion

Tendinitis can happen in any tendon and affects your heel, wrist, shoulder, elbow or knee. It can cause huge pain, tenderness, swelling and restriction of movement. Tendinitis can be diagnosed by physical examination by the best ortho doctor in India, and may require medical intervention if the condition is serious. You can get relief from the problem by getting the right treatment from Hunjab Hospital, the best ortho hospital.

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आराम से यात्रा: गाड़ी चलाते समय पीठ दर्द को कम करने के लिए युक्तियाँ

“ड्राइविंग एक मुक्तिदायक अनुभव होना चाहिए, लेकिन कई लोगों के लिए, यह एक दर्दनाक परीक्षा बन जाती है। चाहे वह लंबी यात्रा के बाद होने वाला हल्का दर्द हो या सड़क पर हर टक्क्र के साथ तेज झटके, ड्राइविंग के दौरान पीठ दर्द हो सकता है छोटी- छोटी यात्राओं के भी असुविधाजनक यात्राओं में बदल दें। ड्राइविंग, जिसे अक्सर एक सांसारिक गतिविधि के रूप में देखा जाता है, आश्चर्यजनक रूप से विभिन्न प्रकार की असुविधा पैदा कर सकता है, खासकर पीठ में।

ड्राइविंग के दौरान पीठ दर्द कई कारकों के कारण हो सकता है, जिनमें शामिल है: 

    • खराब मुद्रा: गाड़ी चलाते समय लंबे समय तक झुककर या झुककर बैठने से पीठ की मांसपेशियों और स्नायुबंधन पर दबाव पड़ सकता है, जिससे असुविधा और दर्द हो सकता है। 
    • काठ समर्थन की कमी: कई कार सीट पीठ के निचले हिस्से(काठ छेत्र) के प्राकृतिक वक्र के लिए पर्याप्त समर्थन प्रदान नहीं करती है। समर्थन  की कमी के परिणामस्वरूप रीढ़ और आसपास की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे दर्द हो सकता है।
    • कंपन और झटका: ड्राइविंग करते समय अनुभव होने वाला कंपन और झटका, विशेष रूप से उबड़-खाबड़ सड़कों या ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर, मौजूद पीठ की समस्याओं को बढ़ा सकता है या नई असुविधा पैदा कर सकता है।
    • लंबे समय तक बैठे रहना: पर्याप्त ब्रेक के बिना लंबे समय तक बैठे रहने से पीठ में अकड़न और मांसपेशियों में थकान हो सकती है, जिससे दर्द और असुविधा हो सकती है।
    • गलत सीट स्थिति: सीट की स्थिति को गलत तरीके से समायोजित करना, जैसे कि सीट को बहुत पीछे रखना या बहुत अधिक झुकना, पीठ की मांसपेशियों पर दबाव डाल सकता है और दर्द पैदा कर सकता है। 
  • अंतर्निहित रीढ़ की हड्डी की स्थिति: पहले से मौजूद रीढ़ की हड्डी की स्थिति जैसे हर्नियेटेड डिस्क, कटिस्नायुशूल, या स्पाइनल स्टेनोसिस वाले व्यक्तियों को लंबे समय तक बैठे रहने और कंपन के कारण गाड़ी चलाते समय दर्द में वृद्धि का अनुभव हो सकता है। 

गाड़ी चलाते समय पीठ दर्द से राहत पाने के लिए एर्गोनोमिक समायोजन, मुद्रा में सुधार और जीवनशैली में बदलाव का संयोजन शामिल है। गाड़ी चलाते समय पीठ दर्द से राहत पाने के लिए यहां कुछ प्रभावी रणनीतियां दी गई है: 

 

  • उचित सीट समायोजन: अपनी रीढ़ की हड्डी का उचित संरेखण सुनिश्चित करने के लिए अपनी सीट को समायोजित करें। अपनी पीठ को सीट के पीछे टिकाकर सीधे बैठे और अपने कूल्हों को जितना संभव हो पीछे की ओर रखें। यदि उपलब्ध हो तो काठ का सहारा लें या अपनी रीढ़ की हड्डी के प्राकृतिक मोड़ को बनाए रखने के लिए अपनी पीठ के निचले हिस्से के पीछे एक छोटा तकिया या लपेटा होया तौलिया रखें। 

 

  •  नियमित ब्रेक लें: लम्बी ड्राइव के दौरान टहलने और घूमने के लिए नियमित ब्रेक की योजना बनाए। हर घंटे या इसके बाद, आराम स्थल या सुरक्षित क्षेत्र पर जाएं और तनाव दूर करने और परिसंचरण में सुधार के लिए अपनी पीठ, गर्दन, कंधों और पैरों के लिए सरल स्ट्रेचिंग करें।
  • हीट थेरेपी का उपयोग करें: तनावग्रस्त मांसपेशियों को आराम देने और रक्त परिसंचरण में सुधार करने के लिए गाड़ी चलाने से पहले प्रभावित क्षेत्र पर हीट थेरेपी लागू करें। कार में बैठने से पहले 15-20 मिनट के लिए अपनी पीठ पर हीट पैक, हीटिंग पैड या गर्म तौलिये का प्रयोग करें।
  • सीट कुशन या सपोर्ट का उपयोग करें: गाड़ी चलाते समय पीठ दर्द को कम करने के लिए डिजाइन किए गए विशेष सीट कुशन या सपोर्ट का उपयोग करने पर विचार करें। यह कुशन आपकी रीढ़ और टेलबोन पर दबाव कम करने के लिए अतिरिक सहायता और कुशनिंग प्रदान कर सकता है। 
  • हाइड्रेटेड रहें और स्वस्थ आहार बनाए रखें: हाइड्रेटेड रहने के लिए खूब पानी पिएं, क्योंकि निर्जलीकरण मांसपेशियों में तनाव और कठोरता को बढ़ा सकता है। रीढ़ की हड्डी के समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए फलों, सब्जियों, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार बनाए रखें।

यदि इन उपायों के बावजूद पीठ दर्द बना रहता है, तो अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप व्यक्तिगत सलाह और उपचार विकल्पों के लिए किसी भौतिक चिकित्सक या हाड वैद्य जैसे स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर हुंजन हस्पताल लुधियाना से परामर्श करने पर विचार करें।

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